कारीगर हूं साहब, अल्फाजों की मिट्टी से महफिल सजाता हूं… कुछ को बेकार…. कुछ को कलाकार नजर आता हूं….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     

देश में दो मुद्दे अभी चर्चा में है एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंगलादेश की आजादी के लिए जनांदोलन कर जेल यात्रा की थी और दूसरा मुद्दा देश की अभी तक कि सबसे चर्चित वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का ब्याज योजनाओं पर कटौती का निर्णय की वापसी यह कहकर लेना कि ‘आदेश गलती से जारी हो गया था ‘। इन दोनों बयानों को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है।
देश के 5 राज्यों में चुनाव हो रहा सर्वाधिक चर्चा में असम तथा पश्चिम बंगाल का विस चुनाव है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बंगलादेश प्रवास को पश्चिम बंगाल के मतदाताओं को प्रभावित करने का आरोप लगाकर चुनाव आयोग से भी शिकायत की है। बंगलादेश की आजादी, उसे अलग देश के रूप में मान्यता देने के पीछे भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका से कोई भी इंकार नहीं कर सकता है पर हाल ही में बंगलादेश की 50 वीं सालगिरह में नरेन्द्र मोदी ने यह कहकर सभी को चौंका दिया कि ” मैंने भी बंगलादेश की आजादी के आंदोलन में भाग लिया था और साथियों के साथ जेल भी गया था उस समय मेरी उम्र 20-22 साल थी “। बस चर्चा शुरू हो गई, मोदी जी ने यह आंदोलन कहां किया था…., किसके साथ जेल गये थे…, कौन से जेल गये थे…, आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा था…. खैर इसका जवाब आएगा भी नहीं क्योंकि मोदीजी से यह पूछ कौन सकता है…? पत्रकारों से वे बात करते नहीं हैँ , केवल अपने मन की बात करते हैं… और तो और उन्होंने जो आपातकाल में किताब लिखी है उसमें भी बांग्लादेश का उल्लेख नहीं था, मोदी भक्त कह सकते हैं कि आपातकाल की किताब में बंगलादेश का उल्लेख क्योंकर होगा…। मोदी पर लिखी किनशुक नाग तथा नीलांजन मुखोपाध्याय वाली किताब में बंगलादेश की आजादी के आंदोलन का जिक्र ही नहीं है…। बहरहाल बंगलादेश की आजादी के समय इंदिरा गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन का जिक्र मिलता है, मसला बंगला देश को मान्यता देने का था, उसमें गिरफ्तारी हुई थी…? मोदी भक्त कहते हैं मोदी तिहाड़ गये थे तो उस समय के कागजात तो मिल ही सकते हैं खैर मोदी साहब की डिग्री, भीख मांगकर खाने, हिमालय में तपस्या, रेलवे स्टेशन में चाय बेचने सहित कई मामलों का अभी भी खुलासा नहीं हो पाया है और रहस्य अभी भी बना हुआ है?

ब्याज दर की कमी……

केंद्र सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कटौती करने का फैसला 24 घंटे में ही वापस ले लिया, इस मामले में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई देते हुए कहा कि आदेश गलती से जारी हो गया था… दरअसल वित्तवर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के लिये छोटी बचत योजनाओं (पोस्ट आफिस की योजना भी शामिल) पर ब्याज घटा दिया गया पर लगता है कि 5 राज्यों के विस चुनाव के चलते इसे तत्काल ही वापस ले लिया गया। दरअसल मध्यम वर्गीय समाज केन्द्र सरकार की वित्तीय योजनाओं से काफी परेशान है। मोदी सरकार बनने के पहले बैंकों में फिक्स डिपाजिट पर औसतन 9 प्रतिशत ब्याज मिलता था जो अब 4-5 प्रतिशत हो गया है, पेंशन की योजना तो पहले ही खत्म कर दी गई है, पहले यदि किसी मध्यम वर्गीय अधिकारी-कर्मचारी को सेवानिवृत्त होने पर 50 लाख मिलता था तो साल भर में एफडी करने पर 4 लाख 50 हजार सालाना ब्याज मिल जाता था और किसी तरह घर का खर्च चल ही जाता था। मोदी सरकार बनने के बाद औसत 6 प्रतिशत ब्याज दर मान ले तो 3 लाख ही सालाना (वरिष्ठ नागरिकों को) मिलता है यानि 15 लाख सालाना का कुल नुकसान… उसके बाद भी वित्त मंत्रालय ब्याज दर में कमी करने लगे तो जीना मुश्किल ही हो गया है वृद्धजनों का …. बेरोजगारी बच्चों की, कोरोना संकट, महंगाई की मार के बीच सबसे अधिक मध्यम वर्गीय परिवार ही परेशान है।

खेतान का क्या होगा…।     

छत्तीसगढ़ कॉडर के चर्चित आईएएस अफसर चितरंजन खेतान जुलाई माह में सेवानिवृत्त हो जाएंगे और अगले साल उन्हीं के बैच के बीबीआर सुब्रमणियम भी सेवानिवृत्त हो जाएंगे उसके पश्चात केंद्र सरकार किसी न किसी जगह समायोजित कर ही देगी… क्योंकि उन्होंने केंद्र सरकार के ‘कश्मीर फार्मूला’ की ड्राफ्टिंग में अहम भूमिका अदा की है रही बात सीके खेतान की तो लगता तो नहीं है कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भूपेश सरकार कही समायोजित करेगी….?यह ठीक है कि प्रदेश में सेवानिवृत्त वरिष्ठ अफसरों की कमी है पर राज्य सरकार को रास्ता निकालना आता है। हाल ही में सूचना आयुक्त के पद पर 2 पत्रकारों की नियुक्ति की है जिसमें एक तो सत्ताधारी दल के करीबी है तथा तो दूसरा विपक्ष खासतौर पर आरएसएस के कोटे से गया है यह जनचर्चा है?रही बात खेतान के समायोजन की तो मुख्य सूचना आयुक्त एम के राऊत का पद नवंबर 22 में रिक्त होगा तो सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल का पद भी 22 में ही रिक्त होगा वही रेरा पद के चेयरपर्सन विवेक ढांड तो जनवरी 23 में इस पद से रिटायर होंगे जाहिर है कि खेतान को अभी अपने पद के अनुरूप पद पाने के लिए इंतज़ार करना होगा lइधर छग लोक सेवा आयोग अध्यक्ष पद भी फिलहाल रिक्त नहीं हो रहा है। इधर उनके राजस्व मंडल के अध्यक्ष पद से हटने के बाद किसी सीनियर आईएएस की नियुक्ति करनी पड़ेगी आज की स्थिति में एसीएस के पद पर रेणु पिल्ले, सुब्रत साहू ही हैं और सरकार इन्हें डिस्टर्ब करेगी ऐसा लगता नहीं है।

बजाज ने मकान बेचा….     

छत्तीसगढ़ की नई राजधानी नया रायपुर अटल नगर बसाने में एनआरडीए के सीईओ के रूप में एस.एस. बजाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नया रायपुर बना और उसे बसाने की मुहिम तेज हो गई है। भूपेश बघेल सरकार चाहती है कि नया रायपुर में बसाहट भी शुरू हो,पर यह खबर चौकाने वाली नये रायपुर में लिया अपना आशियाना बसाने के पहले ही एनआरडीए के सीईओ रहे एस.एस. बजाज ने बेच दिया है। दरअसल यूपीए की चेयरपर्सन रही सोनिया गांधी ने अजीत जोगी के कार्यकाल में जिस जगह का शिलान्यास किया था वह जगह भाजपा की डॉ. रमन सिंह की सरकार के समय किसी प्राईवेट बिल्डर्स को गोल्फकोर्स के निर्माण के लिए सस्ते में बेच दी गई, इसी कारण भूपेश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में ही एस.एस. बजाज को निलंबित कर दिया था हालांकि वे बाद में उन्हें बहाल कर नई पदस्थापना दे दी गई पर अपने ही बसाए नगर में बजाज ने अपना मकान ही बेच दिया है।

और अब बस….

0 छत्तीसगढ़ में एक -दो कलेक्टर/एसपी के तबादले भले ही जल्दी हो जाएं पर एक बड़ी सूची 2 मई को 5 राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद ही जारी होगी।

0 छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लॉकडाउन का फैसला 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के असम से वापसी पर ही लिया जा सकता है ।

0 छत्तीसगढ़ में कोरोना की बढ़ती रफ्तार के लिए प्रमुख विपक्षी दल भाजपा क्रिकेट मैच को कारण बता रहा है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, दिल्ली में तो क्रिकेट मैच नहीं हुआ था फिर वहां कैसे कोरोना का विस्तार हो गया।

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