


{किश्त 231 }
छत्तीसगढ़ में एक ऐसी विधानसभा सीट है जहाँ से पिता,माता, बड़ा भाई और छोटा भाई लगातार विधान सभा चुनाव जीतते रहे, यह बात और है कि 1972 से शुरू यह सिलसिला 2013 में जरुर टूट गया। इस विस से देवीप्रसाद चौबे,उनकी पत्नी कुमारीदेवी चौबे, पुत्र प्रदीप चौबे (जनता पार्टी) के बाद छोटे बेटे रविंद्र चौबे (8 बार विधायक)बनने में सफल रहे।साजा विधान सभा 1967 में अस्तित्व में आया। साजा, वीरेन्द्रनगर, रेंगाखार, सिल्हाटी सहित सहसपुर लोहारा तक फैला हुआ था। पहले विधायक रामराज परिषद के थान खम्हरिया के मालूराम सिंघा निया ने कांग्रेस के देवी प्रसाद चौबे को लगभग 1700 मतों से पराजित कर दिया था। 1972 में हुए चुनाव में कांग्रेस के पं.देवी प्रसाद चौबे ने रामराज परि षद को हरा कब्जा किया इसके बाद ये कांग्रेस का गढ़ रहा और इस पर चौबे परिवार का ही कब्जा रहा।14अगस्त 1976 को देवी प्रसाद के अचानक निधन होने के बाद कांग्रेस ने यहां से खैरागढ़ राजपरिवार के ज्ञानेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया। जिसके बाद प्रदीप चौबे ने जनता पार्टी से चुनाव लड़कर कांग्रेस को हरा विधान सभा पहुंचे थे।इसके बाद परिसीमन करते हुए साजा,बेरला ब्लॉक के गाँवों को शामिल कर साजा विधानसभा बनाया गया। प्रदीप चौबे की राजनीति में दिलचस्पी नहीं देख उनकी मां कुमारीदेवी 1980 में कांग्रेस के टिकट पर विधान सभा पहुंचीं। इसके बाद 1985 से लेकर 2013 तक लगातार 6 बार क्षेत्र में प्रतिनिधित्व देवीप्रसाद चौबे के बेटे रविन्द्र चौबे ने किया मप्र शासन में उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा,नगरीय प्रशा सन और संसदीय कार्य मंत्री रहे।वहीं छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद रविंद्र चौबे, लोक निर्माण मंत्री रहे। 2008 में फिर से हुये परिसीमन के बाद दुर्ग जिले के धमधा विधान सभा को विलोपित करते हुए साजा- धमधा विधान सभा का गठन किया गया। रविंद्र चौबे 2008 में लाभचंद बाफना को हरा विधानसभा पहुंचे। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं, 2013 के चुनाव में लाभचंद बाफना ने कांग्रेस के किले को ढहाते हुए 7 बार के विधायक रविंद्र चौबे को हरा दिया। 2018 चुनाव में रविंद्र चौबे ने लाभचंद बाफना को बड़े अंतरों से हराते हुए फिर से इस सीट पर कब्जा किया, 2023 के विस चुनाव में फिर रविंद्र चौबे को हार का सामना करना पड़ा। वे पहली बार एक घटना के बाद राज नीति में जबरिया उतारे गये भाजपा के ईश्वर साहू से पराजित हो गये। इस विस की जनसंख्या 2 लाख 28 हजार 194 है। इस विधान सभा में लोधी और साहू जाति के सबसे ज्यादा लोग रहते हैं बाकी सभी जाति के मतदाता है, लेकिन इस विधानसभा में जाति का असर नहीं दिखता है।यहाँ से सामान्य वर्ग के प्रत्याशी विजयी रहे हैं,पहली बार 23 के विस चुनाव में पिछड़ा वर्ग के ईश्वर साहू (भाजपा) विधायक बने हैं।