रायपुर: कोरोनाकाल में कई उद्योगों की कमर टूट गयी है। कल-कारखाने बन्द हो रहे हैं। कई लोगों के पास जीवनयापन के विकल्प भी नहीं बचे हैं।मजदूरों की दुर्दशा तो पूरे देश ने देखी और उनकी पीड़ा को महसूस किया है। कोरोना महामारी के कारण 22 मार्च से न्यायालय लगभग बन्द हैं।छत्तीसगढ़ में पंजीकृत 26 हजार वकीलों की रोजमर्रा की ज़िंदगी भी प्रभावित हुई है।लगभग 70 फीसदी वकील और उनके परिवार भूखों मरने की स्थिति में हैं।
एडवोकेट एक्ट 1961 के मुताबिक वकील अन्य व्यवसाय नहीं कर सकते। दिल्ली, मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों में वकीलों के वेलफेयर के लिए राज्य सरकारें स्कीम लांच कर चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के वकील अभी भी मदद के लिए राज्य सरकार का मुंह ताकने पर विवश हैं। एडवोकेट आनंद मोहन तिवारी अपने साथियों की आवाज़ बुंलद करने आगे आये हैं।
तिवारी ने बिलासपुर हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की है।