बच्चों के तनावपूर्ण शैक्षिक पैटर्न में कलारी स्कूल एक पेड़ की छाया की तरह है जो उनकी प्यास बुझाने, आराम और ताज़गी देती है। यहां बच्चे किताबें, बैग और अन्य भारी सामान उठाए बिना बहुत सारी चीजें सीखते हैं। वे आकाश की महिमा का निरीक्षण करते हैं, वे अनुभवात्मक तरीके से पृथ्वी की जीवंतता और आसपास मौजूद हर चीज के महत्व को समझते हैं।
इसके संस्थापक योगेश कार्तिक ने डॉ सत्यजीत साहू को बताया कि कलारी फ़ॉरेस्ट स्कूल की स्थापना 15 जून, 2019 को हुई थी। कलारी फ़ारेस्ट विद्यालय के शिविर बच्चों के व्यक्तिगत कौशल को विकसित करने और आत्मविश्वास के साथ बढ़ने के लिए हैं। तमिलनाडु, केरल , और कर्नाटक से आये युवकों से छत्तीसगढ़ के सुनील शर्मा और संतोष ठाकुर ने विचार विनिमय किया।
शिविर में बच्चों से संवाद में डॉ सत्यजीत साहू ने कहा कि दुनिया में परिवर्तन लाने वाले बहुतेरे वैज्ञानिकों ने अपनी शिक्षा इसी तरीक़े से पाई है जिनमें डारविन, लियोनार्ड डाविंची, रविंद्रनाथ टैगोर समेत अनेकों नाम है।
संस्थापक योगेश कार्तिक जो एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और फिर बाद मे बच्चों के शिक्षक बन गये। एक निजी ऑटोमेशन कंपनी से काम शुरू करने के बाद, अपनी स्टार्ट अप कंपनी स्थापित करने के लिए योगेश ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। 2013 में, उन्होंने एक एकल-स्वामित्व वाली फर्म के रूप में एक सौर ऊर्जा स्थापना कंपनी की स्थापना की और बिजली संकट अवधि के दौरान कई सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित कीं।
इस बीच, योगेश ने समान विचारधारा वाले युवा समूहों के साथ कई पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल किया और समाज में प्रचलित कई सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जानने के लिए खुद को तैयार और विकसित किया ।
तभी, उन्होंने अपनी सभी तकनीकी विशेषज्ञता को छोड़कर बच्चों की शिक्षा में प्रवेश करने का फैसला किया, जहां उन्होंने पर्यावरण और सामाजिक न्याय के बारे में चिंतित समाज बनाने के लिए शिक्षा को एकमात्र उपकरण के रूप में पाया।
तमिलनाडु के पश्चिमी घाट के एक शानदार, सुखद और प्रकृति के अनुकूल स्थान पर स्थित, इस फ़ारेस्ट स्कूल में पर्यावरणीय कल्याण, शांति और सामाजिक न्याय की गहरी समझ रखने वाले किशोर और युवाओं के निर्माण का उद्देश्य है।