वर्षो पुरानी गुरू-शिष्य की परंपरा टूटी, गुरूपूर्णिमा पर दादाजी धुनीवाले धाम में भक्तों और आमजनों के प्रवेश पर रोक

बाल किशन यादव, खरगोन : खंडवा अवधूत संत श्री दादाजी धुनीवाले के पावनधाम श्री दादाजी दरबार को पांचवा धाम माना जाता है। गुरू-शिष्य परंपरा के अनूठे संगम की त्रिवेणी दादाजीधाम में श्री केशवानंदजी महाराज बड़े दादाजी एवं श्री हरिहर भोले भगवान छोटे दादाजी की लीलाएं आज भी प्रासंगत है। जो भक्तों को अपनी और आकर्षित करती है। श्री दादा दरबार खंडवा में श्री 1008 श्री बड़े दादाजी महाराज ने मार्गशीर्ष सुदी 13 दिनांक 3 दिसंबर 1930 को समाधी ली एवं श्री 1008 श्री छोटे दादाजी महाराज ने फाल्गुन सुदी पंचमी तदनुसार दिनांक 5 फरवरी 1942 को समाधी ली। यह श्री दादाजी का मूल समाधी स्थल है। यहाँ दोनों समाधियों पर भव्य मंदिर स्थित हैं।

पहले श्री दादाजी महाराज की समाधि टीन शेड में थी ,सन 1972 से ट्रस्ट द्वारा विभिन्न भव्य निर्माण कार्य कराये गए जिनके पश्चात मंदिर वर्तमान स्वरुप में है। दोनों समाधियों पर नियमित सेवन पूजन किया जाता है एवं भक्त दर्शन लाभ प्राप्त करते है। दादा दरबार 24 घंटे सभी के लिए खुला रहता है। दादाजी भक्त सुनील जैन ने बताया कि दादाजी के निर्वाण के पश्चात यह पहली गुरू पूर्णिमा है जब दादाजी भक्त अपने गुरू के दर्शन करने से वंचित रह गए। क्योंकि देश ही नहीं पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी चल रही है जिसके तहत प्रशासन ने 10 जुलाई तक दादाजी मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

दादाजी धाम पर प्रतिवर्ष म.प्र., राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात सहित देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त दादाजी महाराज के दर्शन लाभ हेतु खंडवा आते है। गुरूपूर्णिमा के पावन पर्व प्रतिवर्ष लाखों श्रध्दालु हाथों में निशान लेकर भज लो दादाजी का नाम भज लो हरिहरजी का नाम जयघोष करते हुए गुरू-शिष्य परंपरा का निर्वहन करने दादाजी दरबार में माथा टेकने आते है। 1930 से स्थापित दादाजी दरबार में गुरूपूर्णिमा के पर्व पर हर साल लाखों की संख्या में भक्त हाथों में निशान लेकर भक्त दादाजी दरबार पहुंचते थे। लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष दादाजी दरबार गुरूपूर्णिमा के मुख्य दिवस पर सूना नजर आया। केवल सेवादारों ने ही भक्तों द्वारा पहुंचाएं निशान बड़े दादाजी महाराज और छोटे दादाजी महाराज की समाधियों पर अर्पित किए।

दादाजी धाम पर गुरूपूर्णिमा पर्व का मुख्य आयोजन शनिवार किया गया। जिला प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी के चलते मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी भक्त मंदिर तक पहुंचे। इसको लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा विशेष सतर्कता बरतते हुए गौशाला चौराहे से नाकाबंदी कर मंदिर की ओर जाने वाले भक्तों को समझाईश देकर वापस लौटा दिया गया। सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने अस्थाई पुलिस चौकी बनाई थी। इसके साथ ही गेट नंबर 2 के बाहर भी पुलिस जवान तैनात किए गए थे।

कोरोना महामारी के चलते जहां गुरूपूर्णिमा पर मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। वहीं मंदिर में सेवा देने वाले सेवाधारियों को भी स्क्रीनिंग और सैनिटाईजिंग करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश दिया गया। इसके लिए दादाजी दरबार के 2 नंबर गेट पर सेवाधारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। प्रतिवषार्नुसार इस वर्ष भी दादाजी की पावन नगरी में गुरू पूर्णिमा का पर्व दादाजी धाम में 4 जुलाई शनिवार को धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। प्रशासन के दिशा निर्देश का पालन करते हुए सेवादारों ने ही पूर्णिमा के पावन अवसर पर नियमित पूजन किया। शनिवार को सुबह 4 बजे से समाधि सेवा प्रारंभ हुई। सुबह 5 बजे मंगल आरती तथा सुबह 8 बजे बड़ी आरती के बाद दोपहर 3.30 बजे से मालिश, अभिषेक, सेवा कार्य हुए। शाम 5 बजे छोटी आरती के बाद सत्यनारायण भगवान की कथा व रात 8.30 बजे बड़ी आरती की गर्ई। इसके बाद हवन किया गया।

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