किसानों को मनाने का प्रयास’मन की बात’से पीएम ने उदाहरण देकर समझाए नए कानून के फायदे

नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों का प्रदर्शन जारी है। आंदोलन कर रहे किसानों ने केंद्र के बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के जरिए एक बार फिर किसानों का मन बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा है कि बीते दिनों हुए कृषि सुधारों से किसानों के लिए नई संभावनाओं को द्वार खुले हैं। उदाहरण देकर नए अधिकार और अवसर भी प्राप्त हुए हैं।

पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीतें दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।’
विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बरसों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वादा किया था। वो मांगे पूरी हुई हैं। काफी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया है।’

उन्होंने कहा, ‘इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं। नए अवसर भी मिले हैं। पीएम मोदी ने कहा, कानून में एक और बहुत बड़ी बात है, इस कानून में ये प्रावधान किया गया है कि क्षेत्र के एसडीएम को एक महीने के भीतर ही किसान की शिकायत का निपटारा करना होगा। उन्होंने महाराष्ट्र के एक किसान जितेंद्र भोइजी का उदाहरण देकर बताया कि कैसे उन्होंने नए कानून का फायदा उठाकर अपना बकाया वसूल कर लिया।

‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि की पढ़ाई कर रहे छात्रों से गांवों के किसानों को कृषि सुधारों और आधुनिक कृषि को लेकर जागरुक कर देश में हो रहे बदलाव का सहभागी बनने की अपील की।

दूसरी तरफ, कृषि कानूनों को लेकर लगातार तीन दिनों से आंदोलनरत किसान रविवार को भी अपना प्रदर्शन जारी रखने को लेकर अडिग हैं। किसान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का यह प्रस्ताव मानने को तैयार नहीं हैं कि पहले वे शांतिपूर्वक बुराडी के निरंकारी मैदान में शिफ्ट हों तो सरकार दूसरे ही दिन उनसे बात करेगी।

शनिवार को रात भर दिल्ली-हरियाणा को जोड़ने वाले सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षाबलों की तैनाती रही। किसानों ने कल ही स्पष्ट कर दिया था कि वो यहां से कहीं नहीं जाएंगे। आज एक बार फिर सिंघु बॉर्डर पर ही किसानों की बैठक शुरू हो गई है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा हो रही है।

 

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