{किश्त11}
छत्तीसगढ़(अविभाजित मप्र का हिस्सा )से कुछ बाहरी राजनीतिक दिग्गज भी चुनाव समर में उतरे थे, बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक काशीराम ने भी छत्तीसगढ़ से अपनी राजनीति चमकाने का प्रयास किया था हालांकि उन्हें मतदाताओं ने नकार दिया पर कालांतर में छत्तीसगढ़ में बसपा के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने में उनके प्रयास को नकारा नहीं जा सकता है।1984 में जांजगीर लोकसभा का चुनाव काशीराम ने लड़ा था।उस चुनाव में मात्र 8.81 प्रतिशत मत हासिल करने वाला यह नेता दशकों बाद देश की राजनीति में छा जाएगा ऐसी किसी ने कल्पना नहीं की थी।उस समय कांग्रेस के डॉ. प्रभात कुमार मिश्रा ने भाजपा के प्रत्याशी बद्रीधर दीवान (छग विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष) को एक लाख 22 हजार 180 मतों से पराजित किया था। कांशी राम तीसरे नंबर पर आये थे।अंग्रेजी में एक मुहावरा है ‘फस्टअमंगदी इक्वल्स’। इसी शीर्षक पर ब्रिटिश लेखक जेपूटी आर्चर ने 80 के दशक में ब्रिटेन की सियासत पर एक काल्पनिक उपन्यास लिखा था इसका मतलब है.. विशेष समूह के शामिल व्यक्तियों में किसी एक का ओहदा,प्रतिष्ठा और हैसियत आदि सबसे उपर होना…। बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और डॉ. बीआर अंबेडकर के बाद दलितों के सबसे बड़े नेता काशीराम को कहा जा सकता है। कहा जाता है कि एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने काशी राम को राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव दिया था ? पर उन्होंने प्रस्ताव ठुकराकर कहा था कि वे प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।’जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ का नारा देने वाले काशीराम सत्ता को दलित की चौखट तक लाना चाहते थे।बहरहाल उनके अनुयायी इसी उद्देश्य पूरा करने के लिए प्रयासरत है।छ्ग में बसपा के भी समर्थक मतदाता हैं और छ्ग की विधानसभा में इक्का दुक्का विधायक पहुँचते भी हैं।
बाबूराव पटेल,जनसंघ
1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एक बड़े नेता विद्याचरण शुक्ल के खिलाफ जनसंघ के बड़े नेता बाबूराव पटेल मैदान में उतरे थे। उस समय जनसंघ के राष्ट्रीयअध्यक्ष अटल बिहारीवाजपेयी (1969-72)थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आकस्मिक मृत्यु के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सम्हाली थी। उन्होंने जनसंघ को छग में स्थापित करने बाबूराव पटेल को कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल के खिलाफ प्रत्याशी बनाया था। उस लोस चुनाव में हालांकि बाबूराव पटेल, 84909 मतों से पराजित हो गये थे पर वे उस समय पूर्व सांसद थे।बाबूराव पटेल वहीं नेता थे जिन्होंने 1967 का लोकसभा चुनाव राजगढ़ (म.प्र.) से जीता था उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता लीलाधर जोशी को पराजित किया था।एक बात यह रही कि भले ही छत्तीसगढ़ से बाबूराव पटेल पराजित हो गये पर जनसंघ की जड़ें छग में मजबूत करने तथा पुराने जनसंघियों को रिचार्ज करने में उन्हें जरूर सफलता मिली।