शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने छ्ग का पहला बजट पेश किया था। 2001 में पहला बजट साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का था,जो अनुपूरक को मिलाकर पांच हजार 705 करोड़ रुपये का हुआ। वर्ष 2014-15 में बजट का आकार पहली बार 50 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंचा।अनुपूरक को मिलाकर इसका कुल आकार 54 हजार 710 करोड़ रुपये हुआ था।यह 2013-14 की तुलना में 24 प्रतिशत बड़ा था। 2018 में डॉ. रमन सिंह ने जब अपनी सरकार का अंतिम बजट पेश किया, तब इसका आकार 83 हजार 179 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था।सीएम एवं वित्त मंत्री भूपेश बघेल ने 2019 में अपना पहला बजट 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक का पेश किया। 2022-23 में इसका आकार एक लाख चार हजार करोड़ रुपये हो चुका है। सीएम भूपेश बघेल ने 1 लाख 5 हजार करोड़ का बजट पेश किया था।वहीं हाल ही में 2023-24 में 1लाख12 हजार 708 करोड़ का बजट सीएम एवं वित्त मंत्री भूपेश बघेल ने प्रस्तुत किया।ये उनके इस कार्यकाल का आख़री बजट था।
पहली,अभी तक आख़री
महिला विधायक “ताई”
8 मई 1935 को अमरावती महाराष्ट्र में जन्मीँ, छ्ग में ब्याही रायपुर की पहली और अभी तक एकमात्र महिला विधायक बनने का रिकार्ड रजनी ताई उपासने के नाम दर्ज है। यह ठीक है कि वे जनता पार्टी की सरकार में करीब ढाई साल से अधिक समय तक ही विधायक रहीँ और उन्हें बाद में टिकट भी नहीं मिला पर छ्ग में भाजपा के वरिष्ठ सांसद,पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन राज्यों में राज्यपाल बनने वाले रमेश बैस को राजनीति में लाने में ताई की बड़ी भूमिका रही है? 1977 में रायपुर की 42 वर्ष की आयु में विधायक बनीं थी रजनी ताई उपासने।उनके पहले और बाद में कोई भी महिला यहां से विधायक नहीं बन सकी। आरएसएस,जनसंघ, जनता पार्टी और अब भाजपा में “ताई” कहने से ही दो ही महिलाओं की तस्वीर सामने आती है। एक रजनी ताई और दूसरी इंदौर की सुमित्रा महाजन (पूर्व लोकसभा अध्यक्ष)। हाल ही में 87 साल पूरे करने वाली ताई ने एक ही चुनाव लड़ा, लेकिन लोगों से इस तरह जुड़कर सेवा की कि चार दशकों बाद भी वे शहर के लोगों के दिलों और जेहन में आज भी हैं। ताई इन दिनों शारीरिक अस्वस्थता से लड़ने के बाद घर पर आराम कर रहीं हैं।ताई का विवाह दत्तात्रेय उपासने से हुआ था। वे आर्डिनेंस फैक्ट्री में कार्यरत थे। 1967 में यह परिवार बालोद से रायपुर आ गया। यह पूरा परिवारआरएसएस से जुड़ा रहा।1975-77 में आपातकाल के दौरान रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर रविंद्र शर्मा ने ताई को उनका तात्यापारा वाला घर सील करने की धमकी दे दी थी। उन्होंने कहा था कि आप देशद्रोही हैं। दरअसल इस घर में संघ के कई नेता कुशाभाऊ ठाकरे, शांता राम सराफ , कमलाकर डोनगांवकर, केशव दवे जैसे नेता फरारी काटते और बैठकें करते थे। भूमिगत संघ नेताओं का सेंटर उनका घर होता था। ज़ब संघ से जुड़े अप्पा खरे जेल भेज दिए गए तो ताई ने उनके दो महीने के बच्चे व पत्नी को अपने घर में ही बेटी की तरह रखा।ताई,गुप्त साहित्य जेल ले जाती और बेटों द्वारा रात-रात भर साइक्लोस्टाइटल कर निकाले पर्चे घर-घर बंटवातीं थीं।आपातकाल के बाद लोस चुनाव हुए तो ताई ने पुरुषोत्तम कौशिक व बृजलाल वर्मा के लिए खूब काम किया। ये दोनों नेता जीते और केंद्रीय मंत्री बने।आपातकाल में बंद संघ नेताओं और ताई के बेटों की रिहाई हो गई। विधानसभा चुनाव घोषित हुए। 1977 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने टिकट मांगा ही नहीं था। उनको रायपुर शहर विधानसभा से टिकट दे दी गई।उन्होंने कांग्रेस के शारदाचरण तिवारी को 4860 मतों से पराजित किया था।ताई की विधायकी को केवल ढाई साल ही हुआ था कि 1980 में जनता पार्टी की सरकार भंग कर दी गई। पुन: जब चुनाव हुए तो वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के कहने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं दिया गया।काफी कम लोगों को यह पता है कि सात बार के रायपुर के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश बैस को ताई ही राजनीति में लाईं।1978 में जब नगर निगम के चुनाव हो रहे थे।बृजलाल वर्मा जनता पार्टी के अध्यक्ष थे। ब्राह्मणपारा वार्ड से पार्षद के लिए डॉ. रामजी बैस को टिकट देना तय हुआ था। उनका वहां अच्छा जनाधार था। डॉ बैस ने मना करकहा कि सिर्फ संघ का काम करेंगे। उन्होंने कहा रमेश को लड़ा दो।समाजवादी उनके विरोध में उतर आई , लेकिन ताई अड़ गईं। लोग नहीं माने तो उन्होंने इस्तीफे देने की धमकी तक दे डाली। कहा कि मैं विधायक हूं मेरे विधानसभा क्षेत्र का मामला है।टिकट तो देना ही पड़ेगा रमेश बैस को…? वर्मा ने सबको मनाया, टिकट मिली और रमेश बैस जीते भी।उनका राजनीतिक सफर शुरू हो गया जो वार्ड मेंबर, विधायक,सांसद, केंद्रीय मंत्री होकर महाराष्ट्र के राज्यपाल तक जारी है।वे छ्ग के पहले व्यक्ति हैँ जो तीन राज्यों के राज्यपाल बन चुके हैं।
छ्ग की नौकरशाही में
अभी कौन है भारी….
छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक गालियारे में यह चर्चा आम है कि नौकरशाही में अभी सबसे मजबूत अफसरों में कौन कौन है…। छ्ग की पहली पूर्ववर्ती अजीत जोगी की सरकार में कोई भी नौकरशाह मजबूत स्थिति में नहीं था क्योंकि जोगी खुद ही आईपीएस, आईएएस अफसर रहे थे।डॉ रमन सिंह सरकार के समय अमन सिंह,विक्रम सिसोदिया की ‘फूल’चलती थी।इनमें एकअमन सिंह से आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर हाल ही में ईओडब्लू में पूछताछ हुई है?इधर भूपेश बघेल की सरकार बनी तो छत्तीसगढ़ प्रशासनिक सेवा की सौम्या चौरसिया की एकतरफ़ा चलती थी फिर ईडी के छापे,गिरफ्तारी,उनके जेल जाने के बाद आजकल भाजपा शासन में नान घोटाले में चर्चा में आए अनिल टुटेजा की एकतरफ़ा चल रही है।हालांकि पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड की भी कम नहीं चलती है,अफसरों की पदस्थापना में उनकी राय महत्वपूर्ण होती है जहाँ तक पुलिस महकमें की बात है तो रायपुर जोन के आईजी (जिला रायपुर छोड़कर )आरिफ शेख सरकार के आंख-कान बने हुए हैं तो दुर्ग के आईजी डॉ आनंद छाबड़ा की भी राय भी महत्वपूर्ण मानी जाती है…?
आईजी सुंदरराज की
जगह कौन…..?
छ्ग के नक्सली पीड़ित क्षेत्र बस्तर में कुछ सालों से कमान सम्हाल रहे आईपीएस पी सुन्दरराज अब कुछ समय पुलिस अकादमी हैदराबाद में गुजरना चाहते हैं, उन्होंने छ्ग सरकार के समक्ष यह मंशा भी जाहिर कर दी है पर परेशानी यह है कि उनका विकल्प कौन होगा…?बस्तर के नक्सली मोर्चे की कमान संभाल रहे पी. सुंदरराज को बस्तर आईजी की ज़ब से कमान सौंपी गई है तब से छुटपुट घटनाओं को छोड़कर नक्सली क्षेत्र में एक तरह से शांति ही है।नक्सली मोर्चे के एक्सपर्ट माने जाने वाले पी. सुंदरराज बस्तर में शांतिपूर्ण तरीके से नक्सलियों के लिब्रिटेड जोन को भेद रहे हैं।शांत छवि के साथ समस्याओं को ध्यान में रखकर काम करने वाले सुंदरराज को बस्तर से नक्सली मुक्त कराने का ब्लूप्रिंट तैयार कराकर ही भेजा गया था। गौरतलब है कि पी. सुंदरराज नक्सल मोर्चे के एक्सपर्ट माने जाते हैं। बस्तर में पहले एसपी, फिर डीआईजी और प्रभारी आईजी की कमान संभाल चुके हैं वहीं बस्तर में मोबाइल नेटवर्क मजबूत करने से लेकर नक्सलियों के कोर एरिया को भेदने की रणनीति में इन्हें महारत हासिल है।
और अब बस….
0 एक आईएएस अफसर अपना सरकारी मकान खाली नहीं करके राहु-केतु से निपटने तंत्र मंत्र करवा रही हैँ ?आस-पास रहनेवाले लोग नीली,पीली, लाल रोशनी के बीच तंत्रमंत्र की आवाज़ से परेशान हैं।
0किस आईपीएस अफसर ने ईडी के सामने अवैध रूप से पैसा मिलना स्वीकार कर लिया है..?
0ईडी से बचने कौन आईपीएस अफसर एक बड़े केंद्रीय मंत्री की शरण में जा चुके हैँ..?