{किश्त 116}
आजादी के बाद देश में पहले लोक़सभा चुनाव में सरगुजा-रायगढ़,बिलासपुर- दुर्ग-रायपुरऔर दुर्ग-बस्तर थी एक सीट।देश में पहली बार लोकसभा चुनाव हुये थे,तब छत्तीसगढ़ में कुल लोकसभा की 7 सीटें थीं।सरगुजा-रायगढ़,बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर और दुर्ग-बस्तर एक सीट हुआ करती थी। रायपुर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो पहले दो चुनावों में रायपुर में दो लोकसभा सीटें थीं।1952 में रायपुर संसदीय सीट से कांग्रेस के भूपेन्द्र नाथ मिश्रा (डॉ कल्याण मिश्र,बलौदा बाजार के पिता),अगमदास (विजय गुरु के पिता)ने भी जीत हासिल की थी।मिनी माता,कांग्रेस सांसद बनी थीं,सामाजिक मुद्दों, महिला सशक्तिकरण की उन्होंने वकालत की।उन्होंने अलग अलग सीटों से पांच बार लोकसभा चुनाव जीता था। 1957 के चुनावों में बीरेंद्र बहादुर सिंह,केशर कुमारी देवी की विजय हुई थी।19 57 में बलौदाबाजार सीट बनी थी,मिनीमाता सांसद बनी थीं।उस समय रायगढ़ सीट नहीं थी1962 में लोकसभा की 10 सीटें बनीं।रायगढ़,महासमुंद और राजनांदगांव लोस क्षेत्र बने, 1971में बलौदा बाजार लोस का विलोपन हुआ, कांकेर नया लोस क्षेत्र बना था।इसके बाद 1977 में हुए चुनाव में सारंगढ़ के रूप में 11वाँ लोकसभा क्षेत्र जुड़ा था।परिसीमन के बाद 2009 में सारंगढ़ लोस क्षेत्र खत्म हो गया,इसका एक हिस्सा जांजगीर लोस से में जुड़ गया और कोरबा एक लोस क्षेत्र बना था।
आजादी के बाद कब,
कितनी सीटें रहीं छग में
1951में सरगुजा-रायगढ़, बिलासपुर,बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर, महासमुंद,दुर्ग,
दुर्ग- बस्तर, बस्तर,1957 में दुर्ग,बस्तर,रायपुर,बलौदा बाजार,सरगुजा,जांजगीरऔर बिलासपुर,1962 में सरगुजा,रायगढ़,रायपुर,
जांजगीर,दुर्ग,बिलासपुर,
बलौदाबाजार,महासमुंद,
राजनांदगांव,बस्तर,1971
में सरगुजा,रायगढ़,दुर्ग,
बस्तर,रायपुर,जांजगीर,
महासमुंद,कांकेर,बिलास
पुर,राजनांदगांव,1977 में सरगुजा,रायगढ़,कांकेर जांजगीर,दुर्ग,बिलासपुर,
सारंगढ़,बस्तर,महासमुंद,
राजनांदगांव,रायपुर,तो
2009में सरगुजा,रायगढ़
दुर्ग,जांजगीर,बिलासपुर,
कोरबा,रायपुर,महासमुंद,
राजनांदगांव,बस्तर और कांकेर..।
एक लोकसभा से दो
सांसद चुने जाते थे…..
देश में आजादी के बादकुछ लोकसभा क्षेत्रों में 2 सांसद चुनने की परम्परा थी याने मतदान में सबसे अधिक मत पानेवाले,दूसरे नंबर में आनेवाले प्रत्याशी सांसद चुने जाते थे।1951के लोस चुनाव में सरगुजा, बिलास पुर,बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर से दो सांसद चुने गये थे।सरगुजा-रायगढ़ से बाबू नाथसिंह,महाराजा चंडिके श्वरशरण जूदेव, बिलासपुर से रेशमलाल जांगड़े,सरदार अमरसिंह सैगल,बिलासपुर -दुर्ग- रायपुर से गुरु अगम दास और भूपेंद्र नाथ मिश्रा भी सांसद चुने गए थे।महा समुंद लोस से शिवदास डागा तो दुर्ग से डब्लुएस किर्लोस्कर,दुर्ग- बस्तर से भगवतीचरण शुक्ला,बस्तर से मुचाकी कोसा जीते थे।1957 में दुर्ग से मोहनलाल बाकली वाल,रत्नाकर झा, रायपुर से बीरेंद्र बहादुरसिंह रानी केशरकुमारी देवी, बलौदाबाजार से मिनीमाता विद्याचरण शुक्ल,सरगुजा से राजा चंडिकेश्वर शरण जूदेव,बाबूनाथ सिंह सांसद बने थे।बस्तर सूर्ती किस्तैया ने बाेडादारा,जांजगीर से अमरसिंह सैगल ने शिवा धीन और बिलासपुर से रेशमलाल जांगड़े ने सूरज नाथ पांडेय काे हराया था।
निर्विरोध विधायक बनी
थीं रानी पद्मावती….
एक रोचक तथ्य यह है कि पहले विधानसभा चुनाव में गुढ़ियारी,पांडुका,बोरीदेवकर,देवभोग,चंद्रपुर बिर्रा बाराद्वार आदि विस सीटें थीं। बोरी देवकर से रानी पद्मावती विधायक बनी थीं। इसके बाद 1957 में रानी पद्मावती वीरेंद्रनगर से निर्विरोध विधायक भी चुनी गई थीं।