ताजमहल से भी पुरानी प्रेम कहानी छ्ग के सिरपुर की…..!

” मासिक पत्रिका सुराज के 13 वें साल प्रवेश पर परिचर्चा “

भारत के इतिहास में ताजमहल को प्यार निशानी के रूप में जाना जाता है। शाहजहाँ ने इसे अपनी बेगम मुमताज के लिए बनाया था।
भारत के इतिहास में ताजमहल को प्यार निशानी के रूप में जाना जाता है। शाहजहाँ ने इसे अपनी बेगम मुमताज के लिए बनाया था। लेेकिन आज छ्ग की एक प्रेम कहानी के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं जो इससे भी पुरानी है। मासिक पत्रिका “छत्तीसगढ़ी सुराज” के 13वें साल में प्रवेश पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। प्रधान संपादक शंकर पांडे ने बताया कि सिरपुर की प्रेम कहानी में, राजा ने नहीं बल्कि रानी ने अपने राजा की याद में एक स्मारक का निर्माण कराया था। इतिहास इसे ‘लक्ष्मण मंदिर’ के नाम से जानता है। पति प्रेम की इस निशानी को 635-640 ईसवीं में राजा हर्षगुप्त की निशानी में रानी वासटादेवी ने इसे बनवाया था। करीब ग्यारह सौ वर्ष पहले शैव नगरी श्रीपुर में मिट्टी के ईंटों से बने स्मारक में यह कहानी आज भी भारत के इतिहास में जगह पाने के लिए अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है। लक्ष्मण मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण के कोई विशेष प्रयास न किए जाने के बाद भी मिट्टी के ईंटों की यह विरासत अपने निर्माण के चौदह सौ सालों बाद भी शान से खड़ी है।पवित्र महानदी के तट पर बसा सिरपुरा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत की अनमोल धरा है। प्राचीन काल में यह सिरपुरा के नाम से जाना जाता था। सिरपुर में जब पुरातत्व विभाग ने खुदाई प्रारंभ की, तो पुरा संपदा का एक अद्भुत खजाना सामने आ गया। जिसमें 17 शिव मंदिर, 8 बौद्ध विहार , तीन जैन विहार, एक राजमहल, पुजारियों के आवास और विस्तृत व्यवसाय केन्द्र के अवशेष मिले है।इसी क्रम में मिली है, भारत देश की दबी हुई एक रानी और राजा की प्रेम कहानी, जो ताज महल की कहानी से भी पुरानी है। परिचर्चा में भाग लेते हुए वरिष्ठ पत्रकार विशाल यादव ने कहा कि अब छ्ग सरकार जल्द ही ये कोशिश कर रही है कि इस बात को जल्द से जल्द सामने लेकर आया जाए। ताकि ये जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक चली जाए।उन्होंने कहा कि इसके प्रचार प्रसार की जरूरत है। सारनाथ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित वाराणसी (बनारस) के पास एक गाँव है। यह बनारस से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-उत्तर पूर्व दिशा में है। यह स्थान बौद्ध और जैन धर्म के तीर्थ यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। गौतम बुद्ध ने अपना पहला धर्मोपदेश यही दिया था। इस उपदेश को धर्मचक्रप्रवर्तन कहा जाता है, इसके बाद संघ की स्थापना यहीं हुयी थी और इसीलिए यह बौद्ध धर्म के चार सबसे प्रमुख तीर्थों में से एक है। यहाँ के बौद्ध मठ ध्यान करने के लिये उत्तम स्थल हैं।बनारस जाने वाले करीब के सारनाथ जरूर जाते हैं, छ्ग आनेवाले भी सिरपुर जाएं कुछ ऐसी स्थिति बनानी होगी।सामाजिक कार्यकर्ता तथा लेखक शिव ग्वालानी का कहना है कि सिरपुर छ्ग के प्राचीन इतिहास की धरोहर है, कभी यह बौद्ध शिक्षा का बड़ा केंद्र था। इसे दुनिया के सामने लाना जरुरी है।भूपेश सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिये अलग से प्राधिकरण का गठन किया है उसे तेजी से काम शुरू करने की जरूरत है। कांग्रेस के प्रवक्ता तथा युवा नेता विकास तिवारी ने कहा कि छ्ग की संस्कृति और परम्पराओं, रहन सहन, तीज त्यौहार, खानपान क़ो लेकर सीएम भूपेश बघेल लगातार प्रयास कर रहे हैँ, क्षेत्र के प्राचीन स्थलों के उचित रख रखाव के लिये भी सक्रिय हैं, सिरपुर के समुचित विकास और दुनिया की नजरों में लाने ही सिरपुर विकास प्राधिकरण की स्थापना की गईं है, उम्मीद है कि सिरपुर जल्दी ही उभर कर छ्ग का प्रमुख स्थल बनेगा।रवि भवन ब्यापारी संघ के अध्यक्ष जय नानवानी का कहना है कि छ्ग में संस्कृति और पर्यटन के लिये कई स्थान हैँ, उसमे सिरपुर भी एक है। राजधानी रायपुर से शनिवार /रविवार क़ो स्पेशल बस सरकार क़ो चलानी चाहिये, वहीं सिरपुर के आसपास के क्षेत्र क़ो विकसित किया जाना जरुरी है।व्यापारी तथा समाजसेवी जय नेभानी का कहना है कि सिरपुर क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है, सिरपुर क़ो सारनाथ की तर्ज पर विकसित किया जाना समय की मांग हैं, वहाँ आसपास ठहरने के लिये निजी क्षेत्र के लोगों क़ो भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। परिचर्चा के समापन में आभार प्रदर्शन वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडे ने किया।

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