हमसा सीधा,हमसा मासूम कोई और नहीं है…. हम चीज क्या हैँ ये तुम्हें मालूम नहीं है….!

        शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )                                     

अविभाजित मप्र से छग राज्य बनने के 54 सालबाद एक आदिवासी सीएम बना है,सारंगढ़ के राजा नरेशचंद्र सिंह1969 में मप्र केसीएम बने थे,पर सिर्फ13 दिन में इस्तीफा दे दिया था,वहीं 2023 में दूसरे आदिवासी विष्णुदेव साय सीएम बने थे।साय ने 13 दिसम्बर को एक साल का कार्यकाल भी पूरा कर लिया है।04 दिस म्बर 24 को ज़ब विष्णु देव साय से मुलाक़ात हुई थी, तब और उनसे भावी सीएम बनने पर सवाल किया था, उन्होंने कहा था कि वे छोटे से भाजपा कार्यकर्त्ता हैं, ज़ब भी उन्हें भाजपा नेतृत्व ने जो जिम्मेदारी सौँपी है, उसे पूरा करने का प्रयास किया। उस समय ‘सीएम कौन’ की चर्चा के बीच एक बात जरूर महसूस हुई थी कि सीएम बनने कमसे कम साय ने कोई लाबिंगनहीं की थी,वैसे सरल,सौम्य,शांत, सहनशील, गंभीर राजनेता के रूप में वे जाने जाते हैं, आदिवासी दिवस के दिन ही छ्ग भाजपा अध्यक्ष पद से हटाया गया,देश-प्रदेश में काफ़ी चर्चा हुई पर विष्णु देव ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी बल्कि हाईकमान के निर्णय को शिरोधार्य मान पद ही छोड़ दिया,अजीत जोगी को भी आदिवासी मान कर छ्ग सीएम बनाया गया था पर असली-नकली आदिवासी की चर्चा चलती रहीं।एक बात और बताना जरुरी है कि अजीत प्रमोद जोगी आईपीएस,आईएएस के साथ राज्यसभा, लोक सभा के सदस्य रहे थेकिसी राज्य या केंद्र में मंत्री नहीं रहे थे तो डॉ रमन सिँह,सी एम बनने के पहले विधा यक,सांसद,अटल मंत्रि मंडल के सदस्य रह चुके थे। छग के मौजूदा सीएम विष्णुदेव साय पहले विधा यक,सांसद,मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके हैं। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।छोटे गांव बगिया से 1989 में पंच,1990 में निर्विरोध सरपंच बननेवाले विष्णुदेव तपकरा से 90- 98 तक विधायक रहे, राय गढ़ लोस (1999-2014) सांसद चुने गए। नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले कार्य काल में साय ने राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया, 20 19 के लोस चुनावों में उन्हें भाजपा ने मैदान में नहीं उतारा था,क्योंकि छग में 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में सरकार नहीं बनने पर किसी भी मौजूदा सांसद को नहीं दोहराने का फैसला किया था।जून 20 20 में भाजपा ने विष्णुदेव को छग प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था।अगस्त 2022 तक इस पद पर रहे। यहां यह बताना जरुरी है कि अविभाजित मप्र में 12 मार्च 1969 को गोविंद नारायण सिंह की सरकार गिरी तो 13 मार्च को विधा यकों के समर्थन मिलने पर मप्र में छ्ग के पहले आदि वासी सीएम नरेश चंद्र बनाए गए थे।सरल स्वभाव के राजा साहब तब राजनै तिक दांव- पेंच का खेल महसूस नहीं कर पाए और 13 दिन बाद ही न केवल सीएम पद से बल्कि विधान सभा से भी इस्तीफा दे दिया,सारंगढ़ वापस लौट गये। बाद में पुसौर विधान सभा क्षेत्र मे उपचुनाव में उनकी पत्नी रानी ललिता देवी को निर्वि रोध चुन कर भेजा।सारंगढ़ के राजा नरेश चंद्र ने राजनीतिक, शिक्षा के क्षेत्र में कई कार्य किए गए हैं।सारंगढ़ राज परिवार के सदस्य कांग्रेस पार्टी से सांसद,विधायक चुने जाते रहे हैं। दिवंगत राजा नरेश चंद्र,संयुक्त मप्र के छठवें सीएम थे। उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा है,अपने राज्य का विलय करने के बाद नरेश चंद्र ने 1952 में पहला चुनाव जीता।सीएम रविशंकर शुक्ल के मंत्रिमंडल में वे कैबिनेट मंत्री थे।1967 में नरेश चंद्र की बेटी रजनी गंधा,लोससदस्य, कमला देवी विधानसभा की सदस्य थी। पुष्पादेवी 3 बार लोक सभा चुनाव जीतीं थी ।                                      

पदोन्नति के साथ ही होगा
प्रशासनिक फेरबदल…  छ्ग में नये साल में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है,कुछेक सचिव, विशेष सचिव, संयुक्त सचिव को नया कार्यभार सौँपा जा सकता है,सीपी आर डॉ रवि मित्तल भी पदो न्नति के बाद सीएम सचिवा लय का हिस्सा बन सकते हैं!तो डीपीआर तथा हाल ही में आईएएस बने अजय अग्रवाल को कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी देने की चर्चा है! तो कुछेक कमिश्नर, कले क्टर भी बदले जा सकते हैं।छग कॉडर के 2012 बैच के 12 आईएएस छग में सचिव बन सकते हैं, इन में केवल समीर विश्नोई जेल में हैं इसलिये उनकी पदो न्नति नहीं हो सकेगी,11 में प्रियंका शुक्ला,किरण कौश ल,अय्याज फ़क़ीर तम्बेली, अवनीश शरण,सौरभकुमार सुनीलजैन,केएल चौहान, विपिनमांझी,डोमन सिंह, केडी कुंजाम शामिल हैं।वहीँ 2012 बैच के आईए एस का भी विशेष सचिव बनना तय माना जा रहा है, इनमें रजत बंसल,शिव अनं त तायल, रितेश अग्रवाल, रणवीर शर्मा, पुष्पेंद्र पंत, तारण प्रकाश सिन्हा, ईफ़्फ त आरा, दिव्या मिश्रा, पुष्पा साहू, संजय अग्रवाल, सुधा कर खलको शामिल हैंइधर 2016 बैच के आईएएस डॉ रवि मित्तल सहित 18 संयुक्त सचिव पदोन्नत होंगे, हाल ही में अजय अग्रवाल सहित 14 को आईएएस अवार्ड दिया गया है, सौम्या चौरसिया,आरती वासनिक को कुछ मामलों के चलते शामिल ही नहीं किया गया, सौम्या जेल में है तो आरती, सीबीआई की हिरासत में है।

कौन थे कंगला माझी…,
और उनकी यादें…..  । 

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के डौंडीलोहारा के बघमार के जंगलों में लोगों का जमा वड़ा लगा रहा,उपस्थित अधिकतर आदिवासी थे और कंगला मांझी की सेना के सिपाही हैं, इनमें युवा, बुजुर्ग,बच्चे शामिल थे,ये सभी लोग अपने कंगला मांझी की याद में आयोजित हो रहे कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे…….कौन थे कंगला मांझी……?कंगला मांझी एक क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने आदिवासियों को सशक्त,एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई,साल 1913 में स्वतंत्रताआंदोलन से जुड़े, 1914 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी वहीँ वें पीएम इंदिरा जी से भी मिल चुके थे, कांकेर जिले के तेलावट में जन्मे कंगला मांझी राष्ट्र वादी नेता थे।अंग्रेजी शासन काल में अन्याय से तंग आकर, आजाद हिंद फौज की तर्ज पर अपनी सेना का गठन किया था, जिसके सैनिक आजाद हिंद फौज की तरह ही वर्दी पहनते हैं, वर्दी पर स्टार भी लगाते हैं। हालांकि कंगला मांझी की सेना के सैनिकों का रास्ता अहिंसा और शांति वाला दोनों था , यह सेना विवाद में भी रही…..?आजादी के बाद बस्तर में कुछ सैनिक के खिलाफ जुर्म भी दर्ज किया गया था,’समानात्तर सरकार’ चलाने का आरोप भी लगा था,वैसे अभी भी दावा किया जा रहा है कि देशभर में मांझी की सेना के करीब 2 लाख सैनिक हैं, जो आदिवासियों की रक्षा, उनके अधिकारों के लिए काम करते है।पर बस्तर सहित अन्य आदिवासी इलाकों में नक्सलीआतंक पर इस सेना ने कोई आंदो लन किया हो ऐसा हाल फिलहाल तो देखने नहीं मिला है।कंगला मांझी स्मृति दिवस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे लोगों ने टेंट,पेड़ों के नीचे कड़ कड़ाती ठंड में रात गुजारी, कंगला मांझी स्मृति में कार्य क्रम हर साल 5 दिसम्बरको होता है,वैसे यह तय है कि कंगला मांझी के निधन के बाद यह संगठन बिखरगया साल 1984 में ही कंगला मांझी का निधन हो गया, जिसके बाद संगठन कम जोर हो गया,लेकिन 1992 के आसपास महाराष्ट्र में टाडा कानून लागू हुआ था जिसके चलते रात में नक्सली, दिन में पुलिस कर्मी आदिवासी इलाकों में आते थे,धारा 144 लागू होने के चलते कई ग्रामीणों को पुलिस उठाकर भी ले गई, ऐसे में उत्पीड़न से परे शान होकर आदिवासियों ने जहर पीकर जान दे दी ऐसे हालात में मांझी का संगठन फिर से सक्रिय हुआ, एक बड़ा आयोजन किया था।जिसके बाद कंगला मांझी की सेना के सैनिक टाडा कानून के तहत पकड़े गए हजारों आदिवासी को का नूनी लड़ाई से छुड़ाकर ले आए,इस तरह मांझी की सेना फिर सक्रिय हो गई थी वैसे बस्तर जहां माझी की समानात्तर सरकार चला करती थी वहां अब यह अस्तित्व ख़ो चुकी है…!

और अब बस…..

0केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, छत्तीसगढ़ दौरे को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि अमित शाह नक्सली लीडर हिड़मा के गांव भी जाएंगे।
0 छ्ग में 2025 में फरवरी में डीजीपी और जून में सीएस रिटायर हो रहे हैं।
0आईपीएस लाल उम्मेद सिंह को राजधानी का एस एसपी बनाया है,वहीं एस एसपी संतोष सिंह को ए आईजी मुख्यालय बनाया गया है।
0डीएमएफ फण्ड में बंदरबाट को लेकर ईडी ने 21.47 करोड़ की सम्पति कुर्क की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *