जैन हवाला डायरी :वीसी, कमलनाथ, अरविन्द नेताम को टिकट नहीं…

एल के आडवाणी ने दिया था संसद से इस्तीफा {किश्त 28}

इतिहास गवाह है कि एक डायरी ‘जैन हवाला कांड’ के नाम से मिली थी उसमें भी कुछ बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम थे। एक पत्रकार ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की उसके बाद 3 बड़े दिग्गजों को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा,लाल कृष्ण आडवाणी को सांसदी से इस्तीफा देना पड़ा था।बाद के लोस चुनाव में कांग्रेस ने वीसी, कमलनाथ और अरविन्द नेताम को प्रत्याशी नहीं बनाया था….।वहीं मोतीलाल वोरा को भी उप्र के राज्यपाल के पद से
इस्तीफा देना पड़ा था..?भिलाई के जैन बंधु की ‘हवाला डायरी और सुको,सीबीआई द्वारा की गई बड़ी कार्यवाही की भी चर्चा सामयिक होगी। एक छोटे पुलिस अधिकारी द्वारा गश्त में एक संदेही को हिरासत में लेने के बाद हवाला कांड का खुलासा हुआ। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास की इस तरह की सबसे बड़ी और धमाकेदार कार्यवाही के रूप में जानी जाती है।उस घटना के एक बाद फिर हमारा विश्वास अंग्रेजों द्वारा जारी की गई पुलिस की रूटीनग्रस्त कार्य प्रणाली की उपयोगिता के प्रति रेखांकित किया था।छत्तीसगढ़ में हवाला कांड के हीरो एस.के. जैन की डायरी चर्चा में आने के बाद कई राजनेता,अधिकारियों को प्रभावित होना पड़ा था…. इस पूरे कांड के चलते तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कमल नाथ तथा अरविंद नेताम को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया था। उनके बदले उनके उत्तराधिकारी धनेन्द्र साहू, अलकानाथ और छबिला नेताम को टिकट दी गई।जैन हवाला कांड और डायरी की भी एक दास्तां है। पुरानी दिल्ली के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में एक छोटे स्तर का पुलिस कर्मचारी ने गश्त के दौरान एक कश्मीरी युवक को संदेह के आधार पर पुलिस थाने लाया गया। वहां उसने कश्मीरी आतंक वादी होने की पुष्टि हुई और दिल्ली में उसकी मदद करने वाले लोगों में दिल्ली विश्व विद्यालय के एक छात्र शहाबुद्दीन गौरी का नाम सामने आया।उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उसने वित्तीय सहायता करने वालों में हवाला कांड के प्रमुख नायक एस.के. जैन के एक कर्मचारी जेके जैन का नाम बताया।बाद में उसी के मार्फत पुलिस एस.के. जैन तक पहुंची। उसके परिवार की तलाशी में वह बहुचर्चित डायरी मिली जिसके बड़े राज नेताओं और अधिकारियों के नाम उन्हें दी गई राशि का उल्लेख था,भुगतान की तारीख भी दर्ज थी।डायरी में इतने बड़े लोगों के नाम का उल्लेख होने से पुलिस कुछ सकुचाई और उन्हें प्रथम दृष्टया यकीन भी नहीं हुआ कि एक उद्योग पति द्वारा सभी राजनीतिक दलों के इतने बड़े वरिष्ठ नेताओं वरिष्ठ अफसरों को इतनी बड़ी राशि दी गई। उस समय यह खबर सबसे पहले ‘साप्ताहिक ब्लिटज’ में प्रकाशित हुई,पर कालचक्र के सम्पादक विनीत नारायण ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जन हित याचिका दायर कर कार्यवाही की मांग की। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर मुस्तैदी से कार्यवाही की औरसंविधान के अनुच्छेद 142 में दिये गये अधिकारों का कारगर ढंग से उपयोग करते हुए केन्द्र सरकार,सीबीआई पर इतना दबाव बनाये रखा कि 7 प्रमुख लोगों के खिलाफ सीबीआई को चलान प्रस्तुत करना पड़ा,वहीं सर्वोच्च न्यायालय का सीबीआई पर इतना अधिक नियंत्रण रहा कि प्रत्येक नामजद व्यक्ति के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई कितने साक्ष्य एकत्रित किये गये,कितनी पूछताछ की गई इन सभी की सीबीआई से ली जाती रही थी। बहरहाल इस प्रकरण के पीछेउस समय के पीएम नरसिंह राव की सोची समझी दूरगामी रणनीति की परिणति भी कुछ लोग मानते रहे……! उस समय सीबीआई के डायरेक्टर न केवल आंध्रप्रदेश के थे बल्कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद सेवावृद्धि भी पीएम नरसिंह राव ने दी थी। वैसे जैन हवाला डायरी कांड का तत्कालीन लाभ नरसिंह राव को मिला भी,उन्होंने राजनीति के दिग्गजों और महारथियों पर मुकदमा चलाने की कार्यवाही तथा अपने मंत्रिमंडल के 3 वरिष्ठ मंत्रियों पर कार्यवाही करके अपनी निष्पक्षता भी प्रमाणित करने का प्रयास किया।जैन डायरी और हवाला की काली छाया कांग्रेस,भाजपा तथा रामो-वामो तीनों के ही वरिष्ठ नेताओं पर भी 96 के चुनाव में पड़ी थी।यह बात और है कि सितंबर 1993 में जब 64 करोड़ के जैन हवाला घोटाले के मामले में सुको ने 115 बड़े अफसरों राजनेताओं को भ्रष्टाचार, टाडा,फेरा और आयकर के मामले में गिरफ्तारी का अनुरोध याचिकाकर्ता विनीत नारायण ने किया था तो भी लोग कहते थे कुछ नहीं होगा…? 1993 में हवाला डायरी के तहत कुछ बड़े राजनेता पर मामला भी चला.. यह बात और है कि 18 दिसंबर 1997 को सुको ने चार वर्षों में अपनी देखरेख के बावजूद, इस मामले को बंद करते हुए सीबीआई को स्वायत्तता देने की घोषणा कर दी। इस तरह हवाला कांड के आरोपियों को कोई सजा नहीं मिली…..। इस मामले में पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल, विद्याचरण शुक्ल, बलराम जाखड़, माधवराव सिंधिया, लालकृष्ण आडवाणी, अरविंद नेताम, कल्पनाथ राय,अर्जुनसिंह,कमलनाथ यशवंत सिन्हा,आरिफ मोहम्मद खान मदन लाल खुराना,बूटा सिंह,सीके जाफरशरीफ,शरद यादव,पी.शिवशंकर आदि के नाम चर्चा में आये थे?

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