{किश्त 29}
अविभाजित मप्र के सीएम अर्जुनसिंह ने अपने मंत्रि मंडल की बैठक आदिवासी अंचल जगदलपुर में तो उनके राजनीतिक शिष्य अजीत जोगी ने भी छ्ग मंत्रिमंडल की बैठक सरगुजा के मुख्यालय अंबिकापुर में आयोजित की थी। सीएम सहित सभी मंत्री,मुख्यसचिव,प्रमुख सचिव,सचिव राजधानी के बाहर आयोजित बैठक में शामिल हुए थे,कई बड़े निर्णय भी हुए थे।इसके बाद कभी अविभाजित मप्र या छ्ग मंत्रिमंडल की बैठक राजधानी से बाहर हुई हो ऐसा स्मरण नहीं आता है।मप्र के सीएम रहे अर्जुनसिंह ने छ्ग के आदिवासी अंचल जगदलपुर में 16 एवं 17 नवम्बर 81को मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की थी।वैसे बस्तर को अलग संभाग का दर्जा भी अर्जुन सिंह ने दिया था।अर्जुन सिंह के सीएम रहने के दौरान विकासखंडों को तहसील का दर्जा दिया गया, नई तहसीलें भी गठित की। उन्होंने शासन व्यवस्था में छत्तीसगढ़ इलाके को भी खास महत्व दिया। हालांकि इसी कोशिश में एक बार उन्हें कई घंटे तक आदिवासियों और शरणार्थियों के बीच बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के रहना पड़ा।भोपाल और पचमढ़ी के बाहर राज्य कैबिनेट की बैठक उन्होंने ही पहली बार ली थी। उनकेसीएम रहते ही 1981 में जगदलपुर में कैबिनेट की बैठक हुई थी। सीएम बनने के अगले ही महीने वे बस्तर के दौरे पर गए। इससे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री विरले ही इस इलाके का दौरा करते थे। अर्जुन सिंह ने रायपुर से अलग बस्तर संभाग का गठन किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ क्षेत्र में अपने दौरे की शुरुआत ही बस्तर इलाके से की। इसी दौरान एक बार उनका हेलीकॉप्टर रास्ता भटक गया और मुख्यमंत्री की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया उन mका हेलीकॉप्टर जहां रास्ता भटका,वहां चारों ओर जंगल था। हेलीकॉप्टर को मजबूरी में अनजान इलाके में उतारना पड़ा। उन दिनों नक्सलवाद की समस्या नहीं थी,लेकिन हेलीकॉप्टर का संपर्क पूरी तरह टूट गया था।थोड़ी ही देर में भोपाल से लेकर रायपुर तक हड़कंप मच गया। हेलीकॉप्टर छोटा होने की वजह से मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था भी उनके साथ नहीं थी।हेली कॉप्टर जहां उतारा गया, वहां बंगाली शरणार्थियों की आबादी ज्यादा थी।जब तक प्रशासन को उनकी लोकेशन का पता चला, तब तक वे कई घंटे तक उन्हीं के साथ रहे। लोकेशन की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन और पुलिस की टीमें वहां पहुंचीं और मुख्यमंत्री को सुरक्षित निकाल कर ले गईं।इधर मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ का गठन हुआ और पहले सीएम बने अजीत जोगी। जोगी ने भी अपने राजनीतिक गुरु अर्जुनसिंह की तर्ज पर राजधानी रायपुर से बाहर अंबिकापुर में अपने मंत्रि मंडल की बैठक आयोजित की थी,हम भी कुछ पत्रकारों के साथ छ्ग के सीएम के सचिव वरिष्ठ आईएएस सुनील कुमार सहित बस से अंबिकापुर पहुंचे थे। 2003 में सरगुजा विकास प्राधिकरण के गठन का श्रेय अजीत जोगी को ही जाता है। यह पहला मौका था जब प्रदेश की सरकार राजधानी की बजाय किसी जिले के विकास की रूपरेखा तय करने पहुंची थी। बैठक में जिले की जरूरत और यहां की समस्याओं को देखते हुए करोड़ों के विकास कार्यों की मंजूरी मिली थी। जिले में कई और ऐसे काम अजीत जोगी के शासन में ही हुए हैं, शक्कर कारखाना,सरगुजा विश्व विद्यालय की घोषणा उन्होंने ही की थी जिस पर भाजपा की सरकार ने आगे काम किया।जोगीआक्रमक राजनीति के लिए जाने जाते थे। वहीं कड़े निर्णय भी लेते थे। सरगुजा में कांग्रेस कार्यालय के लिए बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने आधारशिला रखी थी। वह बतौर मुख्यमंत्री बनारस से होते हुए सड़क मार्ग से अंबिकापुर पहुंचे थे। तब सड़कों की खस्ता हालत देख उन्होंने अंबिकापुर पहुंचने तक कुछ अधिकारियों को सस्पेंड भी कर दिया था।