हिन्दू उत्तराधिकार कानून में संशोधन… और क्या है इसमें जरूरी

रंजीत भोंसले ( वरिष्ठ पत्रकार / मास मीडिया एक्सपर्ट )                                                                                                                  2004 में हिदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन कर लड़कियों को जन्म से पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार प्रदान किया गया ।
ऐसा माना जा रहा कि इसके कारण ही कथित लव जेहाद जैसी घटनाएं बढ़ रही । और इस पर काबू पाने कई राज्य अलग से कानून बनाने जा रहे तो कई राज्य के ऐसे कानून का विरोध कर रहे ।
इसके लिए एक सुझाव यह है कि –
एक कानून लेकर हिदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया जा सकता है कि इस अधिनियम के सभी कानून तभी लागू होगा #जबतक कोई भी व्यक्ति हिदू धर्म में रहेगा व्यक्ति याने फिर कोई भी पुत्र पुत्री पिता माता आदि आदि हो । धर्मपरिवर्तन के साथ उसका तमाम हित खत्म माना जायेगा और वह पूरी संपत्ति वापस वही चली जायेगी जहां से वो आयी थी यहां तक कि उस दौरान उसे बेचने से जो भी चल य्या अचल संपत्ति खरीदी गई होगी उसे भी जप्त कर उसके मूल स्रोत में वापस किया जा सकेगा ।
इससे ज्यादा से ज्यादा ये होगा कि कोई धर्मपरिवर्तन का इरादा रखता भी होगा तो वो पहले संपत्ति का बंटवारा धर्मपरिवर्तन होने के पहले करवा कर बेचने की कोशिश करेगा लेकिन बेचने के बाद भी धर्मपरिवर्तन करने पर उसे अपनी संपत्ति से हाथ से जाने का डर बना रहेगा क्योकि दुनिया मे धन की कीमत अब सबको पता है ।
इसकी सम्भवना आज के हालत में बहुत कम होगा ।
वर्तमान में बनाये जाने वाले कानून से हिन्दू उत्तराधिकार कानून में उपरोक्त संशोधन अधिक प्रभावी एवं संविधान के अनुकूल होगा । क्योकि इसमे लिंग भेद भी नही है अर्थात चाहे लड़की हो या लड़का सब पर यह कानून समान रूप से लागू होगा ।
(   ये  लेेेखक के  निजी  विचार हैं ) 

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