आर्मी स्कूलों में सामान्य छात्रों के साथ अब विशेष दिव्यांग बच्चे भी पढ़ेंगे,ऑनलाइन वेबिनार से हो रही ट्रेनिंग शुरू

चंडीगढ़ : विशेष दिव्यांग बच्चों को मुख्य धारा में लाकर उन्हें सामान्य जीवन यापन के लिए तैयार करने के मसकद से देश के आर्मी स्कूलों में एक खास इनक्लूसिव एजुशकेशन प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। जिसके तहत इन दिव्यांग बच्चों को सामान्य बच्चों के क्लास रूम में ही शिक्षित कर उन्हें मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जाएगा।

पहले चरण में 137 में से 16 आर्मी पब्लिक स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट व्यवस्था

इसके लिए बतौर पायलट प्रोजेक्ट देशभर के कुल 137 आर्मी पब्लिक स्कूलों में से 16 स्कूलों को चुना गया है। दिव्यांगों के लिए राइट ऑफ पर्सन विद डिसएब्लिटी एक्ट को ध्यान में रखते हुए ये प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इसे आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी की देखरेख में आगे बढ़ाया जाएगा। जबकि आर्मी वाइफस वेलफेयर एसोसिएशन भी इस प्रोजेक्ट में हर संभव सहयोग के लिए आगे है।

दिव्यांग छात्रों हेतु इस इनक्लूसिव एजुशकेशन प्रोजेक्ट के लिए विशेष बजट का भी प्रावधान किया गया है। 16 आर्मी स्कूलों में इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद चरणबद्ध तरीके से अन्य स्कूलों में भी इसे लागू किया जाएगा।

ऑनलाइन वेबिनार से हो रही ट्रेनिंग शुरू….
चूंकि इस वक्त स्कूल बंद हैं। इसलिए इस प्रोजेक्ट के तहत इनक्लूसिव एजुकेशन पर आधारित ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं। जिसके तहत स्पेशल एजुकेटर के साथ-साथ वेबिनार ट्रेनिंग के दौरान पॉयलट प्रोजेक्ट में चयनित 16 स्कूलों के नॉर्मल टीचर्स व प्राचार्यों को भी ऐसे बच्चों को हैंडल करने संबंधी ट्रेनिंग दी जा रही है। उधर, सेना के एक आला अफसर ने बताया कि आर्मी स्कूलों के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं। जिसकी मदद से विशेष दिव्यांग बच्चों को सामान्य छात्रों के साथ ही क्लास रूम में बिठाकर पढ़ाया जाएगा।

मदद के लिए स्पेशल एजुकेटर होंगे तैनात…
दिव्यांग छात्र खुद को अलग-थलग और उपेक्षित महसूस न करें, इसके लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत सभी स्कूलों में स्पेशल एजुकेटर तैनात किए जाएंगे। जो इन विशेष बच्चों की सामान्य छात्रों संग क्लास रूम में पेश आने वाली दिक्कतों को दूर करने में मदद करेंगे। दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने के लिए स्पेशल एजुकेशन प्रोग्राम भी तैयार किए जा रहे हैं। बच्चों की गाइडेंस, पढ़ाई संबंधी समीक्षा इत्यादि की जिम्मेदारी भी इन स्पेशल एजुकेटर की होगी। इन विशेष बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूलों को ऐसे बच्चों के लिए खास एजुकेशन सामग्री भी उपलब्ध करवाई जाएगी।

 

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