शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
देश में “नरेंद्र मोदी से अडानी के क्या रिश्ते हैं” यह पूछने का मसला अब राहुल गाँधी क़ो दो साल की सजा और लोकसभा की सदस्यता रद्ध होने से लेकर नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता तक पहुंच गया है।राहुल ने लोकसभा में मोदी- अडानी क़ो निशाने पर लिया था,उसके बाद सूरत की कोर्ट से उन्हें कर्नाटक में ‘मोदी सरनेम’ पर टिप्पणी करने पर अधिकतम 2साल की सजा देना ,संसद की सदस्यता समाप्त करना ,बंगला खाली करने का नोटिस, सूरत की सेशन कोर्ट में राहुल क़ो जमानत,प्रियंका गाँधी सहित 3 कॉंग्रेसी सीएम आदि के साथ सूरत कोर्ट में जाने क़ो लेकर चर्चा जारी है वहीं नरेंद्र मोदी की डिग्री देखने के नाम पर गुजरात हाईकोर्ट द्वारा दिल्ली के सीएम केजरीवाल क़ो 25 हजार का जुर्माना भी चर्चा में है।दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी की डिग्री मांगी थी।गुजरात विश्वविद्यालय ने देने से मना कर दिया था तो केंद्रीय सूचना आयोग ने डिग्री सार्वजनिक करने का आदेश दिया था इस पर विवि ने आयोग के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।उच्च न्यायालय ने आदेश रद्द ही नहीं किया बल्कि केजरीवाल पर 25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगा दिया है। यह निर्णय भी चर्चा में है। दरअसल चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशी को अपने हलफनामे में डिग्री वगैरह की जानकारी देनी होती है और गलत जानकारी देने पर सजा का प्रावधान है। फिर किसी जनप्रतिनिधि की डिग्री मांगना अपराध कब से हुआ और इसे छुपाया क्यों जा रहा है…?दूसरी बात,लोकतंत्र पारदर्शिता का दूसरा नाम है।कानूनी तौर पर अनपढ़ व्यक्ति भी चुनाव लड़ सकता है या किसी पद पर रह सकता है।जब ये कानून बना था तब पूरा भारत
साक्षर नहीं था। कोई जन- प्रतिनिधि पढ़ा लिखा है या नहीं,ये जानना जनता का अधिकार है। जनता से झूठ बोलना भी अपराध है। वैसे भी अमित शाह और अरुण जेटली,मोदी की एंटायर पॉलिटिकल साइंस की डिग्री सार्वजनिक कर चुके हैं जो कथित रूप से गुजरात यूनिवर्सिटी की है।यूनिवर्सिटी को इसका सत्यापन करने में क्या परेशानी है….?या कम से कम यूनिवार्सिटी यही बता दे कि उसने यह विषय में दुनिया के एक ही छात्र को क्यों पढ़ाया….?वैसे नरेंद्र मोदी एक भाषण में यह कहते सुने जा सकते हैं कि मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं।अगर वे कम पढ़े लिखे हैं तो भी तारीफ ही होगी कि कम पढ़ा लिखा आदमी सबसे ऊंचे पद पर पहुंचा है।अब तो उनकी वायरल डिग्री में यूनिवर्सिटी की दो अलग अलग स्पेलिंग की भी चर्चा तेज है, क्या कोई यूनिवर्सिटी से इतनी बड़ी गलती संभव है….?
जमीन बेचा तो ‘बाबा’ क़ो
हाईकोर्ट का नोटिस…..
पूर्वजों द्वारा दान करने, फिर अविभाजित मप्र के समय एक कलेक्टर द्वारा उसे सिंहदेव परिवार क़ो वापसी का मामला छ्ग में भाजपा सरकार के समय चर्चा में आया था तब डॉ रमनसिंह सीएम थे और टीएस बाबा नेता प्रतिपक्ष थे।पर शिकायत के बाद भी कुछ नहीं हुआ… अब मामला छ्ग हाईकोर्ट पहुंच गया है।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंह देव की तकलीफ और बढ़ा दी है। हाईकोर्ट के नोटिस के बाद छग की सियासत भी गर्माने लगी है।बता दें कि मामला एक सार्वजनिक तालाब को काटकर उसे टुकड़ों में बेचने से जुड़ा हुआ है। अगर नोटिस की माने तो 11 अप्रैल से पहले व्यक्तिगत तौर पर टी एस सिंहदेव को उपस्थित होकर जवाब देने के निर्देश दिए गए है।पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली तनु नीर समिति द्वारा हाईकोर्ट में टीएस सिंहदेव के खिलाफ रिट पिटीशन दाखिल की गई है। याचिका में सिंहदेव के खिलाफ तालाब को पाटकर जमीन बेचने का आरोप लगाया गया है।मामला शहर के बीचों बीच स्थित 52.06 एकड़ में फैले शिव सागर मौलवी बांध की जमीन का है।इसकी जमीन टीएस सिंहदेव के नाम पर है। तरू नीर समिति ने बिलासपुर हाईकोर्ट में 20 मार्च को याचिका दाखिल किया था।
मामले में हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए टीएस सिंहदेव को नोटिस जारी किया है।
अवस्थी क़ो ओएसडी
बनाने के मायने….
उप्र के मूल निवासी तथा छ्ग में आईपीएस प्रशिक्षण से लेकर डीजीपी तक की जिम्मेदारी सम्हालने वाले दुर्गेश माधव अवस्थी क़ो सेवानिवृति के बाद छ्ग की भूपेश सरकार ने पुलिस मुख्यालय में ओएसडी का पद सृजित कर एक साल के लिये संविदा नियुक्ति दे दी है। अविभाजित मप्र से छ्ग की जोगी,डॉ रमन और भूपेश सरकार में महत्वपूर्ण पदों में रहने वाले अवस्थी फील्ड तथा पुलिस मुख्यालय में कई जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं।वे मप्र और छ्ग में करीब 7 साल खुफिया विभाग में पदस्थापना का रिकार्ड बना चुके हैं। बहरहाल बतौर ओएसडी उन्हें क्या अधिकार रहेगा यह अभी तय नहीं है।
8 जिलों में प्रमोटी डीऍम
तो5 में डीआईजी हैँ एसपी….
छत्तीसगढ़ में 33जिलों में 25 में सीधे आईएएस अफसर कलेक्टर पदस्थ हैँ तो मात्र 8 जिलों में ही प्रमोटी आईएएस क़ो कलेक्टर बनाया गया है। राजनांदगाव,रायगढ़, बालोद,कबीरधाम, गौरेला-पेंड्रारोड,सारंगढ़,सूरजपुर और मनेन्द्रगढ़ में राज्य प्रशासनिक सेवा के प्रमोटी अफसर अभी पदस्थ हैं पर विस चुनाव के पहले जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे और प्रमोटी अफसरों क़ो अधिक जिलों का प्रभार दिया जाएगा यह तय है।क्योंकि पहले भी ऐसा होता रहा है।सवाल यह उठ रहा है कि करीब डेढ़ दर्जन कलेक्टर पिछले साल जून 22 में ही बदले गये थे,2 माह बाद ही उन्हें एक साल पूरे होंगे तो कुछ कलेक्टर क़ो तो 6से 9 माह ही अभी जिलों में हुए है, इधर कुछ एसपी क़ो भी बदलना तय है करीब 6 क़ो तो 2साल से अधिक समय हो गया है उसमे भी 5 तो डीआईजी पदोन्नत हो चुके हैं, एक का नाम तो ईडी की चार्जशीट में भी है। वैसे आगामी विस चुनाव में पदस्थापना के चलते ही तबादला आदेश जारी होने में देर हो रही है।
और अब बस….
0 भाजपा की बड़ी नेत्री ने थप्पड़ मारा था वो वह चुनाव हार गईं थीं,अब एक कॉंग्रेसी विधायक ने थप्पड़ मारा है….?
0शेखर तिग्गा ने डीआईजी जेल का कार्यभार सम्हाल लिया है।छ्ग बनने के बाद डॉ के के गुप्ता के बाद तिग्गा दूसरे विभागीय डीआईजी बने हैं।
0किस बड़े जिला के कलेक्टर से सत्ता पक्ष के लोग भी नाराज हैं और विपक्ष के लोग भी….?
0आईजी स्तर पर भी मामूली फेरबदल की चर्चा तेज है।