नई दिल्ली : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने राज्य में राजनीतिक दलो की भौतिक रैलियों को प्रतिबंधित कर दिया है।
हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने अपने आदेश में राजनीतिक दलों को भौतिक सभाओं से रोक दिया है, जब तक कि उन्हें जिलाधिकारियों और चुनाव आयोग से यह प्रमाणित नहीं किया गया हो कि वर्चु्अल चुनाव अभियान संभव नहीं है। अगर भौतिक सभा करने की इजाजत मिल भी जाती है तो, राजनीतिक दल को इसके लिए धन राशि जमा कराने की आवश्यकता होगी। यह धन राशि “सभा में अपेक्षित लोगों की संख्या की सुरक्षा और सैनेटाइजेशन के लिए जरूरी मास्क और सैनेटाइजर की दोगुनी खरीद करने के लिए पर्याप्त” होनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित उम्मीदवार सभाओं में मौजूद लोगों को मास्क और सैनेटाइजर के वितरण के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार होंगे।
चुनाव आयोग ने तर्क दिया है कि हाईकोर्ट का 20 अक्तूबर का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगातार दिए गए आदेशों की अवहेलना करता है। आयोग ने कहा सर्वोच्च अदालत अपने आदेशों में यह कहता रहा है कि चुनाव आयोग चुनाव प्रक्रिया के संचालन और पर्यवेक्षण के लिए एकमात्र प्राधिकरण है और बहु-स्तरीय चुनाव प्रक्रिया में अदालतों को हस्तक्षेप करने से रोकता है।
चुनाव आयोग ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देशों ने ‘कोविड-19 – अगस्त 2020 के आम चुनाव / उपचुनाव के लिए व्यापक दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।’
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने पिछले हफ्ते कोरोना महामारी के बीच सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) को सुनिश्चित करने के लिए चुनावी रैलियों में 100 से अधिक लोगों को शामिल करने वाली किसी भी राजनीतिक रैली के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति दी थी।
ग्वालियर पीठ के न्यायमूर्ति शील नागू और न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने अधिवक्ता आशीष प्रताप द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया था।
मध्यप्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने उपचुनाव के लिए मंगलवार (29 सितंबर) को तारीखों की घोषणा की थी। चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। इसी के साथ राज्य में चुनावी रैलियों का दौर शुरू हो चुका है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गुरुवार को अपनी चुनावी रैलियों को निरस्त करना पड़ा था।
इसे लेकर राज्य के मुख्यमंत्री चौहान ने गुरुवार को कहा था, “हम उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जा रहे हैं। बिहार में हर दिन राजनीतिक रैलियां हो रही हैं। एक देश में इस तरह का विरोधाभासी कानून नहीं हो सकता है।”