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मुर्रम सिल्ली बांध या बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव बांध , जिसे मैडम सिल्ली, मोर्डेम सिल्ली भी कहा जाता है मध्यपूर्वी भारत में महानदी की सहायक सिलारी नदी पर मिट्टी से भरा तटबंध बांध है। इसका निर्माण ब्रिटिशराज में मैडम सिल्ली की देखरेख में किया गया था,जिनके नाम पर इसका मूल नाम रखा गया था। यह छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित है,1914से1923 के बीच निर्मित, साइफन स्पिलवे वाला एशिया का पहला बांध है।3 जून1929 को,आरएस राजेंद्रनाथ सूर (सिविल इंजीनियर, मध्य प्रांत) को मुर्रम सिल्ली बांध पर उनके अनुकरणीयकार्यों के लिए जॉर्ज पंचम द्वारा “राय साहब” की उपाधि से सम्मानित किया गया था। माडम सिल्ली रायपुर से लगभग 95 किमी दूर है। छ्ग के सबसे प्रमुख वास्तु शिल्प चमत्कारों में से एक है। इसका प्राथमिक उद्देश्य सिंचाई है।धमतरी जिले में कुल 4 बांध है, जिसमें से एक माडमसिल्ली बांध भी है,जिसे अब बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव बांध के नाम से जाना जाता है।अंग्रेजों के बनाए गए इस बांध में कई खासियत है, माडमसिल्ली बांध पूरे एशिया का एक मात्र साइफान सिस्टम बांध है।इसमें पानी ऊंचाई से नीचे की ओर गिरता है, जिसके कारण खूबसूरत और मनमोहक लगता है। बांध का निर्माण इंग्लैंड निवासी महिला इंजीनियर मैडम सिल्ली ने की थी, जिसके चलते इस बांध का नाम माडम सिल्ली पड़ा बांध की और एक खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए ईंट सीमेंट, लोहे का उपयोग नहीं किया गया था सन् 1914 में निर्माणकार्य शुरू किया गया था,जो सन् 1923 में बनकर तैयार हुआ था।
सायफन सिस्टम वाला
देश का एकलौता बांध
देश का ये एकलौता बांध है जो सायफन सिस्टम होने के साथ चालू हालत में है, करीब 100 साल की उम्र बीत जाने के बाद भी इस बांध की मजबूती में कोई फर्क नहीं आया है।आज भी इसके सभी गेट चालू हालत में है।बारिश मे बांध भरते ही ऑटोमेटिक साय फन गेट से पानी निकलना शुरू हो जाता है। इस बांध में 34 सायफन सिस्टम हैं इसके अंदर बेबी सायफन भी हैं।