TDS से जुड़े जान लें ये अहम नियम, एफडी मुनाफे पर मिलेगी राहत

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) फॉर्म में बदलाव करते हुए इसे ज्यादा व्यापक बना दिया है। करदाताओं और बैंकों को टीडीएस काटने का ही कारण नहीं बताना होगा, बल्कि नहीं काटने की वजह भी बतानी पड़ेगी।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बताया है कि बैंकों को सालाना 1 करोड़ से ज्यादा की निकासी पर काटे गए टीडीएस की जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी। फॉर्म 26क्यू में देश में  कर्मचारियों (भारतीय नागरिक) को वेतन के अलावा अन्य भुगतान पर टीडीएस कटौती का तिमाही ब्योरा देना होता है। फॉर्म 27क्यू में एनआरआई को वेतन के अलावा किसी अन्य भुगतान पर टीडीएस कटौती और उसे जमा कराए जाने की जानकारी देनी होगी। करदाता उस रकम की भी जानकारी दंगे, जिसका भुगतान किया है लेकिन इस पर टैक्स नहीं कटा है या कम दर पर टैक्स कटा है।

एफडी मुनाफे पर टीडीएस में राहत…
आयकर विभाग ने एफडी जमा करने वालों के लिए फॉर्म 15जी व 15एच जमा करने की तिथि 31 जुलाई तक बढ़ा दी है। यदि आप आयकर के दायरे में नहीं आते हैं, तो ये फॉर्म जमा करने से एफडी ब्याज पर टीडीएस कटौती नहीं की जाएगी। इसमें 31 जुलाई तक मिला ब्याज शामिल होगा। साथ ही टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करने की अवधि भी 15 अगस्त 2020 तक बढ़ाई गई है।

आयकर विभाग ने शुरू की नई सुविधा…
मालूम हो कि 1 करोड़ से ज्यादा की निकासी पर टीडीएस कटने का नियम लोगों को आसानी से समझाने के लिए आयकर विभाग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक नया टूल शुरू किया है। इस टूल के माध्यम से आप सेक्शन 194N के तहत आसानी से टीडीएस कैलकुलेटर कर सकते हैं।

इन पर लागू नहीं होता टैक्स का यह नियम…
हालांकि यह नियम सरकार, बैंकिंग कंपनी, बैंकिंग में लगी सहकारी समिति, डाकघर, बैंकिंग प्रतिनिधि और व्हाइट लेबल एटीएम परिचालन करने वाली इकाइयों पर लागू नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यवसाय के तहत उन्हें भारी मात्रा में नकद का इस्तेमाल करना होता है।

 

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