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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशवराव बलीराव पंत हेडगेवार के निधन के पश्चात् पहले सर संघचालक माधवराव सदा शिवराव गोलवलकर ने बच पन का कुछ समय सराय पाली में गुजारा था,पांचवे सर संघचालक केसी सुदर्शन ने रायपुर (छग)में ही जन्म लिया, इसे संयोग ही कहेंगे किअपना नश्वर शरीर भी रायपुर में ही त्यागा था।छत्तीसगढ़ की इस भूमि का बड़ा महत्व हैं, कई महान विभूतियों नेयहां जन्म लिया तो कइयों ने बड़ा समय भी गुजारा है।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना डॉ. हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में की थी उनके निधन के बाद संघ की बागडोर गुरूजी उर्फ़ गोलवलकर ने 21जून 1940 को सम्हाली थी।19 फरवरी1906 को रामटेक महाराष्ट्र में चौथी संतान के रूप में माधवराव का जन्म हुआ था,पिता भाऊ सदा शिवराव और माता का नाम लक्ष्मी बाई था।भाऊ डाक विभागऔर बाद में शिक्षा विभाग में पदस्थापना हो गई थी।सन 1909-10 में सीपी एंड बरार सरकार के समय ज़ब गुरूजी3-4 साल के थे तब पिता को सराय पाली में मंदिर प्रायमरी स्कूल में पदस्थ किया गया। ओड़िसा से लगे,ओड़िया भाषी क्षेत्र होने के कारण वे हिंदी शिक्षक के रूप में 2-3साल वहाँ रहे। गुरूजी के बड़े भाई तो वहाँ पढ़ते थे पर कम उम्र के कारण उन्हें वहाँ दाखिला तो नहीं मिला पर पिता और बड़े भाई के साथ वे स्कूल जाया करते थे।खैर बाद में पिता की महाराष्ट्र वापसी भी हुई, गुरूजी ने चाँदा(चंद्रपुर)के गुवली हाईस्कूल,हिसल्प कालेज से इंटर,बनारस विश्वविद्यालय से प्राणी शास्त्र में ऍमएससी की पढ़ाई पूरी की, बाद में अध्यापक की नौकरी भी की इसलिए उनके नाम के साथ गुरूजी उपनाम जुड़ गया।5जून 1973को उनका नागपुर में निधन हो गया।लम्बे समय तक संघ की बागडोर सम्हाली थी।संघ के पांचवे सर संघ चालक के सी सुदर्शन का तो 18 जून1931को छ्ग रायपुर में ही जन्म हुआ था।उनके पूर्वज मूलत: तमिलनाडु,कर्नाटक की सीमा पर बसे कुप्पहल्ली (मैसूर)के मूल निवासी थे।इनके पिता सीमा रमेया, वन विभाग में कार्यरत थे। सीपी एंड बरार और बाद में मप्र में काफ़ी समय अंचल में गुजारा था।सुदर्शन की पढ़ाई रायपुर,दमोह,मंडला और चंद्रपुर में हुई थी। बाद में जबलपुर (सागर विश्व विद्यालय)में 1954 में बीई की उपाधि ली थी। संघ से जुड़कर अपना जीवन अर्पित कर दिया।रायगढ़ में भी जिला,विभाग प्रचारक की जिम्मेदारी सम्हाली थी। विभिन्न पदों में पदस्थ रहकर ब्रिटेन, हालेंड, केन्या सिंगापुर,मलेशियाअमेरिकाहाँगकांग,त्रिनीडाड आदि की भी यात्राएं की।चौथे संघ प्रमुख रज्जू भैया ने स्वास्थगत कारणों से 10 मार्च 2000 को पद छोड़ दिया तब सुदर्शन संघ के सर्वोच्च पद पर स्थापित हो गये। करीब 9साल तक यह जिम्मेदारी सम्हालने के बाद सुदर्शन ने 21मार्च 2009 को मोहन भागवत कोउत्तरा धिकार सौंप दिया।उनकी एक बहन अभी भी रायपुर में रहती हैं।एक पुस्तक के विमोचन के सिलसिले में वे रायपुर आये थे।15सितम्बर 12 को वे प्रातःभ्रमण को निकले, वहाँ से आकर संघ कार्यालय जागृति मंडल पंडरी के कमरे में आराम करने लगे और अपना शरीर छोड़ दिया।क्या यह इच्छा मृत्यु तो नहीं थी जिस शहर में जन्म लिया वहीं आख़री सांस भी ली..? बाद में उनका अंतिम संस्कार नागपुर में किया गया।