शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
भाजपा,आरएसएस के लोग महात्मा गांधी की विचारधारा को स्वीकार नहीं करते…. लेकिन वहां गांधी को इसलिए अपनाया जा रहा है क्योंकि इस पर पीएम नरेंद्र मोदी का जोर है।गांधी देश के साथ-साथ ब्रांड गुजरात भी हैं।सरदार पटेल भी ब्रांड गुजरात हैं,इसलिए गांधी,पटेल और मोदी के बहाने यह दिखाने की कोशिश है कि आजादी से पहले,उसके बाद और अब 21वीं सदी का भारत बनाने में ब्रांड गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है… इधर हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के पीऍम ऋषि सुनक,संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस सहित जी 20 देशों के प्रमुख नेताओं ने महात्मा गाँधी के समाधि स्थल राजघाट पर पहुंचकर भारत के राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की,वहीं पीएम मोदी ने राजघाट पर सभी की अगवानी की। सवाल यही खड़ा होता है कि भाजपा के कुछ नेता गाँधी के खिलाफ टिप्पणी तथा उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की तारीफ करने में पीछे नहीं हैं पर उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं होती है।क्या गाँधी के खिलाफ टिप्पणी को “राजद्रोह” नहीं माना जाना चाहिये।वैसे बड़े ब्रांड वैल्यू की वजह से स्वच्छ भारत अभियान और ग्राम स्वराज के बहाने भाजपा ने कांग्रेस से महात्मा गांधी को राजनीतिक तौर पर टेकओवर करने की कोशिश शुरू कर दी थी ?दरअसल भाजपा को गाँधी को नजरअंदाज करना संभव भी नहीं है क्योंकि इनका कोई आइकन भी तो नहीं है न आजादी के समय का और न उसके बाद के कालखंड का… अब देखते हैं कि बापू के खिलाफ क्या टिप्पणी भाजपा नेताओं ने की है….भाजपा के तत्कालीन प्रमुख अमित शाह ने जून 2017 में गांधी को”चतुर बनिया” (चालाक बनिया) बताया,जो उनकी चतुराई का संदर्भ था । व्यापारिक जाति जिसमें उनका जन्म हुआ।
“स्वतंत्रता हासिल करने के लिए विभिन्न विचारधाराओं और सोच के लोगों ने खुद को कांग्रेस के साथ जोड़ा। कांग्रेस के पास कोई विचारधारा या सिद्धांतों का सेट नहीं था और इसका उपयोग केवल स्वतंत्रता हासिल करने के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में किया गया थाऔर इसलिए,महात्मा गांधी, दूरदर्शिता के कारण,बहुत चतुर बनिया था,उन्हें पता था कि भविष्य में क्या होने वाला है।भोपाल से भाजपा की लोकसभा सांसद और मालेगांव विस्फोट की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बार-बार महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को “देशभक्त” कहा है।
पिछले साल लोकसभा चुनाव के बीच सिंह ने कहा था कि गोडसे देशभक्त था और वह देशभक्त ही रहेगा।हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया कि महात्मा गांधी की छवि से खादी को मदद नहीं मिली और इससे मुद्रा का अवमूल्यन हुआ, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया,विज ने लोकप्रिय हिंदी गीत साबरमती के संत पर भी आपत्ति जताई और कहा कि इसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गलत तस्वीर पेश की गई है और दावा किया कि इसके गीत कई शहीदों का ‘अपमान’ थे जिनके योगदान को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया।असम से भाजपा के राज्यसभा सदस्य कामाख्या प्रसाद तासा ने महात्मा गांधी और भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की तुलना “कचरा” से की थी।
जी-20 में करीब
4100 करोड़ ख़र्च.?
भारत में जी-20 सम्मेलन का भव्य आयोजन अगले आयोजक देश ब्राजील के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।जी-20 सम्मेलन पर खर्च को लेकर सरकार ने अभी कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं पेश किया है, लेकिन अनुमानित तौर पर पर 4100 करोड़ रुपये के खर्च की बात सामने आ रही है।सूत्रों की मानें तो जी20 पर हुए अनुमानित 4100 करोड़ रुपए के खर्च में से 98 प्रतिशत से ज्यादा आईटीपीओ, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और सैन्य इंजीनियर सेवाओं जैसी केंद्रीय एजेंसियों के अलावा केंद्र के तहत दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी और डीडीए जैसी एजेंसियों ने खर्च किया है।सूत्रों की माने तो ज्यादातर खर्च संपत्ति निर्माण और रखरखाव को लेकर किया गया है. यह एनडीएमसी और लुटियंस जोन क्षेत्रों में किया गया। यही वजह है कि केंद्र सरकार के विभागों ने ज्यादातर खर्च उठाए है।सूत्रों के मुताबिक बड़ी संख्या में पधारे विदेशी अतिथियों के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था पर भी काफी खर्च हुआ है,जबकि आईटीपीओ ने सिर्फ शिखर सम्मेलन के लिए नहीं, बल्कि विशालकाय कंवेंशन सेंटर भारत मंडपम जैसी दीर्घकालिक संपत्तियों के निर्माण पर खर्च किया है। साथ ही बड़े आयोजनों के लिए हमेशा तैयार रहेंगी।सूत्रों के मुताबिक इस आयोजन के कुल अनुमानित खर्च में से आईटीपीओ ने क़रीब 3,600 करोड़ रुपये के बिल में से 87% से अधिक भुगतान किया. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने 340 करोड़ रुपये और एनडीएमसी ने 60 करोड़ रुपये दिये।केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस, पीडब्लूडी,ऍमसीडी ,डी डीए और एनएचएचआई सहित दिल्ली सरकार और केंद्र की विभिन्न एजेंसियों ने मिलकर राजधानी में जी20 की शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर तकरीबन 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.केंद्रीय राज्य मंत्री की तरफ से पेश किए गए एक दस्तावेज के मुताबिक वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन (आईटीपीओ)ने सबसे ज्यादा 3,500 करोड़ रुपया खर्च किया है,इसके बाद 340 करोड़ रुपये का खर्च दिल्ली पुलिस ने उठाया है।
‘भारत’ करने पर क्या
फिर नोटबंदी होगी……
डॉ. बीआर अंबेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान समिति ने संविधान में कहा है कि ‘इंडिया दैट इज भारत’ इस प्रकार, सभी के लिए,इंडिया भारत है और भारत इंडिया है।”अगर भाजपा को इंडिया से दिक्कत है तो क्या आप पासपोर्ट से इंडिया हटा देंगे,जहां रिपब्लिक ऑफ इंडिया लिखा है,क्या करेंसी नोटों से इंडिया शब्द हटाने को तैयार होंगे? अगर आपको इंडिया शब्द से दिक्कत है, तो क्या आप फिर से नोटबंदी सिर्फ इसलिए लाएंगे क्योंकि वहां से इंडिया हटाना है,क्योंकि हर करेंसी नोट पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लिखा होता है?देश के कई संस्थानों में इंडिया का जिक्र है।आधार कार्ड, एम्स,आईआईएम, आईआईटी, इसरो और कई अन्य स्थानों पर भी इंडिया का नाम है।“आप भारत को कितनी जगहों से हटाना चाहते हैं।आप भारत को क्यों बांटना चाहते हैं कांग्रेस का आरोप है कि ”मोदी सरकार 200 से अधिक योजनाएं चला रही है। इनमें से 52 के नाम इंडिया के नाम पर हैं,22 के नाम प्रधानमंत्री के नाम पर हैं और केवल पांच के नाम ही भारत के नाम पर हैं।
3 वरिष्ठआईपीएस नवंबर,
जनवरी में रिटायर होंगे……
छ्ग के पुलिस महानिदेशक(डीजीपी)
अशोक जुनेजा अब अगस्त 24 में रिटायर होंगे,अब छ्ग के अन्य वरिष्ठ आईपीएस के बारे में देखें तो विशेष डीजी राजेश मिश्रा जनवरी 24 में तो प्रतिनियुक्ति पर होनेवाले वरिष्ठ आईपीएस रवि सिन्हा जनवरी 24,स्वागत दास,नवम्बर 24 में रिटायर होंगे इसलिये ये तो अगले डीजीपी की दौड़ से बाहर ही हो गये हैं। वहीँ अरुण देव गौतम जुलाई 27, पवन देव जुलाई28, हिमांशु गुप्ता जून 29, एसआर पी कल्लूरी मई 31,प्रदीप गुप्ता जुलाई 31,विवेकानंद सिन्हा जनवरी 32, दीपांशु काबरा जुलाई 34 में रिटायर होंगे। इधर प्रतिनियुक्ति पर होनेवाले जयदीप जुलाई 30 में रिटायर होंगे तो एडीजी पदोन्नत तथा सीबीआई में ज्वाइँट डायरेक्ट पदस्थ अमित कुमार दिसंबर 35 में सेवानिवृत होंगे।
और अब बस…
0बस्तर और सरगुजा संभाग में मिलाकर कुल 26 विधानसभा सीट है…लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां से केवल एक सीट दंतेवाड़ा ही जीत पाई थी।पर विधायक की नक्सली हमले में मौत के बाद वो सीट भी उपचुनाव के बाद कांग्रेस के कब्जे में चली गई।
0कांग्रेस अपने मौजूदा विधायकों में डेढ़ से दो दर्जन की टिकट काट सकती है?
0भाजपा ने क्या छत्तीसगढ़ विस चुनाव को चुनौती के रूप में ले लिया है…?