खैर करे अब रब ही उसकी जग को सच समझाने निकला….. एक सियासी चाल है समझो, घोड़ा घास बचाने निकला…..

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     

“महात्मा गाँधी के भारत छोड़ो से राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा ” की टैग लाइन से कांग्रेस का 85वां राष्ट्रीय महाअधिवेशन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शुरू हो गया है।मंच में महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, बीआर अंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह की तस्वीरें लगाई गई हैं।कॉंग्रेस का मंथन 26 फरवरी तक चलेगा। छ्ग के सीएम भूपेश बघेल/ कॉंग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के आतिथ्य में महाधिवेशन ऐसे समय हो रहा है ज़ब कांग्रेस को कुछ ही महीनों के भीतर 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव में अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पाने की कोशिश करना है तो अगले साल लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता बनाकर केंद्र की मोदी के नेतृत्व में बनी भाजपा से मुकाबला करना है। बहरहाल कांग्रेस अधिवेशन में अलग-अलग नेता अलग विषय पर अपना प्रस्ताव पेश करेंगे।राजनीति, अर्थशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय मामलों,कृषि, सामाजिक न्याय और युवाओं के रोजगार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा संभव है।कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव की रूपरेखा तय करने के उद्देश्य से ही कांग्रेस के मजबूत गढ़ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में महाधिवेशन का आयोजन किया है ।इस बैठक में सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि मल्लिकार्जुन खड़गे की टीम के गठन का भी खाका खींचा जाएगा।ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर थी कि कांग्रेस में सबसे ‘पावरफुल’ मानी जाने जाने वाली कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी के लिए क्या 26 साल के बाद चुनाव होंगे या फिर मनोनयन ही किया जाएगा…..? पर स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में तय हो गया कि सी डब्लू सी का मनोनयन होगा और जिम्मेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे पर डाली गईं है।वहीं कॉंग्रेस के संविधान में कुछ परिवर्तन करने की भी सहमति बनी है। वैसे कांग्रेस की तीन दिवसीय बैठक ऐसे समय हो रही है जब मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे अहम 6 राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सीडब्ल्यूसी के लिए चुनाव कराने का जोखिम भरा कदम नहीं उठा पाए …?इधर राहुल गांधी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में सीडब्लूसी के चुनाव कराने की मांग पार्टी के अंदर से उठती रही है।इधर इन पंक्तिया के लिखे जाने तक कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी,राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह,डाॅ. ए चेल्ला कुमार, जयराम रमेश,पी चिदंबरम, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुकखु ,अजय माकन, अविनाश पाण्डेय, मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला, तारिक अनवर, पीएल पुनिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा, शक्ति सिंह गोहिल, डॉ रघु शर्मा,गायखंगम,हरीश रावत,जय प्रकाश अग्रवाल, बी मणिकम टैगोर, रघुवीर सिंह मीना, अधीर रंजन चौधरी, अभिषेक मनु सिंघवी, अंबिका साेनी, रजनी पाटिल, सलमान खुर्शीद, टी सुब्बारामी रेड्‌डी, मीरा कुमार, छ्ग प्रभारी सुश्री शैलजा आदि अधिवेशन में शिरकत कर रहे हैं।

कांग्रेस का अधिवेशन, ईडी
और असम पुलिस?

छ्ग में पहली बार कांग्रेस का महाअधिवेशन हो रहा है और केंद्र सरकार की ईडी और असम राज्य सरकार की पुलिस की कार्यवाही की भी जमकर चर्चा है। अधिवेशन की जिम्मेदारी सम्हालने वाले कुछ कॉंग्रेसी नेताओं के घर सहित सरकारी दफ़्तरों में ईडी के छापे को लेकर कॉंग्रेस का अधिवेशन असफल करने का आरोप केंद्र की भाजपा सरकार पर लगाने से मुफ्त में प्रचार मिल गया। ईडी का छापा मरना नहीं इस समय मरना चर्चा में रहा तो पीएम नरेन्द्र मोदी के परिवार पर टिप्पणी करने के नाम पर रायपुर कॉंग्रेस अधिवेशन में आ रहे पवन खेड़ा की गिरफ्तारी फिर सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत के एपीसोड से भी प्रचार प्रसार मिला… अरे पवन खेड़ा विदेश तो भाग नहीं रहे थे…? पुलिस कार्यवाही बाद में भी की जा सकती थी खैर यह राजनीती ही तो है…..?

पूर्व आईएएस,रायपुर
निगम और तेवर….    

1987 बैच के आईएएस तथा मप्र से अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत मनोज श्रीवास्तव से रायपुर में करीब 30 साल बाद मुलाक़ात हुई, उनके तेवर वही दिखे जो रायपुर में अविभाजित मप्र के समय नगर निगम रायपुर के प्रशासक रहने के दौरान देखने मिले थे। रायपुर में नाली, नल के नाम पर शहर के अवैध कब्जे हटाने, सड़कों के चौड़ीकारण, टैक्स की समरुपता के लिये वे जाने जाते हैं। मुझे याद है कि निगम में विकलांग लोगों को नौकरी देने कुछ नामों की सिफारिश कर एक सूची एक बड़े कॉंग्रेसी नेता ने उन्हें दी थी, मगर मनोज से अलसुबह रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड में पहुंचकर वहाँ के कुछ गरीबों को लाकर नौकरी दे दी थी, जाहिर है कि नेता की सूची में से किसी को नौकरी नहीं मिली। उनके तेवर मप्र में बरकरार रहे…. केंद्र सरकार के लालबत्ती पर रोक लगाने के निर्णय के बाद मप्र कैडर के तब के 1989 बैच के अधिकारी और वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने अपनी फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट चस्पा की थी । उन्होंने लिखा था कि ‘बत्ती वैसे भी लगाने की नहीं, देने की चीज है।’एक और वाकिया….हुआ यूं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नमामि देवी नर्मदा यात्रा के दौरान शराबबंदी की घोषणा पर कैबिनेट में बहस हुई थी । वर्ष 2016-17 की शराब नीति के प्रेजेंटेशन के दौरान आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री की घोषणा का जिक्र करते हुए बताया था कि ‘2016-17 के लिए नर्मदा किनारे की शराब की दुकानें बंद कर रहे हैं। इसी बीच तब के वनमंत्री गौरीशंकर शेजवार ने प्रतिक्रिया दी थी कि, उन्हें ऐसा लग रहा है कि दुकानें सिर्फ एक साल के लिए बंद की जा रही हैं। जबकि उन्हें हमेशा के लिए बंद होना चाहिए। यह सुनते ही मनोज श्रीवास्तव ने मंत्रीजी को तत्काल बत्ती दे डाली। उन्होंने कहा कि ‘ऐसा सोचने वालों की बुद्धि पर तरस आता है।’ यह सुनते ही मंत्रीजी नाराज हो गए लेकिन मनोज श्रीवास्तव बत्ती देने और गोटियां खेलने में शामिल रहे । बहरहाल करीब 30 साल बाद मनोज से मुलाक़ात हुई, काफ़ी पुरानी यादें ताज़ा हुईं, उन्होंने कुछ पुराने पत्रकारों को भी याद किया। यहाँ यह बताना जरुरी है कि अपनी निगम पदस्थापना के दौरान ही उन्होंने प्रेस क्लब रायपुर को निगम द्वारा संचालित लायबेरी भवन भी सौपा था, जहाँ आजकल पत्रकार वार्ता होती है।

ईडी की शरण में एक आईएएस
और तीन आईपीएस….    

छ्ग में कोयला स्केम के मामले के बाद कुछ अन्य मामलों को लेकर ईडी के निशाने पर कुछ कांग्रेसी नेता, विधायक,आईएएस तथा आईपीएस अफसर हैं, वैसे एक आईएएस तो जेल में है वहीं अभी आईपीएस का खाता नहीं खुला है? पर चर्चा है कि एक आईएएस तथा तीन आईपीएस ने कुछ पेजों का शपथपत्र देकर अपनी स्थिति साफ करने का प्रयास किया है पर ईडी और जानकारी चाह रही है…? सूत्र कहते हैं कि ये अफसर सरकारी गवाह बनने इच्छुक हैं पर इस पर अंतिम निर्णय ईडी ही लेगी?

और अब बस

0नये राज्यपाल ने कार्यभार सम्हाल लिया है। अब आरक्षण मुद्दे पर उनके अगले कदम पर सभी की निगाह लगी है।
0जाते जाते पूर्व राज्यपाल ने रविवि के कुलपति की नियुक्ति कर ही दी।
0कांग्रेस अधिवेशन के बाद कुछ आईएएस, आईपीएस का तबादला तय माना जा रहा है।

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