शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छत्तीसगढ़ राज्य अब 25 वें साल में प्रवेश कर गया है, छ्ग बनने के बाद यहां जोगी, बाबा, दाऊ आदि की चला करती थी,अब सांय-सांय की एक तरफ़ा चल रही है, नाटक तो वहीँ है बस किरदार बदलते जा रहे हैं…पहले पूर्व कलेक्टर अजीत जोगी की चलती थी अब भी एक पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी की भी ठीक ठाक चल रही है…!छत्तीस गढ़ की राजनीति के केन्द्र में दो बाबा, एक जोगी और दो दाऊजी की चर्चा होती रही है!हालांकि अब जोगी नहीं रहे….एक बाबा को तो लोगों ने ‘बाबा’ का संबोधन दिया था तो दूसरे बाबा को बचपन से ही ‘बाबा’ कहा जाता है। जहां तक ‘जोगी’ का सवाल है तो उन्हें तो विरासत में ही ‘जोगी’ सर नेम मिला था।लगातार 15 सालों तक सीएम और अब विधानसभा अध्यक्ष बने, छग की नब्ज पकड़कर इलाज करने वाले आयुर्वेद चिकित्सक रमन सिंह एक छोटे गांव के मूल निवासी हैं तो दूसरे ‘बाबा’ पूर्व डिप्टी सीएम,नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव है जिन्हें क्षेत्र की जनता आज भी राजा मानती है। दोनों बाबा किसी मठ या मंदिर के नहीं छत्तीसगढ़ की राजनीति के मठाधीश कहलाते हैं। जहां तक ‘जोगी’ का सवाल है तो दोनों ‘बाबा’ इस जोगी से परेशान ही रहे….। डॉ. रमन सिंह छग में लगातार 3 बार सीएम बनकर भाज पा के लंबे समय तकसीएम रिकार्ड बना चुके हैं। ‘ठाठा पुर’ नामक छोटे से गांव के मूल निवासी डॉ. रमन सिंह हैं,हालांकि अब गांव का नाम बदलकर ‘रामपुर’ हो गया है। राजनीतिक पारी की शुरुवात पार्षद से करने वाले डा. साहब,विधायक, सांसद, केन्द्रीय राज्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का सफर करते हुए 15 साल बतौर मुख्यमंत्री पूरा कर चुके हैं। मोतीलाल वोरा जैसे कांग्रेस के दिग्गज को लोकसभा में पराजित करने के कारण उन्हें अटल मंत्रि मंडल में भी शामिल किया गया था।एक-दो रुपयेकिलो चांवल गरीबों को देने की योजना के चलते ‘चाऊंर वाले बाबा’ के नाम से देश में पहचान बनी थी ‘मोबा ईल’ बांटने के चलते ‘मोबा इल वाले बाबा’ के नाम से भी चर्चा में रहे, फिलहाल वे छग विधानसभा के अध्यक्ष हैं।
पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव
ही हैं ‘बाबा’ नंबर दो…
छग में एक ‘बाबा’ और भी चर्चित रहे, हालांकि वें 24 के विस चुनाव में पराजित हो गये हैं। सरगुजा महाराज टी एस ‘बाबा’ का नाम बच पन से ही ‘बाबा’ रखा गया था। ये हैं छग के डिप्टी सीएम-नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।देश के सबसे अमीर विधायक के रूप में चर्चित रहे। इनके पिता एम.एस. सिंहदेव अविभाजित म.प्र. के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं,माता देवेन्द्र कुमारी देवी अंबिकापुर -बैकुंठपुर की कांग्रेस विधायक रही, सेठी मंत्रिमंडल में वित्त राज्यमंत्री तथा अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में लघु सिंचाई मंत्री पद का भी दायित्व सम्हाला था। टी. एस. सिंहदेव की पूरी पढ़ाई-लिखाई छग के बाहर ही हुई है। पिता के सरकारी अफसर होने के कारण वे भी बाहर ही रहे। ‘बाबा’ की गिनती सौम्य, भावुक नेता के रूप में होती है।सिंहदेव उम्र में डॉ. रमन सिंह से 16 दिन छोटे हैं पर वे डॉ. सिंह को ‘बाबा’ नहीं ‘दादा’ मानते हैं।
कांग्रेस के बड़े -छोटे
दाऊजी भी चर्चित ….
छत्तीसगढ़ की राजनीति में दो दाऊजी भी चर्चा में हैं। हालांकि बड़े दाऊजी दीर्घ राजनीतिक अनुभव रखते हैं,अजीत जोगी के समकक्ष वजन के नेता रहे । छग की राजनीति में बड़े दाऊजी डॉ.चरण दास महंत हैंउनके पिता बिसाहूदास महंत भी अविभाजित मप्र के कांग्रेस अध्यक्ष रहे,कई साल विधा यक मंत्री रहे तो डॉ. चरण दास महंत भी मप्र में विधा यक, मंत्री रहे, लोकसभा सदस्य रहे, डॉ.मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल के सदस्य रहे। पूर्व पीएम अटल की भतीजी को भी उस समय पराजित करने में सफल रहे। छग कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे, वे छ्ग विधानसभा के अध्यक्ष रहे तो अभी नेताप्रतिपक्ष हैँ।वहीं छोटे दाऊजी के रूप में चर्चित है छ्ग के पूर्व सीएम, कांग्रेस के अध्यक्ष रहे भूपेशबघेल। वासुदेव चंद्राकर की विरा सत को सम्हालने वाले छोटे दाऊजी, दिग्विजय,अजीत जोगी मंत्रिमंडल के सदस्य रहे। वैसे इनका जोगी से 36 का आंकड़ा रहा।जोगी पिता-पुत्र के कांग्रेस से बाहर करने की एक बड़ी वजह भूपेश बघेल ही माने जाते हैँ।वैसे उनके सीएम कार्यकाल को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से लेकर छ्ग की विष्णुदेव साय की सरकार के निशाने पर हैं।
सांय-सांय का सम्बोधन
और ओपी चौधरी….
छ्ग में वर्तमान में अपनी कार्यप्रणाली से सांय- सांय नाम से चर्चित आदिवासी नेता विष्णुदेव साय,सीएम हैं,सांसद,विधायक, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री,छग प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके विष्णुदेव साय को सीएम बना भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने कई बड़े नेताओं केसीएम बनने के सपने तोड़ दिया है,सौम्य,शालीन, सादा जीवन-उच्च विचार के हिमायती विष्णुदेव के साथ 2 डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा भी हैँ, पर दोनों नेता बड़बोलेपन का शिकार है, पूर्व आईएएस ओपी चौधरी बतौर वित्त मंत्री लाइमलाइट से दूर रह कर काम कर रहे हैं, चुनावी गारंटी पूरा करने पैसों का इंतजाम करने में ही उनकी ऊर्जा जाया हो रही है,वैसे उनका भी छ्ग सरकार में अच्छा खासा दखल है।
‘दादी’ शराब घोटाले में बंदी,
पूर्व सीएस की भी चर्चा..
भूपेश सरकार के समय शराब घोटाले को लेकर तब के आबकारी मंत्री क़वासी लखमा ‘दादी’ को ईडी ने गिरफ्तार कर कोर्ट सेरिमांड लेकर पूछताछ कर रही है, उम्मीद है कि कुछऔर राज नेताओं पर भी कार्यवाही हो सकती है! ईडी नेघोटाले को लेकर कई बड़े दावे किए हैं। दरअसल, ईडी के वकील का दवा है, कवासी लखमा को शराब घोटाले के हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। वकील सौरभ पांडे के अनुसार 2 साल तक कार्रवाई चली, जिसमें 36 महीने में ‘प्रोसीड ऑफ क्राइम’ 72 करोड़ रुपए का है। ये राशि सुकमा में बेटे हरीश कवासी के घर और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगी है।शराब घोटाले के इस कांड में आबकारी विभाग के कई बड़े अफसर भी शामिल थे। अफसर पैसे का इंतजाम करते थे। अफसर ही पैसे पूर्व मंत्री लखमा तक पहुं चाते थे।आबकारी विभाग में काम करने वाले ऑफि सर इकबाल खान, जयंत देवांगन ने बताया कि वे पैसों का इंतजाम करभेजते थे। कन्हैया लाल कुर्रे के जरिए पैसों के बैग कलेक्ट किए जाते थे।कवासी ने अपने बयान में यह माना कि अरुणपति त्रिपाठी ही साइन करवाता था। शराब घोटाले की जांच कर रही इडी ने एसीबी में एफआई आर दर्ज कराई है। जिसमें दो हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। इडी ने अपनी जांच में पाया, तब की सरकार के कार्यकाल में आईएएस अनिल टुटेजा,आबकारी विभाग के एमडी अरुण त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।दावा है कि 2019 से 2022 तक शराब दुकानों में अवैध शराब बेची गई है। इस अवैध शराब को डुप्लीकेट होलोग्राम लगा कर बेचा गया था। इससे शासन को करोड़ों के राजस्व का भी नुकसान हुआ है।वहीँ अब ईडी ने एक पूर्व सीएस को इस घोटाले का मास्टर माइंड भी बता रही है…?
और अब बस….
0छ्ग भाजपा अध्यक्ष किरन सिंहदेव को पुन: यह जिम्मेदारी दी गई है….!
0पीडब्लूडी विभाग और उसके मंत्रीआजकल काफ़ी चर्चा में है…?
0 कांग्रेस शासनकाल में शराब का परिवहन करने वाले कौन से भाजपा नेता अपने व्यवहार को लेकर आजकल चर्चा में हैं!