यह वही गलवां घाटी है, जहां साल 1962 में चीन ने भारत को धोखा दिया था और युद्ध छिड़ गया था।
साल 1962 में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध में भारत-चीनी सैनिकों के बीच यहीं टकराव हुआ था। चीनी सेना हमेशा से ही विवादित क्षेत्रों में टेंट लगाकर उकसावे का काम करती रही है। हाल ही में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ऐसा करने की कोशिश को तो भारतीय पक्ष ने उसे रोका, जिसे लेकर दोनों पक्षों में झड़प हुई थी।
58 साल पहले इसी घाटी में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था। ऐसे में एक बार फिर उसी जगह पर दोनों के बीच तनाव चरम पर पहुंच रहा है। कुछ दिन पहले ही दोनों देशों ने वार्ता के जरिए विवाद को सुलझाने का प्रयास किया था, लेकिन इसका कोई परिणाम सामने नहीं आया है।
चीनी मीडिया की तरफ से भारत पर घुसपैठ और चीन की सीमा के अंदर अवैध रूप से रक्षा सुविधाएं स्थापित करने का आरोप लगाया जा रहा है, जो पूरी तरह तथ्यहीन है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना ने कहा है कि चीन के सैनिक इस इलाके में टेंट लगाकर हमें उकसाने वाली गतिविधियां कर रहे हैं।
वहीं, भारतीय अधिकारी और दो जवानों के शहीद होने के बाद तनाव गहराता जा रहा है। दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी वर्तमान में स्थिति को सामान्य करने के लिए बैठक कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक की है। भारत और चीन के बीच करीब एक महीने से सीमा विवाद जारी है और इसे बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश की जा रही है। दोनों पक्षों की ओर से लगातार बातचीत जारी थी और संयम भरे बयान भी सामने आ रहे थे।