{किश्त137}
छत्तीसगढ़ के रायपुर में लोगों के लिए रेलवे की छोटी लाइन और छोटी ट्रेन अब बीते कल की बात हो गई है।123 साल पुरानी ये छोटी लाइन, ट्रेन रायपुर के लोग अब नहीं देख पा रहे हैं।असल में अब ब्राड़गेज (बड़ी लाइन)में तब्दील होने की प्रकिया तेज है।रायपुर- धमतरी छोटी रेललाईन भी ऐतिहासिक थी। 1896 में 45.74मील लंबी रेललाइन बनाने का काम शुरू हुआ, 5 साल बाद 1901 में पूरा कर लिया गया। ब्रिटिश इंजीनियर एएस एलेन की अगु वाई में में छत्तीसगढ़ में अकाल में ग्रामीणों को रोज गार देने के नाम पर रेल लाईन का निर्माण किया गया। इस ट्रेन से वन संपदा का दोहन युद्धस्तर परकिया गया।पहले इसे ग्रामीण “दू डबिया गाड़ी” कहते थे।शुरु वाती दिनों में इसमें दो डिब्बे ही होते थे।ग्रामीण इसके इंजन की सीटी सुन कर ही समय का पता लगा ते थे। इसमें भाप का ईंजन 1980 तक चला। बाद में डीजल का इंजन लगा और सफ़र थोड़ी अधिक गति से होने लगा। रेलमार्ग पर अभ नपुर महत्वपूर्ण जंक्शन था, यहाँ से राजिम,धमतरी के लिये रेलमार्ग पृथक हो जाता था। चर्चा यह भी थी कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दूल कलाम जब डीआर डीओ प्रमुख थे तब उन्होने अपनी एक गोपनीय यात्रा इस ट्रेन द्वारा रायपुर से धमतरी तक की थी…? नया छ्ग बनने के बाद रायपुर रेल्वे स्टेशन से हटाकर पहले परिचालन तेलीबांधा से किया जाता रहा, अब नई राजधानी से केन्द्री तक बड़ी रेल लाईन का कार्य युद्ध गति से चल रहा है।वैसे धमतरी लाइन को बीएनआर की पहली नेरोगेज लाइन होने का गौरव प्राप्त है।रेल इतिहास पर एनएस कस्तुरीरंगन और साईबल बोस द्वारा लिखी किताब ‘दी रोईंग जर्नी’ के पेज नंबर 51 से 57 में तो रायपुर- धमतरी- राजिम लाइन के निर्माण का उल्लेख है। बंगाल- नागपुुर रेलवे (बीएनआर) ने 1891- 92 में रायपुर- धमतरी ब्रांच लाइन के लिए सर्वे शुरू करवाया था, सर्वे पूरा होने पर 17 अप्रैल 1896 को रिपोर्ट सौंपी गई। रिपोर्ट में बताया गया था कि रायपुर-धमतरी 2 मीटर 6 इंच गेज यानी नेरो गेज (छोटी लाइन) में 65 हजार स्टार्लिन का खर्च आएगा। सर्वे के बाद सितं बर 1896 में डिस्ट्रिक्ट इंजीनियर एएस एलेन को रेललाइन बनाने का जिम्मा दिया गया। इंजी. एलेन ने अक्टूबर 1896 में रायपुर- धमतरी लाइन का काम शुरू किया। इस पुस्तक में यह उल्लेख नहीं है किकाम कब पूरा हुआ,यातायात कब चालू किया गया? दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे यानि एसईसीआर के रिकार्ड में ‘माइल स्टोन सिन्स बीएन आर टू एसईआर’ शीर्षक में बताया गया है कि 1901 में 45.74 मील लंबी इस धमतरी लाइन,10.50 मील लंबे राजिम ब्रांच लाइन में यातायात चालू हुआ। इससे पता चलता है कि 1896 से 1901तक 5 साल का सम य रेललाइन बनाने में लगा।छत्तीसगढ़ में अकाल में ग्रामीणों को रोजगार देने के नाम पर ही रेल लाईन का निर्माण किया गया।बताते हैं कि धमतरी मार्ग परनगरी तक रेल पटरियां बिछाईगई और राजिम मार्ग पर गरिया बंद के जंगलों तक? इसके परिचालन के लिए महानदी पर लकड़ी का पुल बनाया गया।इस ट्रेन से वन संपदा का दोहन भी युद्ध स्तर पर किया गया।
कुरुद- नगरी सेक्सन
का भी जिक्र…
रेलवे इतिहास की पुस्तक में कुरुद-सिहावा- नगरी सेक्शन का भी जिक्र है। 64 मील यानि 102 किमी लंबी नगरी तक रेल लाइन ब्रिटिश जमाने में हुआ कर ती थी। वनांचल से लकड़ी ढुलाई के लिएकुरुद से बासीन (सिहावा-नगरी) तक रेल चलती थी। नगरी तक की रेल लाइन कब बनाई गई और यातायात कब शुरू हुआ इसके बारे में नहीं बताया गया है। उल्लेखनीय है कि अभी धमतरी से नगरी के बीच पड़ने वाले जंगल में कई जगह रेल पटरियों के अव शेष मिलते हैं। नगरी क्षेत्र के ग्राम दुगली और कुरुद के पास स्थित कुआं अब गुजरे जमाने की बात हो गए है, कभी इन कुओं से भाप इंजन में पानी भरा जाता था।