जन्मदिन के बहाने शेखावत ने फिर दिखाए तैवर

– समर्थकों की भीड़ के साथ बदनावर विधानसभा क्षेत्र में दिखाई ताकत   

प्रदीप जोशी
इंदौर। भाजपा के कद्दावर नेता भंवरसिंह शेखावत ने एक बार फिर पार्टी के सामने अपने तैवर दिखाने की कोशिश की। बुधवार को शेखावत का जन्मदिन था और उनके समर्थकों ने बदनावर विधानसभा क्षेत्र में जोरशोर के साथ समारोह आयोजित किए। विधायक की तरह शेखावत पूरी विधानसभा क्षेत्र में समर्थकों के साथ ना सिर्फ घूमे बल्कि दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर उनके स्वागत के लिए समारोह भी आयोजित किए गए थे। यह एक शक्ति प्रदर्शन था जिसे शेखावत की नाराजी से जोड़ कर देखा जा रहा है। पिछले चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार बागी राजेश अग्रवाल की विजयवर्गीय के जरिए हुई पार्टी में वापसी से शेखावत भड़के हुए है। इस मामले में उन्होंने खुले तौर पर विजयवर्गीय के खिलाफ मोर्चा खौल दिया था। यह नाराजी आज भी कायम है जिसका नजारा बुधवार को बदनावर में दिखाई दे गया। जन्मदिन के बहाने किया गया यह शक्ति प्रदर्शन भाजपा संगठन ही नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने भी चेलेंज है जिनकी प्रतिष्ठा बदनावर सीट से जुड़ी हुई है।

सिंधिया को दिखाना चाहते है वजूद –   
राज्यसभा सदस्य के रूप में पहली बार इंदौर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय सहित आधा दर्जन नेताओं के घर जाने का प्रोग्राम बनाया था। इनमे शेखावत का नाम शामिल नहीं किया गया। सिंधिया के कार्यक्रम में दो बार बदलाव हुआ मगर शेखावत उपेक्षित ही रहे। यही कारण रहा कि शेखावत इंदौर में होते हुए भी ना तो विमानतल पर स्वागत के लिए गए और ना ही पार्टी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में गए। सिंधिया द्वारा नजर अंदाज किए जाने पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया तो नहीं दी मगर दो दिन बाद अपने जन्मदिन के बहाने उनके खास सिपहसालार राजवर्धन दत्तीगांव की परेशानी बढ़ाने का काम जरूर कर दिया। जाहिर बात है उप चुनाव में शेखावत की नाराजी भाजपा के लिए संकट का कारण भी बन सकती है। यह संकट जितना भाजपा के लिए है उतना ही दत्तीगांव और सिंधिया के लिए भी है।

दिन भर क्षेत्र में रहे सक्रिय –
बदनावर के पूर्व विधायक शेखावत ने विधायक की हैसियत दिखाने की कोशिश की। बड़ी संख्या में उनके समर्थक सादलपुर में जमा थे। स्वागत सत्कार और मिठाईयां बांटने के बाद काफिले के रूप में वे बदनावर के लिए रवाना हुए। इस बीच रास्ते के अनेक गांव में उनके स्वागत के मंच लगे थे और इन मंचों पर स्वागत के दौरान उन्होंने भाषण भी दिए। बारीश में भीगते हुए भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने शेखावत का स्वागत किया। क्षेत्र में ऐसे करीब दो दर्जन से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित किए गए थे और दिन भर शेखावत पूरी गर्मजोशी के साथ हर कार्यक्रम में शिरकत करते रहे

प्रभुत्व दिखाने का मौका – नहीं छोड़ते शेखावत
अपनी दबंगाई, साफगोई और उन्मुक्त मिजाज के लिए पहचाने जाने वाले शेखावत अपना प्रभुत्व दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते। सिंधिया के साथ जब दत्तीगांव ने विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली तब भी शेखावत ने मुखर होकर विरोध कर दिया था। संगठन की समझाईश पर वे खामौश तो हो गए मगर अपनी हार के कारण बने बागी राजेश अग्रवाल की पार्टी में वापसी ने उन्हें भड़का दिया। विजयवर्गीय के खिलाफ खुला मोर्चा खौलते ही प्रदेश संगठन हिल गया। जैसे तैसे उन्हें मनाने की कोशिश की गई वह मामला पूरी तौर पर अभी शांत हुआ है। इस बीच प्रशासन द्वारा महत्व नहीं दिए जाने से नाराज शेखावत कोरोना प्रोटोकॉल की खामियां गिनाते हुए आंदोलन की राह पर आ गए थे। एक बार फिर अपना महत्व दिखाते हुए उन्होंने ना सिर्फ भाजपा बल्कि सिंधिया के सामने चुनौती खड़ी करने का काम कर दिया है।

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