विपुल कनैया,राजनांदगांव : अमूमन छत्तीसगढ़ प्रदेश के अबूझमाड़ और बस्तर से इस प्रकार की खबरे सोशल मीडिया में वायरल होते रहती है, लेकिन हमारे स्थानीय संवाददाता ने भी वनांचल क्षेत्र से ऐसी ही एक खबर ढूढ़ निकाली, जिसमे स्वास्थ्य महकमे की पोल खुल गई।
जिले के इस गांव में आज भी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, आज भी इस क्षेत्र के लोग वृद्धजनों और गर्भवती महिलाओं को खाट में लिटाकर 12 किलोमीटर दूर ब्लॉक मुख्यालय में ईलाज के लिए पैदल लेकर जाते है।
राजनांदगांव जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र माओवादी प्रभावित अतिसंवेदनशील क्षेत्र जिले का अंतिम गांव घोटियाकन्हार जो कि ग्राम पंचायत बागडोंगरी का आश्रित गांव है, के लोग आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रहे है।
स्वास्थ्य योजनाओं से कोसो दूर वनांचल क्षेत्र में आदिवासी जनजाति के लोग…
केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तमाम स्वास्थ्य सेवाएं 112 महतारी एक्सप्रेस,108 संजीवनी एक्सप्रेस उस समय सफेद हाथी साबित होते है, जब इस प्रकार की तस्वीरे हमारे सामने आती है, इन योजनाओं से कोसो दूर वनांचल क्षेत्र में निवासरत आदिवासी जनजाति के लोग बेबस होकर ईलाज के लिए पगडंडी नुमा रास्तों से 12 किलोमीटर का सफर पैदल ही चलकर ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचकर हॉस्पिटल में इलाज करवाते है।
स्वास्थ्य कर्मी उपस्वास्थ्य केंद्र में ताला लगाकर गायब रहते है…
ऐसा नही है कि क्षेत्र के आसपास उप स्वास्थ्य केंन्द्र नही है, प्रभावित क्षेत्र से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर शासकीय उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित है, लेकिन वहां कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी उपस्वास्थ्य केंद्र में ताला लगाकर गायब रहते है, माओवादी क्षेत्र होने के कारण कोई भी प्रशानिक अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी, जनप्रतिनिधि इन गांवों तक नही पहुंचते है, जिसका लाभ उप स्वास्थ्य केंद्र में तैनात स्वास्थ्य कर्मी उठाते है और भुगतना ग्रामीणों को पड़ता है।