ब्रह्माकुमारी रीटा बहन ने कहा योग तन और मन की औषाधि है ।
सम्पूर्ण स्वास्थ की कुंजी है “योग” – डॉ. नारायण चंद्राकर (योग शिक्षक )
दुर्ग। संपूर्ण विश्व में 11 वाँ योग दिवस मनाया जा रहा है इस क्रम में ब्रह्माकुमारीज के बघेरा स्थित “आनंद सरोवर ” में अनेक भाई-बहनों ने योग किया ।इस अवसर पर संस्था की संचालिका रीटा बहन ने बोला स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का निवास होता है हमें अच्छा तभी महसूस होता है जब तन स्वस्थ हो-मन स्वस्थ हो योग से तन और मन दोनों स्वस्थ होते हैं मन में अच्छे विचार रखने से जहां रहते हैं वहां का वातावरण सौहार्दपूर्ण बन जाता है l योग का अर्थ है जोड़ना संपूर्ण विश्व में देखें तो वसुधैव कुटुंब की भावना अर्थात जोड़ने की भावना भारत से प्रारंभ हुई है हमारी मान्यता है संपूर्ण विश्व ही हमारा परिवार है । हमारी देह रूप में भले ही भिन्न-भिन्न जाति, भाषा ,धर्म देश हो सकती है किंतु देह को संचालित करने वाली जो शक्ति है जिसे आत्मा,सोल, रूह या एनर्जी कहते है वह सभी देहधारियों में है और सब में व्याप्त वह चैतन्य शक्ति जिसे आत्मा कहते हैं सब का पिता एक परम आत्मा ही है इस नाते हम एक पिता के संतान हुए ।
स्वयं के व अपने उस अविनाशी पिता जिसे भिन्न-भिन्न भाषा में कोई परम आत्मा,भगवान,गॉड , अल्लाह कहते हैं उस अविनाशी पिता कोई याद करना व उनसे संबंध जोड़ना यह भी योग है जिससे मन के संताप दूर होते हैं ।
डॉक्टर नारायण चंद्राकर (योग शिक्षक) ने सभी को योग का महत्व समझाया योग कोई एक दिन करने का नहीं है यह भारतीय संस्कृति की जीवन शैली है । हमारे महर्षियों ने हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए यम नियम प्राणायाम योग की जो विधियां सिखाई है वह आज तक तन और मन को संबल प्रदान कर रहा है ।
इस अवसर पर वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी रूपाली बहन नेअंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सभी को बधाई दिया और कहा कि योग को अपनी जीवनशैली बना लें तो तन स्वस्थ रहेगा एवं प्रतिदिन राजयोग करेंगे तो मन स्वस्थ रहेगा ।


