विशाल यादव एक नेक नीयत राजनेता जो मध्यप्रदेश की किस्मत बदलने आया था, जो गुंडाराज से प्रदेश को मुक्ति दिलाने आया था, जो सूबे की नई इबारत लिखने आया था, आज उसकी भीगी हुई पलकें बहुत कुछ कह रही हैं। वह भले ही मौन है, पर उसके पीछे हुए षड्यंत्र अपना भांडा खुद फोड़ रहे हैं। 40 साल से भी ज्यादा का अपना राजनीतिक अनुभव रखने वाले कमलनाथ को इस तरह अवसरवादी धोखा देंगे ये उन्होंने नहीं सोचा था। कमलनाथ के हाथ से भले ही सत्ता चली गई हो लेकिन इसके बाद भी कार्यकर्ताओं और आम लोगों का जो प्यार उन्हें मिला वो इस बात को साबित करता है कि वो एक नेक नियत से प्रदेश के विकास करने निकले थे। इस्तीफा देने के बाद जब कमलनाथ जिंदाबाद.. कमलनाथ हम तुम्हारे साथ हैं… के नारे गूंजे तो मेरे सामने वही सीन सामने आ गया जब कमलनाथ प्रदेशभर में अपने कार्यकर्ताओं से मिलने निकले थे और लाखों की भीड़ कई चौराहों को पाटे हुई थी। उस समय भी वही विश्वास उन पर दिखा था जो आज दिखा। बस उसदिन भीड़ उन्हें फूलों से लादे जा रही थी और आज नारों और साथ देने का वादा उन्हें फिर से पूरी ताकत से सामना करने के लिए कहती दिखी। इस बीच कमलनाथ अपनों के इस प्यार और स्नेह को दर्द में छिपा नहीं सके …देखते ही देखते उनकी आंखों की नमी ने बहुत कुछ कह दिया। इसके बाद भी कांग्रेस की ताकत बनाए रखने की कोशिश वो करते दिखे और अपनी मुस्कुराहट से कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाते रहे। जनता के विश्वास को तार-तार होते हर कोई देख रहा था। लेकिन एक बेहतर और राजनीतिक अनुभव रखने वाले नेता की आशाओं को भी तार-तार होते देखा गया। ( गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले…)