{किश्त 97}
भारत में अफ़्रीकी नस्ल के चीतों को मध्यप्रदेश में बसाने की कोशिश हो रही है,उसी मप्र के छ्ग में कोरिया में अंतिम तीन एशियाई चीते मारे गए थे, इसी कोरिया रियासत के राजमहल के एक कमरे में मारे गए इन अंतिम चीतों के सिर टंगे हुए हैं।पुराने दस्तावेज़ बताते हैं कि दिसं बर 1947/48 में कोरिया के महाराज रामानुजप्रताप सिंहदेव ने रियासत के राम गढ़ इलाक़े में तीन चीतों का शिकार किया था।उसके बाद भारत में एशियाई चीतों के कोई प्रमाण नहीं मिले और भारत सरकार ने 1952 में चीता को भारत में विलुप्त प्राणी घोषित कर दिया था।विलुप्त हो चुके चीतों के संबंध में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के दस्तावेजों की मानें तोभारत के आखिरी तीन चीतों को 1947 में कोरिया में राजा रामानुजप्रताप सिंहदेव ने मार गिराया था।उनके निजी सचिव ने ही यह जानकारी बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसा यटी को भेजी थी।मप्र-छग में कई सरकारों में मंत्री रहे महाराजा रामानुज के बेटे रामचंद्र सिंहदेव वैसे इस तथ्य से सहमत नहीं थे कि कोरिया में एक साथ मारे गए 3 चीते देश के आखिरी चीते थे।पुराने दस्तावेज़ बताते हैं कि दिसंबर1947 में कोरिया के रामानुज प्रताप सिंहदेव ने अपनी रियासत के रामगढ़ इलाक़े में तीन चीतों का शिकार किया था।ऐसा माना जाता है कि भारत के आखिरी तीन चीतों का साल 1947 में शिकार किया गया था।बताया जाता है कि कोरिया रियासत के ग्रामीणों ने महाराजा से शिकायत की थी कि कोई जंगली जानवर उनके मवेशियों को मार रहा है,साथ ही जंगली जानवर कुछ ग्रामीणों को भी मार चुके हैं।जिसके बाद ही महाराजा रामानुज प्रताप सिंह ने तीन चीतों का शिकार किया… एक तर्क यह भी है कि सरगुजा क्षेत्र में बड़े घास के जंगल ही नहीं हैं ऐसे में वहाँ चीतों का होना भी संदेहास्पद है…!ये भी माना जाता है,कोरिया रियासत के पास ही एक रियासत हैअंबिकापुर,वहां के राजा थे रामानुज शरण सिंहदेव।अंबिकापुर केराजा ने बड़ी संख्या में शेरों का शिकार किया था।ऐसे में मान्यता है कि अंबिकापुर के राजा ने आखिरी तीन चीतों का शिकार किया हो लेकिन एक जैसा नाम होने के चलते भ्रम होता है कि आखिर किस राजा ने चीतों का शिकार किया.?बताया जाता है कि अंबिकापुर के जंगलों से सटे कुछ गांवों में चीतों ने जानवरों काशिकार किया था।चीतों की दखल से ग्रामीण भयभीत रहते थे।उन्हें यह डर रहता था कि जानवरों की तरह कहीं चीते इंसानों को अपना निवाला न बना लें। बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव को दी।उस समय के कुछ रिपोर्ट में यह भी दावा है कि चीतों ने इंसानों पर भी हमला किया था।खबर मिलने के बाद राजा चीतों के शिकार पर निकल पड़े।उन्होंने बंदूक से तीन नर चीतों को ढेर किया था।रामानुज प्रताप सिंहदेव का जन्म 1901 में हुआ था।वह कोरिया रियासत के आखिरी महाराजा थे,छोटा नागपुर की राजकुमारी दुर्गा वती देवी के साथ 1920 में उनकी शादी हुई थी।राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था,1931 में लंदन में हुए गोलमेज सम्मेलन में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ हिस्सा भी लिया था।6अगस्त 1954 को रामानुजप्रताप सिंहदेव का निधन हो गया।उनके बेटे स्व.रामचंद्र सिंहदेव एमपी /छ्ग सरकार में मंत्री भी रहे हैं।