शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौथी बार पदभार सम्हालने के बाद भाजपा- जनता पार्टी के मुख्यमंत्रियों में रिकार्ड बना चुके हैं हालांकि लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड अभी भी छग के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नाम दर्ज है तो छत्तीसगढ़ बनने के बाद 68 (बाद में उपचुनाव के बाद 69) सीटें हासिल कर मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड भूपेश बघेल के नाम दर्ज हो चुका है।
भारत के राज्यों में 4610 दिनों तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड गुजरात भाजपा के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी के नाम था। जिसे डॉ. रमन सिंह ने तोड़ दिया था। 15 सालों तक लगातार छग के मुख्यमंत्री रहकर डॉ. रमन सिंह ने भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री में सबसे लंबी पारी अनवरत खेलने का रिकार्ड बनाया है जो अभी भी कायम है। हालांकि पिछले विस चुनाव में भाजपा की सरकार नहीं बनी lवहीं चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम दर्ज हो गया है। हालांकि वे डॉ. रमन सिंह के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने के रिकार्ड से करीब 3 साल पीछे चल रहे हैं। म.प्र. में छत्तीसगढ़ अलग होने के बाद म.प्र. तथा छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2003 में भाजपा की सरकार बनी थी। छग में 7 दिसंबर 2003 को डॉ. रमन सिंह ने शपथ ली थी। वहीं म.प्र. में उमा भारती मुख्यमंत्री बनी, बाद में बाबूलाल गौर ने मुख्यमंत्री का पदभार सम्हाला और उसके बाद शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने और 2019 के विधानसभा चुनाव तक यानि करीब 12 साल तक वे 3 बार लगातार मुख्यमंत्री बनते रहे। पिछले विस चुनाव में कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभरी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने पर उन्हीं की पार्टी के एक बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत, 22 कांग्रेसी विधायकों का इस्तीफा आदि के चलते कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और विश्वासमत का सामना करने के पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया और विधायकों की मौजूदा संख्या के आधार पर भाजपा की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बन गये हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों में भैरोसिंह शेखावत (राजस्थान) 2840 दिन तक मुख्यमंत्री रहे पर वह भी लगातार नहीं रहे, उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भी अलग-अलग कार्यकाल में कुल 2840 दिन पद पर बने रहे, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर परिकर 2548 दिन, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार 3783 दिन, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा 2278 दिन तक मुख्यमंत्री रहे दिल्ली में स्व. मदनलाल खुराना, साहेब सिंह वर्मा, कर्नाटक में वीवीएस यदुरप्पा, गुजरात के केशूभाई पटेल का कार्यकाल भी लंबा नहीं रहा है।
छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल…
छत्तीसगढ़ में 15 साल से जमी भाजपा की सरकार को 15 सीटों में सिमटााकर 68 सीटें जीतकर कांग्रेस की सरकार बनाने का रिकार्ड बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के नाम ही दर्ज हो गया है। वे ही छग के मुख्यमंत्री भी बने हालांकि उनका कार्यकाल अभी कुछ ही महीनों का हुआ है पर डॉ. रमन सिंह तथा छग के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जोगी कांग्रेस से दो तरफा हमले के बीच कांग्रेस को 68 सीटें (उपचुनाव के बाद 69) जिताना बड़ी उपलब्धि तो रही साथ ही एक रिकार्ड भी बनाl छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के तीनों कार्यकाल में 50-55 के बीच ही सत्ताधारी दल का आंकड़ा सिमटता रहा था। वहीं पिछले 3 लोकसभा चुनाव में भाजपा 10 तथा कांग्रेस को एक ही सीट मिलती थी। इस बार मोदी की आंधी व्हाया पुलवामा व्हाया पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राईक के बीच छग में 2 लोकसभा सीटें मिली है। इसके एक बस्तर बेदूराम कश्यप तथा कोरबा ज्योत्सना डॉ. चरणदास महंत की जीत भी हुई है जबकि पिछले लोस चुनाव में राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया (अब भाजपा में) जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गये हैं। एक बात उल्लेखनीय है कि बस्तर एवं सरगुजा जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा का कोई भी वर्तमान में विधानसभा का सदस्य नहीं है यानि बस्तर-सरगुजा भाजपा मुक्त हो गया है।
डीजीपी विवेक जौहरी और छग…
1984 बैच के आईपीएस तथा 87-88 में अविभाजित म.प्र. के समय छत्तीसगढ़ के प्रमुख रायपुर जिले में ग्रामीण तथा शहर में कुछ समय तक एडीशनल एसपी की जिम्मेदारी सम्हालने वाले विवेक जौहरी ने हाल ही में बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के महानिदेशक के प्रतिष्ठापूर्ण पद को छोड़कर म.प्र. का पुलिस महानिदेशक का पदभार सम्हाल लिया है। उनकी नियुक्ति 2 साल के लिए हुई है हालांकि जब उनकी सेवानिवृत्ति होगी वे पद मुक्त हो जाएंगे। असल में सीआरपीएफ, बीएसएफ या हैदराबााद पुलिस एकादमी का मुखिया होना किसी भी आईपीएस का सपना होता है। चूंकि कुछ माह शेष है तथा म.प्र. में ही कुछ पुरानी यादों के चलते वहीं बसने की इच्छा रखने वाले विवेक जौहरी ने बीएसएफ के डीजी का पद छोडऩे का निर्णय लिया होगा। उनके पिता भी आबकारी विभाग में बड़े अफसर रहकर म.प्र. में कई स्थानों पर पदस्थ रहे हैं। वैसे जब विवेक रायपुर में पदस्थ थे तब छग के वर्तमान डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी आईपीएस प्रशिक्षण लेकर बतौर एएसपी का काम देख रहे थे। उस समय रायपुर में सुनील कुमार (1979 बैच के आईएएस) कलेक्टर थे तो( 1973 बैच केआईपीएस ) सीपीजी उन्नी पुलिस अधीक्षक थे।
वैसे अविभाजित म.प्र. के समय रायपुर में पदस्थ कुछ अफसर बाद में म.प्र. के पुलिस मुखिया भी बने थे। रायपुर में डीआईजी के रूप में पदस्थ एचएम जोशी (83-84) विराज कृष्ण मुखर्जी (84-86) आईजी के रूप में पदस्थ एम नटराजन (89) डीपी खन्ना (96) अयोध्यानाथ पाठक (97) बीपी सिंह (98-99) में डीजीपी बने। वहीं छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बनने के बाद भी म.प्र. के समय छग में पदस्थ कुछ अफसर डीजीपी बने। छत्तीसगढ़ में बतौर आईजी पदस्थ ए.एन. सिंह (2002) दिनेश चंद्र जुगरान (2002-2003) श्रवण कुमार दास (2003-2005) स्वराजपुरी (बिलासपुर में पदस्थ रहे) 2005-2006) नंदन दुबे (एसपी रायपुर) (2012-2014) सुरेन्द्र सिंह (दुर्ग एसपी) (2014-2016) ऋषि कुमार शुक्ला (रायपुर में आईपीएस प्रशिक्षण) 2016-2019) विजय कुमार सिंह (जगदलपुर में एसपी) (2019) में डीजीपी रह चुके हैं। एक बात उल्लेखनीय है कि डीजीपी रहे डीपी खन्ना तथा उनके दामाद ऋषि कुमार शुक्ला दोनों म.प्र. के डीजीपी रहे यानि ससुर तथा दामाद का डीजीपी रहने का भी एक रिकार्ड बन चुका है। ज्ञात रहे कि पहले अविभाजित म.प्र. में आईजी ही पुलिस प्रमुख होता था। 23 मार्च 82 को पहले डीजीपी के रूप में बीपी दुबे की नियुक्ति की गई थीl
अशोक जुनेजा को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अफसर अशोक जुनेजा को एण्टी नक्सल आपरेशन के साथ ही एस.टी.एफ का चीफ बनाया है। अभी तक यह जिम्मेदारी डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी सम्हाल रहे थे। वैसे पता नहीं क्या भीतर चल रहा है नहीं तो अभी तक संजय पिल्ले, आर.के. विज तथा अशोक जुनेजा को डीजी पदोन्नत हो जाना था, बहरहाल रायगढ़, बिलासपुर, दुर्ग तथा रायपुर में पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर-दुर्ग में पुलिस महानिरीक्षक, संचालक खेल, परिवहन, एडीजी गुप्तवार्ता प्रशिक्षण भर्ती, प्रशासन एडीजी होमगार्ड आदि की जिम्मेदारी सम्हाल चुके अशोक जुनेजा का दिल्ली स्तर पर भी अच्छा प्रभाव माना जाता है। वर्तमान में छग के मुख्य सचिव आरपी मंडल के साथ बिलासपुर- रायपुर में बतौर एसपी भी कार्यकर चुके जुनेजा की गिनती संजीदा तथा गंभीर अफसरों में होती है। जूनेजा केबारे में 2 बाते होती रहती हैं, पहला कि उन्हें आईपीएस की किसी भी लाबी का हिस्सा नहीं माना जाता है, दूसरा उनके राजनेताओं तथा अफसरों से संबंध पूरी तरफ प्रोफेशनल है। वैसे अशोक जुनेजा को जनवरी 19 में भारत सरकार ने एडीजी एम्पैनल किया था। 1989 बैच के 77 आईपीएस अफसरों में केवल 20 को ही इसके योग्य समझा गया था, छग गठन के बाद केवल 3 अफसरों को भारत सरकार ने इम्पैनल किया है वैसे छत्तीसगढ़ बनने के बाद 3अफसर ही केंद्र में एडीजी इम्पैनल हुए हैँ जिसमें ओ,पी. राठौर, गिरधारी नायक शामिल थे। एडीजी इम्पैनल का मतलब है कि यदि अशोक जुनेजा प्रतिनियुक्ति में जाते हैं तो उन्हें एडीजी या समकक्ष के पद पर नियुक्त किया जाएगा।
और अब बस….
0 जल्दी-जल्दी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों सहित कुछ अन्य क्षेत्रों के पुलिस कप्तानों को बदलने के पीछे आ आखिर क्या वजह है…।
0 पहले भाजपा के कार्यकाल में कवर्धा- राजनांदगांव में पदस्थ अफसर प्रभावशाली पदों पर होते थे पर भूपेश कार्यकाल में दुर्ग जिले में पदस्थ अफसर प्रभावशाली भूमिका में है।
0 कोरोना समस्या से निपटने तथा आम लोगों को राहत पहुंचाने भूपेश बघेल- आर.पी. मंडल की सक्रियता की चर्चा दिल्ली तक में है।
0 स्प्रीट पीकर 2 लोगों की मौत के बाद सरकार जल्दी ही शराब दुकान को खोलने की तैयारी में है।