पोल्ट्री फॉर्म में बना रहे थे चिरौंजी दाना, खाद्य विभाग के छापे में सामने आया सच
छत्तीसगढ़ के विश्वप्रसिद्ध डोंगरगढ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर की घटना
प्रियंका कौशल
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आंध्र प्रदेश स्थित विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले लड्डू में उपयोग होने वाले घी में पशुओं की चर्बी मिलाने के समाचार पर अभी प्रतिक्रियाएं आ ही रही हैं, इसी बीच छत्तीसगढ़ से एक बड़ी खबर सामने आई है। जो छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी माता मंदिर के प्रसाद से जुड़ी है।
राजनांदगांव खाद्य विभाग के आज पड़े छापे से पता चला है कि मां बम्लेश्वरी को चढ़ने वाला चिरौंजी दाना “मजहर खान” नामक व्यक्ति के पोल्ट्री फार्म में बनता है। मजहर खान के पोल्ट्री फार्म में बड़ी मात्रा में ‘श्री प्रसाद’ नाम से इलायची दाना बनाया जा रहा था।
जिस पैकेट में ये इलायची दाना बेचा जा रहा था, उसपर लिखा है कि इसे ‘साफ एवं पवित्र वातावरण में निर्मित’ किया गया है। डोंगरगढ़ के ग्राम राका में खाद्य विभाग ने आज छापा मारा है। जहां प्रसाद बन रहा था, उसी स्थान पर मुर्गी पालन भी होता है। यहां से खाद्य विभाग की टीम ने चिरौंजी दाना के सैंपल लिए है।
प्रारंभिक पूछताछ में खाद्य विभाग के अधिकारियों को चिरौंजी दाना निर्माण से जुड़ी कोई भी अनुमति के दस्तावेज नहीं मिले है। पूछताछ में पता चला है कि यहां निर्माण होने वाली प्रसाद की सप्लाई डोंगरगढ़ के माता बम्लेश्वरी मंदिर में प्रसाद बेचने वाले व्यापारियों को होती है। फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का दावा है कि पोल्ट्री फार्म उसी परिसर में है, लेकिन वहां काम करने वाले मजदूर अलग है।
तिरुपति बालाजी मंदिर प्रकरण के बाद अभी दो दिन पहले प्रशासन तय किया था कि जिले के प्रमुख मंदिरों में शामिल डोंगरगढ़ के बम्लेश्वरी मंदिर के प्रसाद की जांच होगी। इसी क्रम में आज खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग प्रमुख मंदिरों में बंटने वाले प्रसाद की भी जांच करने निकला था। आने वाले नवरात्र पर्व को देखते हुए बम्लेश्वरी मंदिर से ट्रस्ट से बात कर वहां बंटने वाले प्रसाद का सैम्पल लिया जाना था। लेकिन प्रसाद कहाँ और कैसे बनता है? यह जानने खाद्य विभाग की टीम मजहर खान के पोल्ट्री फार्म तक पहुंच गई। तब जाकर पता चला कि मुर्गियों को पालने वाले स्थान पर मां बम्लेश्वरी को चढ़ने वाला चिरौंजी दाना बनाया जा रहा था। फैक्ट्री में जो पाया गया वह चौकाने वाला है। संचालित फैक्ट्री का पंजीयन नहीं है। साथ ही पैकेजिंग में बड़ी गड़बड़ी दिखी। पैकेट पर मानक, तिथि, बैच नंबर अंकित नही है।
इस घटना से केवल छत्तीसगढ़ वासियों ही नहीं विश्व के प्रत्येक कोने में बसे मां बम्लेश्वरी के भक्तों की आस्था पर चोट पहुंची है। यह हिंदुओं की आस्था पर प्रहार है।
*पिछले वर्ष मां बम्लेश्वरी के दर्शन करने आये थे प्रधानमंत्री मोदी*
4 नवम्बर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ पहुंचकर मां बम्लेश्वरी मंदिर में दर्शन और पूजन किया था। पीएम मोदी जैन तीर्थ चंद्रगिरी गए और वहां आचार्य श्री विद्यासागर का आशीर्वाद लिया था। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपने एक पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा था “छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी के दिव्य दर्शन और पूजन से मन को बहुत संतोष मिला। उनसे राज्य के अपने परिवारजनों की सुख-समृद्धि की कामना की।”
*2000 हजार वर्ष पुराना है माँ बम्लेश्वरी का मंदिर*
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित मां बम्लेश्वरी का भव्य मंदिर है। राज्य की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। पहाड़ के नीचे छोटी बम्लेश्वरी माता का भी मंदिर है। वैसे तो साल भर यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन इस कामाख्या नगरी में नवरात्रि के दौरान अलग ही दृश्य होता है। डोंगरगढ़ में जमीन से करीब 2 हजार फीट की ऊंचाई पर विराजती है मां बमलेश्वरी। मां की एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से भक्तों का जत्था माता के इस धाम में पहुंचता है। कोई रोप वे का सहारा लेकर तो कोई पैदल ही चलकर पहुंचता है। मां बम्लेश्वरी को उज्जैन के महाप्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी माना जाता है। मंदिर की अधिष्ठात्री देवी माँ बगुलामुखी हैं। यह कलचुरी कालीन मंदिर है। इसका निर्माण लगभग 2000 वर्ष पूर्व हुआ था। ( लेखक भारत एक्सप्रेस नेशनल चैनल की संपादक हैं )