{किश्त 49}
भारत विविधताओं से भरा देश है,छग का रामनामी समाज तो लगभग 120 वर्षों से भी अधिक समय से एक विशेष परंपरा का निर्वहन कर रहा है।श्रीराम के ननिहाल याने कौशिल्या के छग में विशेष परंपरा यह है कि रामनामी समाज के लोग अपने पूरे शरीर पर राम नाम के टैटू बनवाते हैँ ,ये लोग न तो मंदिर में विश्वास रखते हैँ और ना ही मूर्ति पूजा में…..?दरअसल इस परंपरा को बगावत की दृष्टि से भी देखा जाता है।
कहा जाता है कि करीब 120 वर्ष पहले कुछ ऊँची जाति के लोगों ने कुछ लोगों को मंदिरों में घुसने पर पाबन्दी लगा दी थी।ठीक इस घटना के बाद लोगों में विरोध की भावना जागी और लोगों ने अपने चेहरे सहित पूरे शरीर पर राम नाम के टैटू बनवाना शुरू कर दिया…उनका मानना था कि मंदिर में ही नहीं,हमारे शरीर के हर हिस्से में श्रीराम हैं… इससे श्रीराम को कैसे अलग करोगे.. ? विशेष समाज के लोगों को ‘रमरमिहा’ नाम से भी जाना जाता है।छत्तीसगढ़ के सबसे गरीब और पिछड़े इलाकों में से कुछ लोगों के 50/60 साल पहले शरीर पर बने टैटू कुछ धुंधले से हो चुके हैं, लेकिन उनके इस विश्वास में कोई कमी नहीं आई है।नई पीढ़ी ने इस परंपरा से खुद को थोडा दूर जरूर कर लिया है,समय के साथ टैटू बनवाने का चलन कम भी हुआ है,नयी पीढ़ी पूरे शरीर में ये टैटू बनवाना पसंद नहीं करती…वहां के लोगों का कहना है कि आज की पीढ़ी टैटू नहीं बनवाती इसका मतलब यह नहीं है कि उनका इस पर विश्वास नहीं है।पूरे शरीर पर तो नहीं परन्तु शरीर के किसी हिस्से पर टैटू अवश्य बनवाते है….रामनामी समाज के नियम के अनुसार समाज में पैदा हुये लोगों को शरीर के कुछ हिस्सों में टैटू बनवाना जरूरी है,खासतौर पर छाती पर…और दो वर्ष का होने से पहले…..।टैटू बनवाने वाले लोगों को शराब पीने की मनाही के साथ ही रोजाना राम नाम बोलना भी जरूरी है।ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है। इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है, और ये लोग आपस में एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते हैं।
रामनामियों की पहचान राम-राम का टैटू गुदवाने के तरीके के मुताबिक की जाती है,शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले ‘रामनामी’,माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को ‘शिरोमणि’,पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को ‘सर्वांग रामनामी’और पूरे शरीर पर राम नाम लिख वाने वाले को ‘नखशिख रामनामी’कहा जाता है।राम नामी समाज ने कानूनन रजिस्ट्रेशन कराया है और प्रजातंत्रिक तरीके से उनके चुनाव हर 5 साल के लिए कराए जाते हैं।आज कानून में बदलाव के जरिये समाज में ऊंच-नीच को तकरीबन मिटा दिया गया है।धर्म-कर्म से ज़्यादा लोग दिखावे में लगे हुए हैं।अब कुछ नहीं कहा जा सकता है कि शायद 5 साल या 10 साल बाद ही उसके बाद…? क्या 120 सालों का रामनामी समाज खत्म हो जाएगा।एक युग खत्म हो जाएगा.?