वाशिंगटन : अमेरिका के कैलिफोर्निया में एक भारतीय-अमेरिकी महिला को घरेलू सहायकों से न्यूनतम वेतन में 18 घंटे काम कराने,उन्हें डराने, धमकाने और पीटने के मामले में 15 साल की सजा सुनाई गई है। शर्मिष्ठा बरई और उनके पति सतीश कार्टन को जबरन श्रम कराने की साजिश रचने का दोषी ठहराया गया है। कार्टन को 22 अक्तूबर को सजा सुनाई जाएगी।
मजदूरी का कुछ ही भुगतान किया जाता था…
सहायक अटॉर्नी जनरल एरिक ड्रिबैंड ने कहा कि अमेरिका ने 150 साल पहले दासता और अनैच्छिक दासता को खत्म कर दिया था। फिर भी, अमानवीय श्रम कराया जा रहा है और लोगों की आजादी छीनी जा रही है। मानव तस्कर आधुनिक समय में नौकरों के मालिक हैं, जो मुनाफा और अन्य घृणित उद्देश्यों के लिए अन्य दूसरे मनुष्यों का शोषण करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय दंपती, पीड़ितों से न्यूनतम वेतन पर डरा-धमका कर और हिंसा का इस्तेमाल कर 18 घंटे से अधिक काम कराता था। यह पीड़ितों के व्यक्तिगत अधिकारों, स्वतंत्रता और गरिमा का एक अचेतन उल्लंघन है।
इंटरनेट और भारत के समाचार पत्रों में मजदूरों की मांग वाले विज्ञापनों में…
अदालत में पेश किए गए दस्तावेजों के अनुसार, फरवरी 2014 से अक्तूबर 2016 के बीच कार्टन और बरई ने विदेशों से आए मजदूरों को स्टॉकटन, कैलिफोर्निया में अपने घर में घरेलू काम करने के लिए रखा था। इंटरनेट और भारत के समाचार पत्रों में मजदूरों की मांग वाले विज्ञापनों में उन्होंने मजदूरी और रोजगार की शर्तों के बारे में झूठे दावे किए थे। संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया कि मजदूरों के यहां आते ही कार्टन और बरई उनसे एक दिन में 18 घंटे काम कराते थे और उन्हें उचित आहार एवं आराम भी नहीं दिया जाता था। उन्हें मजदूरी का कुछ ही भुगतान किया जाता था।