मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने बीजेपी पर बोला बड़ा हमला
भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता के दौरान महाकाल लोक में मात्र 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली हवाओं के बाद वहां कमल के फूल में विराजित सप्त ऋषियों की 6 मूर्तियां गिरकर खंडित हो जाने को अशुभ और महाकाल लोक में हुआ महाघोटाला निरूपित करते हुए कहा कि मंगलवार 30 मई को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा घोषित जांच समिति जिसके सदस्य सज्जनसिंह वर्मा, रामलाल मालवीय, महेश परमार, मुरली मोरवाल, दिलीप गुर्जर, श्रीमती शोभा ओझा एवं के.के.मिश्रा है ये समिति घटना स्थल पहुंचेगी, मौका मुआयना करेगी और आवश्यक हुआ तो मुख्यमंत्री सहित जिम्मेदार भ्रष्ट अधिकारियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने में भी कोताही नहीं बरतेगी।
उन्होंने कहा कि जब महाकाल लोक के पुनर्निमाण का श्रेय यदि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ले रहे हैं तो जिम्मेदारों और भ्रष्टों को दिए गए संरक्षण से वे कैसे विमुक्त हो सकते है? मिश्रा ने इन घपले-घोटाले और अनियमितताओं के निर्माण को लेकर सरकार से कई प्रश्नों के उत्तर चाहे हैं।
1. मोटर व्हिकल एक्ट के तहत जब 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार को वाहन चालक और यात्रियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, तो मात्र 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार वाली हवाओं से देवदुलर्भ मूर्तियां कैसे खंडित हो गई?
2. क्या हिन्दू धर्मशास्त्र में फाईबर रेन्स फोर्स प्लास्टिक की मूर्तियां धर्मानुरूप है, या पत्थरों अथवा संगमरमर से बनी मूर्तियां? यदि नहीं तो हिन्दू धर्म के कथित ठेकेदारों ने धर्मशास्त्रों को ठेंगा बताते हुए प्लास्टिक की मूर्तियों की इजाजत क्यों दी?
3. महाकाल लोक के समूचे निर्माण को लेकर किन-किन कंपनियों की निविदाएं आई थी, मूर्ति निर्माण एवं अन्य कार्यों के लिए सिर्फ गुजरात की कंपनियों का चयन कैसे और किसके दबाव में हुआ, क्या आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में कोई योग्य आर्किटेक्ट और मूर्तिकार नहीं है?
4. मूर्ति निर्माण करने वाली गुजरात की कंपनी का अपने बचाव में यह कहना कि मूर्ति के अंदर माईल्ड स्टील का ज्वांइट कमजोर पड़ गया होगा, क्या विश्वास करने योग्य है, या भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति?
5. इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान का यह कहना कि कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है, क्या न्यायोचित है? बेहतर होता कि मुख्यमंत्री भ्रष्टों और जिम्मेदार अधिकारियों पर ईमानदार राजदंड के तहत सख्त कार्यवाही कर धर्मालुओं को विश्वास दिलाते। ऐसा ना कर उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों की पंक्ति में खड़ाकर उन्हें स्पष्ट संरक्षण दे डाला है?
6. मुख्यमंत्री यह भी बताएं की इस भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस विधायक श्री महेश परमार द्वारा की गई शिकायत के बाद जिन चिन्हित भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त संगठन ने एफआईआर दर्ज की है उन्हीं अधिकारियों को मलाईदार पदों पर नियुक्त किए जाने के पीछे उनकी कौनसी ईमानदार मंशा छिपी हुई है?
यही नहीं पिछले कई वर्षों से लगातार भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकरणों में नामित अधिकारियों को महाकाल मंदिर प्रबंध समिति का प्रशासक नियुक्त क्यों किया जाता रहा?
मिश्रा ने महाकाल लोक में हुए इस भ्रष्टाचार को शिवराज सरकार का सच्चा अमृतकाल बताते हुए कहा कि शिवराज कमीशन राज में तब्दील हो चुका है और इस घटना के बाद तो यह भी स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश में 50 प्रतिशत से अधिक कमीशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।
—–