{किश्त 151}
नक्सली प्रभावित के नाम पर चर्चित, प्रकृतिक संसा धनों से परिपूर्ण छतीसगढ़ निर्माण के बाद पूर्व आईपी एस, आईएएस, सेना के अफसर सहित राजनेता भी राज्यपाल बनाये जाते रहे हैं,एक आदिवासी महिला भी छ्ग की राज्यपाल बन चुकी है।छत्तीसगढ़ गठन के बाद पहले राज्यपाल सेवानिवृत्त आईपीएस, बिहार के पूर्व डीजीपी दिनेश नंदन सहाय थे, जिन्होंने नवंबर 2000 में राज्य निर्माण के बाद से जून 2003 में त्रिपुरा के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल के एम सेठ(सेवानिवृत्त) के साथ पदों की अदला-बदली करने तक इस पद पर कार्य किया। सेठ ने जनवरी 20 07 में सेवानिवृत्त होने तक कार्य किया, बाद में उनकी जगह इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक,पूर्व आईपी एस, ईएसएल नरसिम्हन ने ली,नरसिम्हन ने जनवरी 2010 में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल के रूप में स्थायी रूप से स्थानांतरित होने तक राज्य के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, एनडी तिवारी के इस्तीफे के बाद दिसंबर 2009 से अतिरिक्त आधार पर इस पद पर थे। नरसिम्हन के स्थानांतरण के बाद, पूर्व रक्षा सचिव शेखर दत्त को राज्यपाल नियुक्त किया गया,वह जून 2014 में इस्तीफा देने तक पद पर बने रहे।दत्त अवि भाजित मप्र में रायपुर, बस्तर संभाग के कमिश्नर भी रह चुके थे।दत्त के इस्तीफे के बाद, मप्र के राज्यपाल राम नरेश यादव ने कुछ समय के लिए राज्य पाल के रूप में कार्य किया। बाद में राजनेता रहे बलराम दास टंडन की नियुक्ति के बाद अतिरिक्त कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया,टंडन 14 अगस्त 2018 को निधन तक राज्यपाल बने रहे, इस प्रकार वह पद पर रहते हुए निधन होने वाले राज्य के पहले, एकमात्र मौजूदा राज्यपाल बन गए। उनके निधन के बाद मप्र की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को प्रभार दिया गया जिन्होंने अगले वर्ष जुलाई तक सेवा की। अविभाजित मप्र सरकार की मंत्री रही अनुसुइया उइके ने उनका स्थान लिया। सुश्री उइके ने फरवरी 2023 तक राज्य के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, मणिपुर के राज्यपाल के रूप में स्थानां तरित कर दिया गया।उनके बाद आंध्रप्रदेश के राज्य पाल विश्व भूषण हरिचंदन आए तब से हरिचंदन राज्य पाल हैं। हरिचंदन मूलत: पड़ोसी राज्य ओड़िशा के मूल निवासी हैं,ओड़िशा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।