कोलकाता : केंद्र बनाम राज्य की जंग खत्म होती नहीं दिख रही है। ममता और मोदी की तरकरार में बंगाल के पूर्व सचिव अलपन बंदोपाध्याय पिस गए। बंगाल के मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए अलपन बंदोपाध्याय के मुख्यमंत्री ममता के सलाहकार बनने के चंद घंटे बाद ही उन्हें केंद्र की तरफ से कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया। इस नोटिस में पूर्व सचिव बंदोपाध्याय को 72 घंटे का वक्त देते हुए केंद्र ने लिखित स्पष्टीकरण मांगा है कि उनके विरुद्ध आपदा प्रबंधन ऐक्ट 2005 की धारा 51 के तहत ऐक्शन क्यों न लिया जाए। इस प्रावधान के तहत दो साल तक की कैद हो सकती है।
सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद ही बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव और ममता बनर्जी के सलाहकार अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र सरकार की ओर से कारण बताओ नोटिस करने पर विशेषज्ञ की अलग-अलग राय है। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह कदम टिकने वाला नहीं है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि सेवा नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई शुरू की जा सकती है। इस प्रावधान के तहत दो साल तक की कैद हो सकती है।
कसौटी पर टिकने वाला नहीं है नोटिस
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है। वहीं त्रिपुरा के महाधिवक्ता के रूप में कार्य कर चुके माकपा नेता ने कहा कि किसी बैठक में अनुपस्थिति किसी भी तरह से आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन नहीं है, इसलिए जारी किया गया कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है।यह सीधे तौर पर आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन
वकील लोकनाथ चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के अनुसार, कार्रवाई नहीं करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह उनके सेवा नियमों और आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन है।
कारण बताओ नोटिस का कोई प्रावधान नहीं…
वकील जयंत नारायण चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून की धारा 51-बी के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या है ममता बनाम मोदी विवाद की जड़?
इस विवाद की जड़ चक्रवात यास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में ममता बनर्जी का शामिल न होना है। बीते शुक्रवार को पीएम मोदी चक्रवात से हुए नुकसान का जायजा लेने पीएम पश्चिम बंगाल पहुंचे थे। उनकी सीएम ममता बनर्जी और मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के साथ समीक्षा बैठक थी, लेकिन आरोप है कि ममता बनर्जी ने पीएम को आधे घंटे इंतजार कराया। मुख्य सचिव के साथ बैठक में पहुंची ममता ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी और यह कहकर चली गईं कि उन्हें कुछ दूसरी बैठकों में हिस्सा लेना है।
इस बैठक के बाद ही केंद्र की ओर बंगाल सरकार को पत्र भेजकर बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त करने को कहा गया था। 60 साल की उम्र पूरी कर चुके बंदोपाध्याय को सोमवार को रिटायर्ड होना था, लेकिन उसके पहले ही कोविड मैनेजमेंट के लिए केंद्र से मिली इजाजत से उनका तीन महीने का कार्यकाल बढ़ाया गया था। अब देखना होगा कि ममता बनाम केंद्र की यह लड़ाई किस करवट बैठती है?