प्रियंका कौशल, रायपुर। छत्तीसगढ़ के पौने दो लाख कर्मचारी अपने नियमतिकरण को लेकर सरकार का मुंह ताक रहे हैं। इस कोरोना काल में उनकी स्थिति पहले से अधिक चिंताजनक हो गई है। ये वो कर्मचारी हैं, जिनका प्रदेश की कांग्रेस सरकार को बनाने में बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि कांग्रेस के नेताओं ने वादा किया था कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा। लेकिन अब जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बने डेढ वर्ष बीत चुका है, तब भी उनकी मांगे ठंडे बस्ते में ही नजर आ रही है। पिछले डेढ़ वर्ष राज्य सरकार ने केवल आईएएस अफसरों की अध्यक्षता वाली दो कमेटियां बनाकर इतिश्री कर ली है। पहली कमेटी तत्कालीन गृह सचिव (वर्तमान में प्रदेश के मुख्यसचिव) आरपी मंडल की अध्यक्षता में बनी।दूसरी कमेटी के अध्यक्ष मनोज कुमार पिगुंआ हैं।
छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय संयोजक गोपाल प्रसाद साहू बताते हैं कि हमारी प्रमुख पांच मांगे हैं। जिसमें अनियमित कर्मचारियों का नियमितिकरण, विगत चार-पांच वर्षों में छंटनी किए गए कर्मचारियों की बहाली, शासकीय सेवाओं में आउटसोर्सिंग को पूरी तरह बंद किया जाना, अंशकालिक कर्मचारियों को पूर्णकालीन किया जाना व वर्ष 2018 में सरकार के खिलाफ आंदोलन करने सड़क पर उतरे 15 अनियमित कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमें को खारिज किए जाने की मांग शामिल है। हमसे कांग्रेस नेताओं ने वादा किया था कि वे हमारी मांगों को पूरा करेंगे। लेकिन अब अभी तक इंतजार ही कर रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 1 लाख 86 हजार 450 अनियमित कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। इसमें अंशकालिक, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा, दैनिक वेतनभोगी, उच्च शिक्षा समेत कई विभाग शामिल हैं। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के सभी नेता हमारे मंच पर आकर हमसे वादा कर चुके हैं कि हमारी मांगे मानी जाएंगी। लेकिन सरकार बनने के बाद से इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया।
बहरहाल, पौने दो लाख कर्मचारियों को अभी भी लगता है कि उनकी मांगे यही सरकार पूरी कर सकती है। इसका कारण ये है कि पिछली सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए कुछ खास नहीं किया था। फिलहाल वे सरकार से राउंड टेबल वार्ता की योजना बना रहे हैं ताकि समस्या का हल जल्दी निकाला जा सके।