सन्त सम्मेलन में गूंजा विश्व शांति का जयघोष

सभी सन्तों ने लिया श्रेष्ठाचारी श्रेष्ठ समाज की स्थापना का संकल्प

ब्रह्माकुमारीज़ ने आयोजित किया सन्त सम्मेलन, देश भर से पधारे साधु संतों ने लिया भाग

नवापारा राजिम। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा ‘श्रेष्ठाचारी श्रेष्ठ पवित्र समाज की स्थापना में आध्यात्म की भूमिका’ विषय पर संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। त्याग, तपस्या ,सेवा की पवित्र भूमि राजिम क्षेत्र प्रभु के जयघोष से गूंज उठा। नवापारा राजिम स्थित ओम शांति कॉलोनी ब्रह्माकुमारी आश्रम पर आयोजित सन्त सम्मेलन में देशभर से पधारे साधु संतों ने शिरकत की। कार्यक्रम का शुभारंभ शिव ध्वज फहराने के साथ हुआ।

स्वागत भाषण राजिम केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी पुष्पा दीदी ने दिया। उन्होंने कहा कि हर वर्ष हमारे छत्तीसगढ़ सरकार बहुत सुंदर राजिम मेले का आयोजन करती है। मेला अर्थात मिलन करना, तो इस मेले में डेढ़ भर के संत महात्मा इस प्रयागराज की धरती पर मिलते हैं। यह भी परमात्मा का कार्य है। जैसे पिता अपने पुत्रों को घर बुलाता है और पिता पुत्र मिलकर खुश होते हैं। मैं भी परमात्मा शिव के इस घर में, संगम की इस धरती आप सभी सन्तों का स्वागत करती हूँ।

शिक्षा के साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी आवश्यक- ब्रह्माकुमारी भारती बहन 

कटनी से पधारी ब्रह्माकुमारी भारती बहन ने मुख्य वक्तव्य देते हुए श्रेष्ठाचारी समाज के लिए अध्यात्म की भूमिका पर प्रकाश डाला। जीवन मे अध्यात्म का महत्व समझाया। हम सभी लोग अपने घरों में चाकू का उपयोग करते हैं। अब चाकू में पकड़ने का हैंडल न हो तो क्या होगा? हाथ कट जाएगा। तो आगे धारदार हिस्सा है शिक्षा, व पीछे हैंडल है आध्यात्मिक शिक्षा। शिक्षा के साथ साथ समाज को श्रेष्ठ बनाने के लिए आध्यात्मिकता आवश्यक है। इसके लिए सन्यास की जरूरत नहीं है। जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए संस्कारित होना जरूरी है। पहले हम स्वयं को पहचाने, फिर परमात्मा को पहचानें। गीता जी मे भगवान ने कहा है, जब धर्म की ग्लानि होती है, तब भगवान आते हैं।तब मेरे मन मे विचार आया कि भगवान कहाँ से आते हैं। मतलब यहां नहीं रहते, कहीं से और से आते हैं। भगवान परमधाम से आते हैं। राम राज्य लाने के लिए स्वयं भगवान धरती पर आते हैं। आज अधर्म बढ़ रहा है, इसका कारण है अज्ञान। भगवान धरती पर आते हैं और अज्ञानता व अधर्म का विनाश करते हैं।

जैसी हमारी चेतना, वैसा हमारा चित्त- ब्रह्माकुमार नारायण भाई

धार्मिक प्रभाग के जोनल कॉर्डिनेटर नारायण भाई ने कहा कि आप सब महान आत्माएं सभा में बैठे हैं। जैसी हमारी चेतना होती है, वैसा हमारा चित्त होता है। जब तक हमारे अंदर अध्यात्म होगा, उतना ही हमारी चेतना का प्रकाश विश्व मे फैलेगा। विश्व सतोप्रधान होता जाएगा। जैसा पुरुष (आत्मा), वैसी प्रकति होती है। अपने को आत्मा समझ हम उस निराकार परमात्मा को याद करते हैं। भगवान ने कहा है भगत नहीं बनना, मेरे बच्चे बनो। भगत यानी मांगने वाले, बच्चे यानी अधिकारी। नारायण भाई ने सन्तों की सभा को राजयोग का अभ्यास करवाया।

शांति चाहिए तो मोबाइल को चौराहे पे फेंक आओ-प्रेमानंद जी महाराज 

महामंडलेश्वर प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम में कुंभ 2025 चल रहा है। प्रयागराज में भी महाकुंभ 2025 चल रहा है। जब माघ माह में जब मकर राशि पर सूर्य आता है, तब सारे देवी देवता, साधु-संत व तीर्थ प्रयागराज चल देते हैं। वहां से चलकर छत्तीसगढ़ प्रदेशवासियों को धर्मलाभ देने के लेने लिए महानदी के पावन तट पर, लोमस ऋषि की तपस्थली,भक्त माता राजिम की धरती, राजीव लोचन की धरती पर सब महात्मा आये हैं। ये ब्रह्माकुमार भाई, बहनों व साधु संतों का संगम हुआ है। सबसे अधिक पुण्य सन्तों के दर्शन व कुम्भ में डुबकी लगाने से प्राप्त होता है। जिन्होंने ने कुंभ का लाभ नहीं लिया, वे राजिम कुंभ में डुबकी लगाएं। कुलेश्वर महादेव जन्म जन्म के पाप नष्ट कर देंगे।आज विश्व शांति दिवस है। मोबाइल को सर पर उतार कर चौराहे पर छोड़ आओ तो जीवन में शांति आ जायेगी।

हमें राजिम कल्प कुम्भ को भव्य बनाना है-सुमिरन माई

राजनांदगांव से पधारीं सुमिरन माई जी ने कहा की राजीव लोचन भगवान की तपोभूमि में, कुलेश्वर महादेव की भूमि में सभी साधु संतों का दर्शन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की भूमि में श्रीराम का आगमन हुआ। हम छत्तीसगढ़िया हैं तो हमारा कर्तव्य हैं कि इन साधु संतों के समक्ष रहना है। मेरी विनती है कल्प कुम्भ को भव्य बनाना। छत्तीसगढ़ का नाम ऊंचा करने का कार्य करना है। महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में राजिम कुंभ में आएये और कुम्भ स्नान कीजिये।

ब्रह्माकुमारी बहनें अध्यात्म से जुड़ने का संदेश दे रही हैं-अनंतानंद जी महाराज 

अनन्तानन्द महाराज जी ने सन्त सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि सन्त समागम ही कथा है। सन्तों का ब्रह्माकुमारी आश्रम में जाना ही समागम है। ओमशान्ति का शुरू से ब्रह्माकुमारी शंखनाद हुआ। अध्यात्म से जुड़ने का संदेश ब्रह्माकुमारियों ने दिया। सारे विकारों और दुखों से छूटने का रास्ता है ओमशान्ति। परमात्मा सुखी और सम्पन्न आदमी को मिलता है। सुखी सम्पन्न होने का अर्थ धन से नहीं ज्ञान से है। जब आप ज्ञान से सम्पन्न व सुखी बनोगे तो भगवान मिल जाएंगे। हम प्रेम करना ही भूल गए। प्रेम सबसे पहले अपने बड़ों से करें। उनका आशीर्वाद लें।मां बाप से बड़ा कोई सन्त नहीं होता। पहले उनकी सेवा करो।

भारत ही विश्व में शांति की स्थापना करेगा-साध्वी प्रज्ञाभारती

साध्वी प्रज्ञा भारती जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी सनातन संस्कृति का एक सूत्र ब्रह्माकुमारी आश्रम में सुनाई देता है ओमशान्ति। हमारे महर्षियों ने ये सूत्र निकालकर हमें दिया है पृथिव्यां शांति, अंतरिक्ष शांति। हम सब शांति चाहते हैं, पर शांति आये कैसे? पूज्य महाराज जी कह रहे थे कि प्रेम से शांति आएगी। पूरे राष्ट्र में विश्व में कितनी अशांति है। नक्सली, अंगद, पछड़ा, पता नहीं क्या-क्या अशांति फैला रहा है। सारे सन्तों को एकत्रित करके शांति स्थापना की चर्चा करना बड़ी बात है। भारत ही शांति की स्थापना करेगा, तभी वह विश्वगुरु कहलाता है। गंगा के तट पर प्रयागराज में एकता दर्शन करवाकर ये दिखा दिया हम सबके बाप हैं। सन्त सनातन का संदेश दे रहे हैं, शांति का संदेश दे रहे हैं। सब धर्म गुरु भारत की ही शरण में आएंगे। ब्रह्माकुमारी आश्रम को ऐसे कार्यक्रम के लिए धन्यवाद देती हूं।

ये सिद्ध है कि गीता का भगवान शिव हैं-परमानंद जी महाराज 

कटनी से पधारे परमानंद जी महाराज ने कहा कि सबको प्रेम चाहिए, पृथ्वी को प्रेम चाहिए, अंतरिक्ष को प्रेम चाहिए, प्रकृति को प्रेम चाहिए, पशु पक्षियों को प्राणियों को भी प्रेम चाहिए। लेकिन आज हम घमंड में डूबकर सबको दुख पहुंचा रहे हैं। ब्रह्माकुमारी बहनें हैं, हमको इनका गुणगान गाने में आनंद आता है। हमारा सनातन धर्म की ध्वजा को सबके ह्रदय में फ़हराना है। ब्रह्माकुमारी संस्था में कथनी और करनी एक ही है। ब्रह्माकुमारी बहनें जो कहती हैं, वहीं करती हैं। शिव ही वह एक हैं, शिव ही स्वयम्भू हैं, जो शिव को जान लिए, उसे कुछ और कुछ करने की जरूरत नहीं हैं। हमारी बहनों के मन में केवल शिव बाबा है, इसलिए ये संस्था 140 देशों में पहुंच गई। हम साधु संतों को भी एक होना पड़ेगा। गीता का भगवान शिव है। हमारी एक ही पुस्तक है गीता, एक ही भगवान है शिव। जब तक हम बंटे है, तब तक हममे प्रेम नहीं आएगा। दादा लेखराज ने प्रेम की ऐसी गंगा बहाई की 50 हजार से अधिक ब्रह्माकुमारी बहने पूरे विश्व में प्रेम की गंगा बहाई।

भारत न बंटा है न बंटेगा-चंद्रशेखर महाराज

चंद्रशेखर महाराज जी ने कहा कि हम सबको राजिम कुम्भ में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। राजिम कुंभ में हम आये तो ब्रह्माकुमारी पुष्पा दीदी के माध्यम से सबको ब्रह्माकुमारी आश्रम आना ही पड़ता है। धर्म जानने की जिज्ञासा जब जिनके अंदर उतपन्न होती है। गीता जी के माध्यम से सभी विचार कर रहे हैं। शंकराचार्य जी ने गीता का भाष्य लिखा है कि हमें मार्ग वेद बताएंगे। संयोग से गुरुवार के दिन मैं ब्रह्माकुमारी आश्रम पहुंच गया। अवध व छत्तीसगढ़ का विशेष नाता है। अयोध्या व छत्तीसगढ़ पूरक है। गीता में भगवान ने बार बार कहा हे सनातन, हे भारत, हे आर्य। भारत न बंटा है, न बंटेगा न कोई बांट सकता है। इस ब्रह्माकुमारी संस्था के माध्यम से हम भी समझने की कोशिश करते हैं। लोग यहां से कुछ न कुछ ज्ञान का अंकुर जाग रहा है।

जो परमात्मा के मार्ग पर चले, वही सन्त है-त्रिवेंद्रानंद महाराज जी

त्रिवेंद्रानंद महाराज जी ने कहा कि कोई साधना करता है, कोई भक्ति के रूप में, कोई योग के रूप में, कोई ध्यान के रूप में साधना करता है। परमात्मा को पाने के लिए कई प्रकार के मार्ग हैं। कई प्रकार के पंथ है। जो परमात्मा को पाने के मार्ग में चलता है वही सन्त हैं। इस जन्म में आत्मा-परमात्मा तक जाना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

ब्रह्माकुमारी संगठन पूरे विश्व को सनातन का संदेश दे रहा-ज्ञानस्वरूपानंद अत्रिय जी महाराज

जोधपुर से पधारे ज्ञानस्वरूपानंद अत्रिय जी महाराज ने कहा कि बड़े सौभाग्य की बात है प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में बहुत सुंदर विषय को लेकर आयोजन किया है। ब्रह्मा बाबा ने सारी सनातन संस्कृति का सूत्र हमें दिया है। सनातन में हर कार्य की शुरुआत ॐ से होती है, अंत शांति से होता है, ऐसा ही ओमशान्ति का उच्चारण है। ब्रह्मा बाबा ने पूरे विश्व मे जो ब्रह्माकुमारियों का संगठन खड़ा किया है, वे सन्देश दे रहे हैं कि हम भारतीय हैं, हम सनातनी हैं, हम एक हैं। हमारे वस्त्र व तिलक भेद हो समते हैं, लेमिन आध्यात्मिक चेतना, आध्यात्मिक शक्ति एक है। हमारा देश विश्व गुरु है। हम पहले भी भरपूर थे, भरपूर हैं, भरपूर रहेंगे। हमारे यहां धरती, नदियों, गाय को माता कहा जाता है। जिनके साथ पाणिग्रहण संस्कार हुआ है केवल वह धर्मपत्नी है, अन्य सभी महिलाएं मां हैं, बहन हैं, बेटी मानी जाती हैं।
जहां तक ये संस्कृति रहेगी, वहां तक भारत की चेतना रहेगी। हमारे यहां राजा विक्रमादित्य के बाद मोदी जी और योगी जी ऐसे राजा हुए, जिन्होंने भारत की चेतना को विश्व के कोने कोने तक पहुंचा दिया।

सब जीवों का उद्धार स्वयं परमात्मा आकर करते हैं-ब्रह्माकुमारी आरती दीदी

इंदौर ज़ोन की संयोजिका ब्रह्माकुमारी आरती बहन द्वारा भेजा गया सन्देश सुनाया गया। शिवरात्रि के उपलक्ष्य में आपका आना हुआ। आपके उद्बोधन सुनकर सबको प्रसन्नता हुई। आरती दीदी ने शिवरात्रि की शुभकामनाएं दी। परमात्मा का जन्मदिन शिव जयंती मनाई जाती हैं। परमात्मा का जन्मदिन हम बच्चो का भी जन्मदिन है। इस समय सब देवी देवता साधारण रूप में धरती पर अपना कार्य कर रहे हैं। प्रकति का उद्धार, पांच तत्वों का उद्धार,जीव आत्माओं का उद्धार परमात्मा आकर करते हैं। आप सब साधु संत महात्माओं की तपस्या से ही यह धरती थमी हुई है। आरती दीदी ने सतयुग की स्थापना के बारे में विस्तार से बताया।

इतने सन्तों का एक साथ एकत्रित होना भगवत कृपा-भगवताचार्य जालेश्वर जी महाराज

अयोध्या से पधारे भगवताचार्य जालेश्वर जी महाराज ने आरम्भ में रामधुन सुनाई। ज्ञानेश्वर जी ने कहा कि राम जी प्राणों के प्राण हैं, सुखों के सुख हैं, आत्माओं के आत्मा हैं। हम सबका परम् सौभाग्य है कि ब्रह्माकुमारी आश्रम में हम सब अपने ही परिवारजनों के बीच उपस्थित हैं। एक आदमी ने मुझसे पूछा है, हम अमेरिका जा रहे कितना खर्च आएगा। हमने कहा कुछ नहीं। सोचने में क्या खर्चा? लेकिन लोग सोचने में भी कंजूसी करते हैं। हमारी शांति हमारे भीतर ही है। हम बाहर ढूंढते हैं, ये अच्छी बात नहीं। हम सबको अपना विक्रम संवत याद रखना चाहिए। हमें अपना जन्मदिन तिथियों में मनाएं। किसी की ताकत नहीं इतने सारे महापुरुषों को, सन्त-महात्माओं को कोई एक साथ अपने घर बुला ले। सन्त भी भगवदकृपा से मिलते हैं। जब हम सन्तों को ढूंढने जाएं, उनकी सेवा करें तो हमारा पुण्य उदय हुआ है और सन्त स्वयम आ जाये तो समझना कि परमात्मा की कृपा हुई है।

कार्यक्रम का सफल संचालन बिलासपुर से ब्रह्माकुमारी राखी बहन ने किया। सन्त सम्मेलन में साधु संत व महात्माओं ने ब्रह्मा भोजन किया। सन्त सम्मेलन का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में प्रतिवर्ष किया जाता है।

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