एक डाक्टर, जिसने कोरोना की गंभीरता को समझा

बाल किशन यादव  , खरगोन।  हमारे समाज में डॉक्टर को ईश्वर के समान माना जाता है। डॉक्टर, जो नाडी और पल्स देखकर व्यक्ति के रोग या बीमारी का हाल मालूम कर लेता है। इस दौर में जब हमारे सामने कोरोना जैसी महामारी ने हालाब बेकाबू कर दिए है। ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर और उपचार से जुड़े पेशेवर व्यक्तियों से समाज को एक नई दिशा मिले, ऐसी हर किसी को उम्मीद रहती है। कोरोना काल में जब शासन ने भी निजी डॉक्टरों से कोरोना महामारी में कार्य लेने की नहीं सोची थी, उससे पूर्व शहर के चिंतनशील डॉक्टर रविश सराफ ने इस महामारी की गंभीरता को समझा। वे ऐसे पहले निजी डॉक्टर है, जिन्होंने अपनी स्वेच्छा से जिला अस्पताल में स्थित फीवर क्लिनिक और कोविड वार्ड में अपनी सेवाएं प्रारंभ कर दी थी। जब शासन की ओर से निजी डॉक्टरों का सहयोग कोरोना महामारी में लेने का आदेश हुआ, उसके बाद भी वे लगातार कोरोना काल में ऐसे मरीजों का उपचार करते रहे। लगातार 2 माह तक वे अपने परिवार से दूर रहकर होटल का भोजन लेकर कार्य करते रहे। आज 1 जुलाई डॉक्टर्स-डे पर न समाज बल्कि सरकार भी ऐसे डॉक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका का समझती है और उनका हृदय से आभार व्यक्त करती है। डॉ. रविश सराफ जैसे डॉक्टरों का राज्य स्तर से सम्मान किया गया। उन्हें मप्र शासन के स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने प्रशंसा पत्र देकर खरगोन को भी गौरवांवित किया है।

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