रायपुर।आज एक निजी चिकित्सालय में आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता आचार्य वंदनानंद अवधुत ने कहा कि मानव मानव एक है , मानव का धर्म एक है। जहां जहां मानवों को बाँटने की कोशिश हुई है वहाँ अशांति और असंतोष हुआ है। वर्तमान वैश्विक समस्या , भविष्य के लिये आध्यात्मिक आधार पर सामाजिक परिवर्तन के लिये भूमिका बना रही है . प्रेम सेवा आंतरिकआध्यात्मिक साधना त्याग को लेकर सामाजिक न्याय, समरसता , जागरूकता का आंदोलन बनाया जाना अपेक्षित है।
अतिथि वक्ता प्रदीप शर्मा ने कहा कि धार्मिकता अपने जैसा बनाने का और अध्यात्मिकता अपना बनाने का काम करती है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में संतो के स्वीकार की परंपरा के संदर्भ में उन्होंने गुरू घासीदास जी के बारे में बताया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ सत्यजीत साहू ने वैदिक ऋषियों , शिव , कृष्ण गौतम बुद्ध, आदि शंकराचार्य , भक्तिकाल के संत, स्वामी दयानंद और विवेकानंद के उदाहरण से सामाजिक परिवर्तनों में अध्यात्म की भूमिका को चिन्हित किया।।
कार्यक्रम के अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ निर्माता डॉ उदयभान सिंह चौहान, प्रयोग आश्रम तिल्दा के अध्यक्ष सीताराम सोनवानी, छ्त्तीसगढ़ी महिला समाज के अध्यक्ष मालती परगनिहा उपस्थित रही।
‘सामाजिक आंदोलन और अध्यात्म’ विषय पर इस व्याख्यान का आयोजन डांक्टरस आन स्ट्रीट ( दोस्त) और प्रोग्रेसिव युटिलाईजेशन आफ रिसर्च एंड इकानामिक्स ( प्योर ) संस्था ने किया था। सुनील शर्मा ने आयोजक संस्था दोस्त और प्योर के सेवा कार्यों की जानकारी दी। आभार प्रदर्शन सुरज दुबे ने किया। व्याख्यान के उपरांत श्रेताओं ने विमर्श में भाग लिया। आयोजन में अनुराग शर्मा, एडवोकेट संतोष ठाकुर, स्वाति देवांगन, पूजा सोनी, लक्ष्मी सोनी ,साक्षी सिंह , विनय सिंह ने सक्रिय सहयोग दिया ।