बेबसी का इक समंदर दूर तक फैला हुआ….. और कश्ती कागजी पतवार के साये में है…..

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     

दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी चर्चा में रही।सीबीआई और बाद में ईडी ने दिल्ली सरकार की साल 2021 की शराब नीति में अनियमितताओं के सिलसिले में ये गिरफ़्तारी की है।इस गिरफ़्तारी को आम आदमी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों ने राजनीति से प्रेरित बताया है।पार्टियों का कहना है कि केंद्र सरकार उन राज्यों के मंत्रियों और नेताओं को निशाना कर रही है जहाँ विपक्षी पार्टियाँ सरकार चला रही हैं।इसी तरह छ्त्तीसगढ़ में एक ओर केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी पूरी तरह सक्रिय है।एक के बाद एक छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के नेताओं और कई नौकरशाहों को 2020 में हुए कोयले से जुड़े एक घोटाले के मामले में अक्टूबर 2022 से कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर पूछताछ के लिए समन जारी किया जा रहा है और कुछ की गिरफ्तारियाँ की जा चुकी हैं।अभी कुछ आईएएस के बाद आईपीएस निशाने पर हैं?बीते कुछ महीनों से बार-बार ये बात विपक्ष और एक तबका दोहरा रहा है कि केंद्रीय एजेंसियों को मोदी सरकार विपक्ष को ‘काबू’ में करने के लिए इस्तेमाल कर रही है।बीते साल मार्च में लोकसभा में दिए गए जवाब में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि साल 2004 से लेकर 2014 तक ईडी ने 112 जगहों पर छापेमारी की और 5346 करोड़ की संपत्ति ज़ब्त की गई।लेकिन साल 2014 से लेकर 2022 के आठ वर्षों के बीजेपी के शासनकाल में ईडी ने 3010 छापा मारा और लगभग एक लाख करोड़ की संपत्ति अटैच की गई। पिछले आठ सालों में राजनीतिक लोगों के ख़िलाफ़ ईडी के मामले चार गुना बढ़े हैं. साल 2014 से 2022 के बीच 121 बड़े राजनेताओं से जुड़े मामलों की जाँच ईडी कर रही है, इनमें से 115 नेता विपक्षी पार्टियों से हैं यानी 95 फ़ीसदी मामले विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ हैं।अब इसकी तुलना यूपीए के समय से करें तो 2004 से लेकर 2014 के दस सालों में 26 नेताओं की जाँच ईडी ने की इनमें से 14 नेता विपक्षी पार्टियों के थे।
हालांकि दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं है जो सांसदों और विधायकों के खिलाफ़ दर्ज़ केस की जानकारी देता हो ‘हम आम केस और राजनेताओं के केस को अलग-अलग तरह से नहीं देखते’।ईडी की तरह सीबीआई के मुकदमों के आंकड़े देखें तो यूपीए के दस सालों में 72 राजनेता सीबीआई के स्कैनर में आए और उनमें से 43 नेता विपक्ष के थे यानी तकरीबन 60प्रतिशत…साल 2014 से लेकर 2022 तक एनडीए की सरकार में 124 नेता सीबीआई के शिकंजे में आए और इनमें से 118 नेता विपक्षी पार्टी के थे यानी 95 फ़ीसदी विपक्ष के नेता है।

छ्ग भाजपा के विधायक और टिकट……  

भाजपा के छत्तीसगढ़ संगठन प्रभारी ओम माथुर का बड़ा बयान सामने आया है। उनके अनुसार चुनाव में हर राज्य का अपना अलग फार्मूला लागू होता है, यह जरूरी नहीं कि हम जहां जीते हैं, उस फार्मूले को दूसरे राज्य में लागू किया जाए।गुजरात और उत्तरप्रदेश की परिस्थितियां अलग थी और छत्तीसगढ़ की परिस्थिति अलग हैँ।(उन्हें शायद यह याद नहीं है कि छ्ग में तत्कालीन केंद्र सरकार में शामिल एक मंत्री सहित सभी सांसदों का टिकट काट दिया गया था) खैर वे कहते हैँ कि विधानसभा चुनाव में जीतने योग्य उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा। उन्होंने इशारा किया कि चुनाव में हार की संभावना वाले विधायकों का टिकट कट सकता है। छत्तीसगढ़ में सीएम का चेहरा भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा।छत्तीसगढ़ में सीएम का चेहरा कौन होगा इसका निर्णय न मैं कर सकता हूं न यहां की टीम कर सकती है। भारतीय जनता पार्टी अनुशासन के साथ काम करती है। यह किसी व्यक्ति परिवार या समाज की पार्टी नहीं है। पार्टी का सिस्टम बना हुआ है। यह सब सेंट्रल पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करता है। कई जगह चेहरा घोषित करके चुनाव लड़े हैं और कई जगह बिना सीएम के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरे हैं।

कॉंग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम नहीं हटेंगे ? 

सूबे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की अटकलों को प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने शिगूफा करार दिया है। सैलजा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बना हुआ है, ऐसे में किसी परिवर्तन की कोई भी आवश्यकता नहीं है। राज्यों में इस तरह की सियासी शिगूफे उड़ते रहते हैं, जिस पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।
दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली प्रवास से लौटने के बाद यह संकेत दिया था कि संगठन मेें बदलाव होगा। इसके बाद राजनीतिक गलियारे मेें यह चर्चा शुरू हो गई कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को बदला जाएगा?सैलजा ने कहा कि प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होना है।छग में भूपेश बघेल सरकार ने जिन मापदंडों को तय कर प्रदेश के लोगों के हित में काम किया है,संगठन उन्हीं योजनाओं को लेकर प्रदेश में काम कर रही है। आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इसे ही आधार बनाकर आगे बढ़ेगी और फिर सत्तासीन होगी।

और अब बस…

0छ्ग के विवेकानंद एयरपोर्ट क़ो निजी हाथों क़ो सोंपने के निर्णय पर अंतिम मुहर लग गईं है।
0सत्ताधारी दल कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित कुछ विधायकों द्वारा मंत्रियों को विस में घेरना चर्चा में रहा…
0विस सत्र के बाद कुछ एसपी, कलेक्टर, एएसपी, डीएसपी, पुलिस निरिक्षकों का तबादला होना तय है।
0हसदेव अरण्य में समस्त कोल ब्लाक रद्द करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है पर भूमि डायवर्सन अभी तक रद्द नहीं किया है…?

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