मेरी आँखों में जो पानी है… तेरी ही मेहरबानी है…. सबसे मुश्किल तो वो कहानी है… जो किसी को नहीं सुनानी है…

                                                                                                                                                                शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )   

छत्तीसगढ़ राज्य के कुछ आईएएस,छ्ग प्रशासनिक सेवा के अफसर जेल में हैं,कुछ के खिलाफ जाँच जारी है,कुछ आईपीएस भी ईडी,सीबीआई के निशाने पर हैँ, कुछ के नाम हटाने की भी चर्चा है?एक वरिष्ठ आईपीएस बर्खास्त किया जा चुका है। वहीं आईएएस समीर विश्नोई, रानू साहू, सौम्या चौरसिया,अरुणपति त्रिपाठी,पूर्व आईएएस अनिल टुटेजाआदि कोयला या शराब घोटाले में जेल में हैँ तो वरिष्ठ आईपीएस जी पी सिंह को राज्य कीसलाह पर केंद्र ने बर्खास्त करदिया है।अब चर्चा जरुरी है कि निलंबन या बर्खास्त करने का अधिकार किसके पास है,आईएएस आईपीएस, आईएफएस जिस सरकार के लिए काम करते हैं उन्हें निलंबित करने काअधिकार होता है,अगर वो केंद्र सर कार के लिये काम करते हैं तो केंद्र और राज्य सरकार के लिए काम करते हैं तो राज्य सरकार के पास इस का अधिकार होता है।ऑल इंडिया सर्विस में आईएएस, आईपीएस और आईएफ एस आते हैं,बिना केंद्र की अनुमति के राज्य सरकार सिर्फ 3 लोगों को निलंबित नहीं कर सकती है चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी,चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर….अन्य का निलंबन राज्य सरकार कर सकती है,लेकिन कुछ नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी है,राज्य सरकार किसी ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारी का निलंबन करती है तो 48 घंटे के अंदर कैडर कंट्रोल अथॉ रिटी को लेटर भेज जान कारी देनी होती है, यह कम्युनिकेशन का हिस्सा होता है,निलंबन के अगले 15 दिनों के अंदर विस्तृत रिपोर्ट कैडर कंट्रोल अथॉ रिटी को भेजनी होगी,यह निलंबन 30 दिन का होगा।अगर 30 दिनों के बाद भी निलंबन जारी रखना है तो इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति जरुरी है।अगरअनु मति मिल जाती है तो यह 120 दिन तक वैध रहता है, इसे भी 180 दिन तक बढ़ाया जा सकता है यानी एक बार के लिए 180दिनों के लिए निलंबन बढ़ाया जा सकता है,लेकिन सेंट्रलरिव्यू कमेटी की सिफारिश के बाद ही हो पाएगा।अगर भ्रष्टाचार का मामला है तो इनका निलंबन सेंट्रल/स्टेट रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर अधिकतम 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है।क्या कोई मंत्री अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी को निलं बित कर सकता है..?इस सवाल का जवाब है-नहीं! मंत्री केंद्र में डीओपीटी या राज्य में हैं तो सीएम से उस ऑफिसर को निलंबित करने की सिफारिश कर सकते हैं, निलंबित करना है या नहीं,यह राज्य या केंद्र सरकार तय करेगी…क्या होता है अगर अफसर गिर फ्तार हुआ तो…?अगर कोई अधिकारी गिरफ्तार हो जाता है तो उसे डीम्ड सस्पेंशन माना जाता है, इसमें किसी तरह के कम्यु निकेशन की जरूरत नहीं होती है और वो 60 दिनों तक कस्टडी में रहता है तो उसे डीम्ड सस्पेंशन कहा जाएगा यानी समय खत्म होने के बाद राज्य सरकार 30 दिन का अलग से निलं बन जारी रखती है तो उसे डीम्ड सस्पेंशन के दिनों में नहीं गिना जाएगा, सामान्य स्थिति में 30 दिन और निलंबित होना पड़ेगा।कौन करता है बर्खास्त…?ऑल इंडिया सर्विसेज का हिस्सा होते हैं इसलिए इन्हें बर्खा स्त करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है, बर्खास्त करने का अधिकार उसी का होता है जो नियुक्त करता है।ऑल इंडिया सर्वि सेस के अधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति की तरफ से होती है इसलिए उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होता है।

कई राज्यों के मूल निवासी
बन चुके हैं छ्ग के राज्यपाल……   

छ्ग राज्य बनने के बाद 10 वें राज्यपाल, असम के रमेन डेका के कार्य सम्हाल लिया है, पहले बिहार,उप्र, तमिलनाडु,पंजाब, गुजरात, मप्रऔरओड़िशा के मूल निवासी यहां राज्यपाल बन चुके हैं।छग के पहले राज्य पाल सेवानिवृत्त आईपीएस और बिहार के पूर्व डीजीपी दिनेश नंदन सहाय(मूल निवासी बिहार) थे।नवंबर 2000 में राज्य बनने पर इस पद पर कार्यरत रहे, जून 2003 को त्रिपुरा के तब के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल कृष्णमोहन सेठ सेवानिवृत्त(मूल निवासी उप्र) के साथ पदों की अदला-बदली नहीं कर ली। सेठ जनवरी 2007 में सेवा निवृत्त होने तक इस पद पर रहे,उनके बाद पूर्व आईबी के निदेशक आईपी एस,ई एसएल नरसिम्हन (मूल निवासी तमिलनाडु) ने पद भार संभाला।जनवरी 20 10 में आंध्रप्रदेश के राज्य पाल, स्थानांतरित कर दिया गया, उन्होंने दिसंबर 20 09 से एनडी तिवारी के इस्तीफे के बाद अतिरिक्त आधार पर संभाला था,नर सिम्हन के स्थानांतरण के बाद, पूर्व रक्षा सचिव शेखर दत्त (मूलनिवासी असम)को राज्यपाल नियुक्त किया गया, दत्त के इस्तीफे के बाद,मप्र के राज्यपाल राम नरेश यादव (मूलनिवासी उप्र)ने कुछ समय के लिए राज्यपाल के रूप में कार्य किया। बाद में बलरामदास टंडन(मूलनिवासी पंजाब) की नियुक्ति हुई। टंडन 14 अगस्त 2018 को निधन तक राज्यपाल बने रहे, इस प्रकार वे पद पर रहते हुए मरनेवाले पहले,एकमात्र राज्यपाल बन गए। बाद में मप्र की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (मूलनिवासी गुज रात)ने कार्यवाहक का पद संभाला बाद में अनुसुइया उइके(मूलनिवासी मप्र)ने पदभार संभाला।उइके ने फरवरी 2023 तक राज्य के राज्यपाल के रूप में कार्य किया,उन्हें मणिपुर के राज्यपाल के रूप में स्था नांतरित कर दिया गया और उनके बाद आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बिस्वभूषण हरिचंदन (मूलनिवासी ओड़िसा) ने उनका स्थान लिया। हरिचंदन के बाद 31 जुलाई 2024 को रमेन डेका (मूलनिवासी असम) ने राज्यपाल पद की शपथ ली है।

बृजमोहन के बाद अब
रमेश बैस की भी चर्चा शुरू…..!   

विद्याचरण शुक्ल के बाद छग के सबसे वरिष्ठ रायपुर लोकसभा से 7 बार सांसद रहे तथा त्रिपुरा झारखण्ड और महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे रमेश बैस को हटाकर हाल फिलहाल कोई जिम्मे दारी नहीं दी गई है, ऐसे में यह कयास लगाये जा रहे हैं कि भाजपा संगठन में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी, राज्यसभा में भेजा जाएगा आदि आदि….? वैसे उनका उपयोग कहीं होगा या नहीं यह तो पीएम नरेंद्र मोदी ही तय करेंगे…? छ्ग के सबसे वरिष्ठ पूर्व सांसद के राजनीतिक खाते में पूर्व सीएम श्यामा चरण शुक्ला, विद्याचरण शुक्ला, भूपेश बघेल को पराजित करना दर्ज है, उम्र के इस पड़ाव में अब उनका क्या होगा….!इधर हाल ही में छ्ग के सबसे वरिष्ठ,1990 से 2024 तक लगातार विधायक,मप्र तथा छ्ग में भाजपा की सरकारों में मंत्री बनने वाले बृजमोहन अग्रवाल को सांसद बना दिल्ली बुलाने पर भी भाज पा नेतृत्व की मंशा पर सवाल उठाये जा रहे हैं, इतने वरिष्ठ भाजपा नेता की जगह छ्ग कोटे से पहली बार सांसद बने नेता साहू को मोदी मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री बनाना भी भाज पा कार्यकर्त्ताओं सहित जन सामान्य में चर्चा का विषय बना हुआ है? जाहिर हैकोई बड़ी जिम्मेदारी या तो रमेश बैस को मिलेगी या बृज मोहन को….? बहरहाल समय की प्रतीक्षा करनी होगी….?

और अब बस

0 क्या भाजपा शासित राज्यों में डिप्टी सीएम के पद समाप्त होंगे….?
0पुलिस मुखिया अशोक जुनेजा की 6 माह की सेवावृद्धि होगी या कोई नया डीजीपी बनेगा….?
0 अफसरों के थोक में तबादले में कौन मंत्री लाल हो गया है….?
0राज्यपाल डेका के छ्ग आने से असम मूल का कौन आईएएस काफ़ी उम्मीद से है….?

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