शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छत्तीसगढ़िया सीएम भूपेश बघेल तपती दोपहरिया से शाम -रात तक प्रदेश की 90 विधानसभा के औसत 3 गांवों में जाकर अपनी सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की जाँच कर रहे हैं. सरगुजा क्षेत्र का दौरा पूरा करके अपने विधायकों की कार्यप्रणाली का अध्ययन कर जनता के बीच उनकी छवि का आंकलन कर चुके हैं तो वें नौकरशाही की भूमिका पर भी निगाह रख रहे हैँ…कुछ को निलंबित भी कर चुके हैँ, एक आईएएस हटाए गये हैँ तो आईएफएस को निलंबित भी किया …यह आगामी विस चुनाव के लिए एक तरह से समय पूर्व आंकलन है…. छग में 15 साल तक राज करनेवाली भाजपा को 14 सीटों में सिमटाने और उप चुनावों के बाद 71विधायकों का बड़ी संख्या बल वाली कॉंग्रेस अब अगले चुनाव में भी कम से कम 71का टारगेट रखकर चलेगी तभी तो फिर सरकार बनने का सपना साकार होगा।वैसे विधायकों की संख्या बल के चलते राज्यसभा में रिक्त हो रही दोनों सीटें कॉंग्रेस को मिलेगी यह भी तय है
मोदी विरुद्ध भूपेश हो सकता है छ्ग में
अगला विस चुनाव……
इधर 15सालों तक छ्ग में राज करने वाली भाजपा में कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है… प्रदेश प्रभारी डी पूरँदेश्वरी का कहना है कि अगला सीएम कौन होगा…..इसका फैसला हाईकमान करेगा तो, सह प्रभारी नितिन नवीन का कहना है कि छ्ग में अगला विस चुनाव नरेंद्र मोदी और कमल के निशान पर होगा…. यानि प्रदेश के मौजूदा नेतृत्व क़ी कोई बखत नहीं होगी…? सवाल यह है कि छग में कांग्रेस तो भूपेश बघेल को आगे करके चुनाव लड़ेगी यह लगभग तय माना जा रहा है तो भाजपा उनके मुकाबले मोदी के नाम पर चुनाव लड़ेगी…. वैसे पश्चिम बंगाल में भी मोदी विरुद्ध ममता बैनर्जी चुनाव हुआ था और परिणाम ममता के पक्ष में गया था … छ्ग में डॉ रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, धरम लाल कौशिक, विष्णु देव साय, राम विचार नेताम आदि प्रमुख नेता हैं पर उनकी उपेक्षा किसी को समझ में नहीं आ रही है…..चर्चा तो यह भी है कि पिछले लोकसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार विस चुनाव में अधिकांश को बदल दिया जाएगा तथा नये लोगों को तवज्जो दी जाएगी….वैसे प्रधानमंत्री मोदी के एक संदेश ने प्रदेश भाजपा नेताओं की नींद भी उड़ा दी है। इनमें वो नेता शामिल हैं जिनके घर से कोई न कोई राजनीति में है जो या तो चुनाव लड़ चुका है या फिर टिकट का दावेदार है….। क्योंकि मोदी ने पार्टी नेताओं के परिवार के सदस्यों को चुनावी राजनीति में नहीं उतारने का संदेश दिया है। भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, माेदी का यही संदेश लेकर छत्तीसगढ़ का दाैरा कर रही हैं।बहरहाल अभी देखना है कि आगे आगे होता क्या है……?
झीरम घाटी हत्याकांड का सच कौन
छिपाना चाहता है ….?
झीरम घाटी हत्याकांड की नए सिरे से जांच के लिए राज्य शासन द्वारा गठित दो सदस्यीय नए जांच आयोग के कामकाज पर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। राज्य सरकार को इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने झीरम घाटी हत्याकांड की नए सिरे से जांच के लिए राज्य शासन द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच आयोग की वैधानिकता को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की जांच रिपोर्ट को राज्य शासन ने आज तक विधानसभा के पटल पर नहीं रखा है। इस पर चर्चा भी नहीं हुई है।यहाँ यह बताना जरुरी है कि तत्कालीन भाजपा सरकार ने न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग बनाया था। मौजूदा भूपेश सरकार ने सरकार ने जांच का दायरा बढ़ा दिया। अब आयोग आठ बिंदुओं पर जांच कर रहा था । महेंद्र कर्मा की सुरक्षा की समीक्षा क्या प्रोटेक्शन रिव्यू ग्रुप ने की थी…। कर्मा द्वारा मांगी गई अतिरिक्त सुरक्षा पर क्या कार्रवाई की गई….। नंदकुमार पटेल को क्या अतिरिक्त सुरक्षा दी गई थी….। पूर्व के बड़े हमलों की समीक्षा कर कोई कदम उठाया गया….। यूनिफाइड कमांड की नक्सल विरोधी ऑपरेशन में भूमिका….। 25 मई 2013 को बस्तर में कुल कितना पुलिस बल था….? क्या माओवादी बंधक की रिहाई के बदले अपनी मांग मनवाते हैं….? एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के लिए क्या समझौते किए गए….?देखना है कि राज्य शासन के जवाब के बाद हाईकोर्ट क्या फैसला देता है। सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष चाहते क्या हैँ… अभी झीरम की जाँच के खिलाफ कोर्ट गये हैँ तो पहले नान घोटाले की जाँच नहीं होने को लेकर कोर्ट गए थे….?
छ्ग का हेलीकाप्टर क्रेश
दोनों पायलेटों की मौत
छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर एक बड़ा हादसा हो गया है । रनवे के अंतिम छोर पर एक छ्ग शासन का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे के दौरान हेलीकॉप्टर पर सवार दोनों पायलटों कैप्टन पंडा तथा श्रीवास्तव की मौत हो गई। वहीं घटना को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुख जताया है।यह हादसा देर शाम करीब 9.10 बजे का बताया जा रहा है। घटना को लेकर जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि यह हादसा उस वक्त हुआ जब हेलीकॉप्टर रायपुर एयरपोर्ट पर लैंडिंग कर रहा था। जब हेलीकॉप्टर रनवे के अंतिम छोर पर था तभी क्रैश हो गया। हादसा उस वक्त हुआ जब कैप्टन गोपाल कृष्ण पांडा और कैप्टन एपी श्रीवास्तव एयरपोर्ट पर फ्लाइंग प्रैक्टिस कर रहे थे। डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में ये हेलीकाप्टर ख़रीदा गया था। क़ल ही कुछ बड़े अफसर इसी हेलीकाप्टर से शाम को ही सरगुजा से लौटे थे, चूंकि यह हेलीकाप्टर पुराना हो गया था इसलिए सीएम भूपेश बघेल किराए के हेलीकाप्टर से सरगुजा की यात्रा की थी और दौरे में शामिल इस हेलीकाप्टर में कुछ अफसर यात्रा करते रहे थे….।
बस्तर के आदिवासियों के तीर, बरछी, कुल्हाड़ी आदि में नहीं लगता है जंग…
तेरहवीं शताब्दी में सम्राट अशोक के समय बने स्तंभ हालांकि लोहे के बने थे पर उनमें जंग नहीं लगा है कुछ उसी तरह की तकनीक और लोहे का चयन बस्तर के आदिवासी भी करके देशी हथियार तीर, टंगिया, बरछी तथा फरसा आदि बनाते हैं जिनमें जंग नहीं लगता है। वैसे बस्तर के ‘बैल के डील’ के आकार के बैलाडिला में उच्च कोटी का लौह अयस्क पाया जाता है जिनके विषय में एक जापानी दल ने कहा था कि बैलाडिला की एक भी पहाड़ी जापान में होती तो वे द्वितीय विश्वयुद्ध नहीं हारते….।तेरहवीं शताब्दी में सम्राट अशोक ने जिस लौह तकनीक का इस्तेमाल किया था उसी तकनीक का इस्तेमाल बस्तर के जंगलों में रहने वाले आदिवासी भी कर रहे हैं यहीं कारण है कि सम्राट अशोक के स्तंभ तथा आदिवासियों के हथियारों तीर, बरछी, टंगिये तथा फरसे में जंग नहीं लगता है।
छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सूत्रों की मानें तो जाने-अनजाने ही बस्तर के आदिवासियों को लौह अयस्क में छिपे नैनो पार्टिकल्स का ज्ञान हो गया है यही कारण है कि उनके देशी तरीके से बनाये गये हथियारों में जंग नहीं लगता है।
बस्तर के बैलाडिला से निकलने वाला लौह अयस्क विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। एक बार द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद एक जापानी प्रतिनिधि मंडल बैलाडिला के प्रवास पर आया था। वैज्ञानिकों ने बस्तर के ‘बैल के डील’ के आकार की बैलाडिला पहाड़ी में पाये जाने वाले लौह अयस्क पर टिप्पणी भी की थी यदि इन पहाडिय़ों में एक भी पहाड़ी हमारे जापान में होती तो हम द्वितीय विश्व युद्ध नहीं हारते। यानि इतनी महत्वपूर्ण है बैलाडिला की पहाड़ी और वहां से निकलने वाला लौह अयस्क…..। बस्तर के बैलाडिला से निकलने वाले लौह अयस्क की गुणवत्ता उच्च स्तरीय है इसलिए इससे ढाले जाने वाले शिल्प में भी अनूठापन छिपा है। बस्तर में लौह शिल्प का इतिहास प्रागैतिहासिल काल से रहा है। यहां के वनक्षेत्र में रहने वाले आदिवासी देशी तरीके से पारंपरिक तौर पर लौह का चयन कर उसे फौलाद के रूप में ढालते हैं। यहां से बनी कलाकृतियां देश विदेश में चर्चित है।
बस्तर के लौह शिल्पी की माने तो लोहे का चयन भी देशी पद्धति से किया जाता है। पहले लोहे का चयन कर उसे तोड़ मरोड़कर पीटा जाता है। अगर उसमें दरार या किरचें आ जाती हैं तो उसे अनुपयोगी माना जाता है। हथियार बनाने के लिए धातु का लचीलापन होना ही जरूरी है। उसे तपाकर विभिन्न आकार में ढाला जाता है इससे बने तीर, फरसे कुल्हाड़ी आदि का मौसम की मार का असर नहीं होता और न ही उसमें जंग लगती है।दिल्ली की एतिहासिक कुतुब मीनार तो आपने देखा ही होगा, जिसे ईंट से बनी दुनिया की सबसे ऊंची मीनार माना जाता है। इसी कुतुब मीनार के पास ही एक विशाल स्तंभ भी है, जिसे ‘लौह स्तंभ’ कहा जाता है। इसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे, लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है और यह स्तंभ रहस्यों से भरा हुआ भी है। माना जाता है कि यह स्तंभ 1600 साल से भी पुराना है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह शुद्ध लोहे से बना हुआ है और सदियों से खुले आसमान के नीचे खड़ा है, लेकिन आज तक इस पर कभी जंग नहीं लगा…..।
और अब बस…
0 छ्ग के एक कबीना मंत्री और एक छत्तीसगढ़िया आईएएस के बीच विवाद की अब जमकर चर्चा है…..
0कोयला, लोहा तथा अन्य खनिज भंडार होने वाले कलेक्टरों को झारखण्ड की आईएएस पूजा सिंघल से क्या शिक्षा लेनी चाहिए क्या…..?
0छ्ग में पुरानी पेंशन योजना लागू,.राज्य शासन ने जारी किया आदेश….