पहली से पांचवीं तक बच्चों में पठन कौशल विकसित करने की योजना 

इस वर्ष अप्रैल का पूरा माह पठन कौशल विकसित करने के लिए समर्पित होगा

जिला कलेक्टरों को एक सप्ताह के भीतर रूपरेखा तैयार कर भेजने के निर्देश

रायपुर। छोटे बच्चों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण पढ़ने का कौशल है। यदि बच्चा समझ कर पढ़ सकता है तभी पाठ्य पुस्तकों का महत्व है। इसे ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने छोटे बच्चों में पढ़ने का कौशल विकसित करने की योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत इस वर्ष अप्रैल का पूरा माह कक्षा पहली से पांच तक बच्चों में पठन कौशल विकसित करने के लिए समर्पित होगा, जिससे सभी बच्चे समझकर पढ़ना सीख सके। पठन कौशल विकसित करने के लिए संकुल स्तर से लेकर राज्य स्तर तक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। पूरे प्रदेश की प्राथमिक शालाओं के 17 लाख बच्चे इससे लाभान्वित होंगे।

स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डाॅ. आलोक शुक्ला ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र भेजकर योजना के संबंध में अवगत कराते हुए इस कार्यक्रम के संचालन के लिए जिले की रूपरेखा बनाकर एक सप्ताह के भीतर भेजने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टरों को जारी पत्र में कहा गया है कि सभी स्कूलों में प्राथमिक स्तर पर मूल्यांकन कार्य मार्च माह में पूरा कर लिया जाएगा, जिससे अप्रैल का पूरा माह पठन कौशल के विकास में लगाया जा सके। सभी जिलों में मार्च माह में स्कूल स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित कर पठन कौशल के विकास के लिए पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य पठन सामग्री का चयन भी कर लिया जाएगा। यह सामग्री सभी प्राथमिक स्कूलों में उपलब्ध कराई जाएगी। यह सामग्री पुस्तकालयों में उपलब्ध हो सकती है। इसी प्रकार अनेक अखबारों में सप्ताह में एक बार बच्चों की पत्रिका छपती है, जिसकी कटिंग निःशुल्क मिल सकती है। इसी प्रकार कहीं-कहीं बाल पत्रिकाएं उपलब्ध हो सकती है।

कलेक्टरों से कहा गया है कि पठन का कार्य आनंददायी हो इसके लिए खेल और गतिविधियां बनाई जाए। जैसे- पासिंग द पार्सल, म्युजिकल चेयर्स, रोलप्ले, गाकर पढ़ना, बातचीत अभिनय बाजार के अथवा अन्य प्रकार के दृश्य का चित्रण आदि। इसी प्रकार पढ़ने के लिए कबाड़ से जुगाड़ करके टीचर लर्निंग मटेरियल (टीएलएम) भी बनाए जाएंगे। हर संकुल में इस प्रकार कम से कम 100 खेलों और टीएलएम की सूची तैयार रखनी चाहिए, जिससे बच्चे मजे लेकर पढ़ना सीख सकें।

पूरे अप्रैल माह में स्कूलों में पूरा दिन बच्चों को पढ़ने का कौशल सिखाया जाएगा। इसी ठीक प्रकार से माॅनिटरिंग हो इसके लिए कलेक्टर दल बनाएं और हर स्कूल का निरीक्षण दिन में कम से कम एक बार किसी न किसी अधिकारी द्वारा किया जाए। कलेक्टर अपने जिले में इस माॅनिटरिंग व्यवस्था के लिए पूरी योजना बनाकर प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा से साझा करें। इसमें शिक्षा विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागों के अधिकारियों का उपयोग भी किया जा सकता है।

अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में प्रत्येक संकुल में उस संकुल की प्राथमिक शालाओं की पढ़ने की एक प्रतियोगिता होगी। इस प्रतियोगिता में बच्चों की माताएं निर्णायक का काम करेगी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी इस प्रतियोगिता के अवसर पर उपस्थित रहने का अनुरोध किया जाएगा। संकुल स्तर पर यह प्रतियोगिता एक इवेन्ट की तरह होगी। जिसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। यह प्रतियोगिता एक प्रकार से पेरेन्ट-टीचर मीटिंग का काम करेगी। इसमें परीक्षा यह होगी कि हमारी मेहनत से बच्चों की माताएं कितनी संतुष्ट हुई है। हमारी सफलता माताओं की संतुष्टी में ही है।

संकुल स्तर की प्रतियोगिता में विजयी स्कूलों को विकास खण्ड स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेना होगा और विकास खण्ड स्तर पर विजयी स्कूल जिला स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेंगे। जिला स्तर पर विजयी स्कूल को राज्य स्तर पर भेजा जाएगा। संकुल, विकास खण्ड और जिला स्तर की प्रतियोगिताएं अप्रैल माह में पूरी कर ली जाएंगी। कलेक्टरों को इसके लिए समय सारणी तैयार करनी है।

मई माह में किसी एक दिन राज्य स्तर का कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में सभी स्कूलों के बच्चे अपने-अपने स्कूल में एक ही समय पर, एक साथ एक पाठ पढे़ंगे। उसी समय राज्य स्तर पर पूरे प्रदेश के हर जिले से आई टीमें भी राज्य स्तर के कार्यक्रम में उसी पाठ को पढे़गी। इस प्रकार पूरे प्रदेश की प्राथमिक शालाओं के 17 लाख बच्चे एक साथ पढ़ेंगे जिससे सारी दुनिया देख सके की छत्तीसगढ़ के बच्चों ने अब पठन कौशल सीख लिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *