शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
काफी जद्दोजहद के बाद ही सही बिहार में आखिर एनडीए विजेता बनकर उभर गई। यह ठीक है कि 32 साल के एक लड़के तेजस्वी लालू यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कई बार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की नींद उड़ा दी थी। बहरहाल बिहार की 243 सीटों में मात्र 43 सीट हासिल करने वाले जदयू के नीतिश कुमार की ताजपोशी हो रही है और 74 सीट प्राप्त करने वाली भाजपा उनकी सहयोगी की भूमिका में होगी। राजद के तेजस्वी यादव की राजद 75 सीट हासिल करके विपक्ष की भूमिका अदा करेगी उनके साथ गठबंधन के साथी कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी मजबूती के साथ खड़ी रहेगी। वैसे नीतिश कब तक मुख्यमंत्री रहेंगे यह तो कहा नहीं जा सकता है। हो सकता है उन्हें बाद में केंद्र की राजनीति में ले जाया जाए…?
अब म.प्र. की बात कर लें….., वहां शिवराज सिंह की सरकार उपचुनाव के परिणाम आने के बाद स्थायी सरकार बन चुकी है। वैसे तो इस चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाकर कमलनाथ की सरकार को गिराने वाले विधायकों को ‘गद्दार’ बताने वाले कांग्रेस के नेताओं ने इस मुद्दे को कायम नहीं रखा, उन्होंने भी तो भाजपा से आये कुछ नेताओं को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया था यानि कांग्रेस छोड़कर गये विधायक गद्दार और भाजपा छोड़कर आये नेता…।
बहरहाल शिवराज सरकार बचाने केवल 8 विधायक चाहिये थे और उन्हें थोक में इससे बहुत अधिक विधायक मिल गये हैं। एक बात जरूर है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा के राज्यसभा सदस्य बने ज्योतिरादित्य सिंधिया महराज के समर्थक 6 विधायक जिसमें 3 मंत्री भी चुनाव हार गये हैं जिसमें इमरतीदेवी प्रमुख है। खैर अब सिंधिया के सामने जीते विधायक और हारे विधायकों को सरकार में समायोजित करना बड़ा काम होगा देखना यह है कि शिवराज- महराज के बीच कब तक, कहां तक ठीक-ठाक स्थिति रहेगी। वैसे यह तो तय माना जा रहा है कि अगला विधानसभा चुनाव शिवराज के नेतृत्व में होगा ऐसा लगता तो नहीं है..?
भाजपा-कांग्रेस की नीति?
भाजपा और कांग्रेस की नीतियों को लेकर अब चर्चा जरूरी है। देश में लगभग सभी राज्यों में सत्ता सम्हालने वाली कांग्रेस की हालात आज किसी से छिपी नहीं है। इने गिने राज्यों में उसकी सरकार है तो भाजपा की कुछ राज्यों में सरकार है तो कुछ राज्यों में उसकी राज्य सरकारों में भागीदारी है। अपने बल पर केंद्र में भाजपा की सरकार है तो कांग्रेस को लेकसभा में विपक्ष का नेता बनने लायक संख्या भी पिछले दो लोकसभा चुनावों में नहीं मिल सकी है..।
दरअसल 1984 में देश में मात्र 2 सांसदों की पार्टी भाजपा की राज्यों में क्षेत्रीय दलों से समझौता करके अपनी स्थिति आज मजबूत कर ली है। क्षेत्रीय दलों से चुनावी तालमेल करके उन दलों की जमीन हथियाने में भाजपा को महारत है। इतिहास गवाह है कि भाजपा ने महाराष्ट्र में शिवसेना, हरियाणा में चौटालाकी पार्टी , बिहार में नीतिश कुमारकी जदयू , उत्तरप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी, पश्चिम बंगाल में ममता बेनर्जी की पार्टी से पहले तालमेल किया और अब उन क्षेत्रीय दलों की जमीन हथियाकर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। नीतिश कुमार को कम सीट मिलने पर भी भाजपा की मुख्यमंत्री बनाना मजबूरी है क्योंकि उन्हें डर है कि महाराष्ट्र की शिवसेना का एपीसोड बिहार में भी हो सकता है फिर भाजपा के पास फिलहाल कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है….l
जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी भी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से तालमेल तो करती है पर वह उन क्षेत्रीय दलों की जमीन हथियाने की जगह अपनी जमीन छोड़ देती है इससे क्षेत्रीय दल अधिक मजबूत होते जाते हैं और कांग्रेस कमजोर….। कांग्रेस अपने पुरोधाओं को लगातार भूलती जा रहा है वही भाजपा ध्रुवीकरण के साथ अब सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, राममनोहर लोहिया आदि को आत्मसात करती जा रही है, अब जनसंघ के संस्थापकों के नाम भाजपा नेताओं के मुंह से कभी- कभी ही सुनाई देेते हैं।
अमेरिका चुनाव, नेहरू और मोदी कनेक्शन…
हिन्दुस्तान-पाकिस्तान बंटवारा का मामला हो या कश्मीर मसला हो मोदी सरकार बनने के बाद हमेशा देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को निशाना बनाया जाता है देश की किसी भी समस्या के लिए नेहरू पर आसानी से आरोप मढ़ दिया जाता है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मित्र अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की हार और बाईडन-कमला हेरिस की जीत का संबंध भी कुछ लोगों ने नेहरू-मोदी से जोड़ दिया है। वाट्सअप युनिवर्सिटी में एक मेसेज काफी चर्चा में है….
अगर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय केंद्र में संयुक्त सचिव रहे पी.वी. गोपालन अपनी बेटी श्यामला को कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी पढऩे नहीं भेजते तो श्यामला वहां विवाह नहीं करती और कमला हैरिस का अमेरिका में जन्म नहीं होता.. यदि कमला वहां पैदा ही नहीं होती तो उसे बाइडन, उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी ही नहीं बनाते और ऐसी हालात में हो सकता था कि डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं हारते और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नारा ‘अपकी बार ट्रंप सरकार’ सफल हो जाता? हकीकत यही है कि ट्रंप की हार और बाईडन-कमला की जीत में कहीं न कहीं नेहरू का हाथ है…? पता नहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हर काम में पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू कब तक टांग अड़ाते रहेंगे…?
राजनीतिक जमीन जाने के बाद ‘घर’ की बारी….
मरवाही उपचुनाव जीतकर अब छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या 70 हो गई है, नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यह एक रिकार्ड है और यह रिकार्ड बनाने में भूपेश बघेल की बतौर कांग्रेस अध्यक्ष/ मुख्यमंत्री महत्वपूर्ण भूमिका रही है, विपक्षी दल भाजपा का 14 सीटों में सिमटना तथा क्षेत्रीय दल जोगी कांग्रेस का 5 सीटों में जीत (अब 4 बची) भी रिकार्ड है। हाल ही में 19 सालों तक मरवाही में कब्जा करने वाला अजीत जोगी का परिवार पहली बार चुनाव नहीं लड़ सका और मरवाही विधानसभा की राजनीतिक जमीन से जोगी परिवार बेदखल हो गया है। क्योंकि उनके पास आदिवासी होने का प्रमाण पत्र ही नहीं है….? खैर राजनीतिक जमीन से बेदखल होने के बाद अब उन्हें रायपुर के सरकारी घर से भी बेघर होने की खबर भी चर्चा में है।
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी को उनकी सरकार नहीं बनने पर डॉ. रमन सिंह सरकार ने कटोरा तालाब स्थित सागौन बंगला आबंटित किया था। तब पूर्व मुख्यमंत्री को केंद्रीय मंत्री का दर्जा तथा सुख सुविधा देने का प्रावधान था बाद में बंगला आदि नहीं देने का निर्णय न्यायालय से हो गया है। खैर अजीत जोगी के निधन के बाद यह बंगला खाली होना था पर यह माना जा रहा था कि श्रीमती रेणु जोगी चूंकि छग विधानसभा में सबसे वरिष्ठ महिला विधायक है। इसलिए उन्हें यह बंगला आबंटित हो सकता है पर खबर मिली है कि लोकनिर्माण विभाग द्वारा पहले जोगी बंगला छोड़कर अन्य पुराने दफ्तरों, आवास गृहों को तोड़कर काम्पलेक्स बनाने की योजना बनाई थी। पर अजीत जोगी के निधन के बाद जोगी बंगले को भी पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया गया है। लोनिवि के मुख्य अधीक्षण अभियंता की माने तो जल्द ही काम्पलेक्स बनाने का काम शुरू हो जाएगा जाहिर है कि जल्दी ही सागौन बंगला खाली करने नोटिस भी जोगी के परिजनों के पास पहुंच जाएगा। वैसे विधायक रेणु जोगी को सरकार उनकी वरिष्ठता के आधार पर कोई बंगला आबंटित कर सकती है।
और अब बस….
0 अपने आक्रामक तेवर के लिए चर्चित बिलासपुर के विधायक शैलेश पांडे द्वारा वर्चुअल उद्घाटन समारोह में बिलासपुर पुलिस पर वसूली का आरोप गृहमंत्री के सामने लगाना चर्चा में है।
0 दिसंबर के पहले सप्ताह एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल की अभी से चर्चा है।
0 कुछ पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) तथा कुछ पुलिस अधीक्षक (एसपी) की तबादला सूची दीपावली बाद आएगी।
0 छत्तीसगढ़ में कोरोना से मौत का आंकड़ा 2500 को पार कर गया है। त्यौहारों में सतर्कता की अपील की गई है।