इंदौर की कांग्रेस में “प्रमोद”

         विशाल यादव                                                       प्रमोद शब्द का अर्थ है खुशी , उल्लास , आंनद… आज कांग्रेस के कई छोटे – बड़े कार्यकर्ताओं के मन में ये शब्द चल रहे हैं। वजह कोई और नहीं बल्कि प्रमोद टंडन ही हैं। जी हां ये वही प्रमोद टंडन हैं जिन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए अपनी मूल पार्टी कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। लेकिन जैसा कि कांग्रेस से बीजेपी में जाने वाले नेताओं के साथ होता है टंडन के साथ भी वही हुआ वो अपने को बीजेपी में असहज महसूस करते रहे। कांग्रेस से बीजेपी में जाने और फिर कांग्रेस में लौटने वालों में कई घुरन्दर नेताओं के नाम इतिहास में दर्ज हैं। फिर प्रमोद वहां कैसे खुश रहते … उनके नाम में ही उत्साह और खुशी है। खैर प्रमोद टंडन के बीजेपी छोड़ने के बाद उनकी कार्यशैली का कांग्रेस कैसे फायदा लेगी ये आने दिनों ही तय हो जाएगा। फिलहाल उनके लिए प्रदेश कांग्रेस का कोई बड़ा पद आरक्षित है बातें चल रही हैं। बात प्रमोद टंडन की हो और उनके अध्यक्ष वाले कार्यकाल के जिक्र न हो तो बेमानी है, कई बड़े नेताओं को निपटा कर विरोधियों को साथ लेकर टंडन ने पहला शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पाया था। तब साथ निभाया था राजेश चौकसे और अनिल यादव ने । इन दोनों नेताओं ने सभी विरोधियों को साथ लेकर शहर कांग्रेस के सबसे ताकतवर जोशी गुट से भिड़ प्रमोद टंडन को अध्यक्ष बनवा लिया। अपने सबसे लंबे कार्यकाल में प्रमोद टंडन ने छोटे और नए कार्यकर्ताओं की फ़ौज खड़ी कर दी थी। जिसमें टंडन के छात्र राजनीति के साथी ठाकुर जितेंद्र सिंह की भी भूमिका खूब रही। कांग्रेस के हर इम्तिहान में टंडन पास हुए। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें विधायक और महापौर चुनाव में उतारने से परहेज ही किया। इसके बाद भी वो शिद्दत से कांग्रेस के लिए सड़कों पर लड़ते नजर आए। प्रमोद टंडन के सबसे ऐतिहासिक बीजेपी सरकार के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शन में कई घंटों तक चलने वाला राजबाड़े पर हुआ प्रदर्शन था। एक तरफ कांग्रेसी तो दूसरी तरफ बीजेपी के कार्यकर्ताओं की भीड़.. सुबह से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन देर शाम तक चलता रहा। इंदौर के सबसे सेंसेटिव पॉइंट राजबाड़ा ही था। ये बातें इसलिए की ‘प्रमोद टंडन कांग्रेस के अंदर नहीं थे बल्कि उनमें कांग्रेस थी’। भाव वश वो बीजेपी में चले गए हों लेकिन वो कभी कांग्रेस को छोड़ ही नहीं पाए। बीजेपी में जाने के बाद भी कांग्रेस के छोटे कार्यकर्ता कई बार उनसे ही मदद मांगने घर तक पँहुच जाते हैं और वो खुले दिल से बिना सोचे उनकी मदद करने में पीछे नहीं रहे। खैर अब फिर से इंदौर की कांग्रेस में “प्रमोद” है ।      

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *