रायपुर। साहित्य विधा समूह के स्थापना दिवस के अवसर पर आज वृंदावन हॉल में साझा संस्मरण संग्रह विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार , विशिष्ट अतिथि व्यंग्य यात्रा पत्रिका के संपादक प्रेम जनमेजय विशिष्ट अतिथि ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ,अध्यक्ष गिरीश पंकज, मुख्य वक्ता डॉ. सुधीर शर्मा ,वक्ता शिव ग्वालानी, वक्ता रामेश्वर शर्मा थे।
साहित्य विधा संचालक मंडल के सदस्य डॉ. सरोज दुबे विधा, डॉ सीमा निगम, डॉ सीमा अवस्थी मिनी, विजया ठाकुर, प्रीति मिश्रा, नीता झा,ज्योति परमाले ,भारती यादव ‘मेधा’, सी ए सौरभ शुक्ला द्वारा साहित्य विधा की स्थापना दिवस समारोह में एक साझा संस्मरण सुधियों की दस्तक का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में छत्तीसगढ़ एवं अन्य प्रदेशों के 60 से अधिक रचनाकारों ने अपनी सहभागिता दर्ज की। इस पुस्तक की संपादक विजया ठाकुर , सह संपादक प्रीति मिश्रा व ज्योति परमाले है। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन पश्चात् डॉ सरोज दुबे विधा ने सरस्वती वंदना किया।
साथ ही साहित्य विधा की उपलब्धियाँ एवं जानकारी साझा की | स्वागत उद्बोधन डॉ सीमा निगम ने किया।
सुधियों की दस्तक साझा संस्मरण संकलन की संपादक विजया ठाकुर ने पुस्तक की विस्तृत जानकारी दी। मंच संचालन डॉ सीमा अवस्थी मिनी व भारती यादव मेधा ने किया।
चूंकि साहित्य विधा आयोजन समिति में महिलाएं ही हैं इसलिए मुख्य अतिथि डॉ अभिलाषा बेहार ने कहा कि कोई तस्वीर मुकम्मल नहीं औरत के बगैर, महिलाओं द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। उन्होंने मधुर वाणी में अपनी स्वरचित रचनाओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष गिरीश पंकज ने कहा कि महिलाएं पद्य के क्षेत्र में बहुत लिख रही हैं परंतु गद्य के क्षेत्र में भी महिलाओं का इस तरह आगे आना सराहनीय कदम है।विशिष्ट अतिथि के तौर पर दिल्ली से आए वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि संस्मरण घटनाओं का संक्षिप्त विवरण नहीं है बल्कि एक संस्मरण में पूरे परिवेश का वर्णन जरूरी है । विशिष्ट अतिथि ब्रिगेडियर प्रदीप यदु ने कहा कि साहित्य विधा द्वारा प्रकाशित अगली पुस्तक देशभक्ति पर आधारित होनी चाहिए। मुख्य वक्ता डॉ सुधीर शर्मा ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में साहित्य विधा के सभी सदस्यों को कार्यक्रम के लिए बधाई देते हुए कहा कि महिलाएं साहित्य सृजन के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं वह साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन कर नवोदय रचनाकारों को मंच प्रदान करने का उल्लेखनीय कार्य कर रही है । इसी क्रम में वक्ता लेखक एवं मोटिवेशनल स्पीकर शिव ग्वालानी अपना संस्मरण सुनाते हुए बताया कि किस तरह वे संघर्ष से आगे बढ़े और जीवन और मौत से संघर्ष करते हुये मेदांता हास्पिटल में किताबें लिखी । वक्ता श्री रामेश्वर शर्मा ने मंच से बेहतरीन रचना पाठ किया।
सुधियों की दस्तक साझा संस्मरण संकलन में लेखन सहभागिता करने वाले रचनाकारों को मंच पर पुस्तक एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया, जिनमें वंदना ठाकुर ( बिलासपुर) रवि बाला ठाकुर (कवर्धा) , कल्पना शुक्ला पांडे, (भिलाई) हरि प्रकाश गुप्ता ” सरल” (भिलाई) दीक्षा चौबे ( दुर्ग) संध्या सिंह चंदेल(भिलाई) श्रृद्धा मिश्रा ( भिलाई) विमला महेश्वरी ‘विमल’ ( राजनांदगांव) नीरजा ठाकुर ( नागपुर) रानी शर्मा कांकेर ( भाई विजय शर्मा) अमिता रवि दुबे ( नगरी सिहावा) बसंत कुमार साहू” ऋतूराज”( अभनपुर)
रश्मि लता मिश्रा ,शोभा त्रिपाठी “शैव्या”,कामिनी कौशिक, ( धमतरी)मनिषा अवस्थी ( रायगढ़) ,डाक्टर भरत नामदेव (बलौदाबाजार) से तथा रायपुर से नीलिमा मिश्रा, अनिता झा, अनामिका शर्मा श्रृद्धा पाठक ,पल्लवी झा रूमा पूर्वा श्रीवास्तव, सोनाली अवस्थी, सुषमा पटेल, संजय कुमार पांडे, अनिता झा नंदनी लहेजा, नम्रता ध्रुव तृषा गर्ग
शशि खरे ,कल्पना लुनिया ,दीपाली ठाकुर, प्रीति रानी तिवारी डॉ,सरोज दुबे विधा,सीमा निगम,सीमा अवस्थी मिनी प्रीति मिश्र, नीता झा ज्योति परमाले, भारती यादव मेधा, राम मणि यादव, नेहा त्रिवेदी ,डॉ भारती अग्रवाल, सौरभ शुक्ला, रुनाली चक्रवर्ती शामिल थे । इस अवसर पर आमंत्रित साहित्यकार एवं अतिथि गण जिन में प्रमुख रूप से श्रीमती शशि दुबे,आचार्य अमरनाथ त्यागी,श्रीमती लतिका भावे,श्रीमती मंजू यदु, के. पी.सक्सेना दूसरे, श्रीमती चंद्रकांता त्रिपाठी, शकुंतला तरार, डॉ महेंद्र ठाकुर, सक्सेना, नीलिमा मिश्रा, शुभ्रा ठाकुर, रत्ना पांडे, कुमार जगदलवी विशेष रूप से उपस्थित थे।