रायपुर। गरियाबंद जिले के फुलकुर्रा गावं के पास कमारटोला में डॉ सत्यजीत साहू वरिष्ठ चिकित्सक के नेतृत्व में एक जनवरी 2023 को विशेष स्वास्थ जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। आदिवासी बाहुल्य इस गरियाबंद जिले में गोंड़, कंवर, तेली, कलार, कमार तथा भुंजिया जनजाति बहुलता से निवासरत है। कमार टोला विशेष संरक्षित जनजाति कमार लोगों की बस्ती है। कमार जनजाति आज भी अपने आपको दुनिया के विकास से नहीं जोड़ पायी है। कमार लोग अब भी शिकार और शराब से ही जीवन यापन करते हैं। ये लोग शिक्षा से वंचित है। इसके पीछे एक बड़ा कारण मुख्य धारा से दूर और उपेक्षित होना है।
स्वास्थ्य जागरूकता शिविर में डॉ सत्यजीत साहू की टीम ने कमार टोला के चालीस परिवारों का निशुल्क स्वास्थ परिक्षण किया। साथ ही साथ जरूरतमंदों को दवाईयां भी निशुल्क वितरित की गई। इस अवसर पर बस्ती के बड़े बुजुर्ग ,बच्चे और महिलाएं एक साथ आकर जागरूकता अभियान में हिस्सा लिया।
कमारटोला के सबसे बुजुर्ग चमरा कमार जो ईक्क्यासी साल के है उन्होंने टीम का स्वागत किया । कमार लोगों के इतिहास के बारे में बात करते हुये उन्होंने कई मरीज़ों के बाबत भी जानकारी साझा की । स्थानीय सरकारी सुविधाओं के उपयोग के बारे में उनका कहना था कि शिक्षा और चिकित्सा के लिये अपने समाज में इसी प्रकार के जागरूकता की बड़ी ज़रूरत है ।
गाँव की महिलाओं के प्रमुख बुधियारिन कमार ने महिलाओं और बच्चों के बारे में बताया । टीका और गर्भवती महिलाओं की देखभाल के बारे में वार्ड मितानिन चंपा ने बताया ।
इस अवसर पर डॉ सत्यजीत साहू ने सामान्य बीमारियों और इसके इलाज के बारे में फैली हुई भ्रांतियों को दूर करने के लिए उपस्थित लोगों को जानकारी दी। उन्होने खान पान और पोषण के बारे में जानकारी दे कर बताया की पोषक तत्वों की कमी से होने वाली बीमारी को कितनी आसानी से दूर किया जा सकता है।
सही समय रहते सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के उपयोग के बारे में भी कमार जनजाती के लोगों को जागरूक किया। सरकारी एम्बुलेंस ,महतारी एक्सप्रेस और हाट बाजार क्लिनिक के साथ ही मितानिनों के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर इस स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के स्थानीय संयोजक फुलकुर्रा गांव के पूर्व सरपंच दिगेंद्र दीवान ने बताया की कमार जनजाति के लोग मूलत: शिकार पर आधारित जीवन यापन करते हैं। ज्यादातर ये लोग जंगलों के बीच रहते हैं और शराब बनाते हैं। इस जनजाति के लोगों का जीवन ज्यादातर जंगलों पर ही निर्भर हैं. एक समय पर ये विलुप्ति की कगार पर थे, लेकिन इन्हें बचाने के लिए सरकार ने कई पहल किए। इन्हें विशेष संरक्षित घोषित किया गया और इनके नसबंदी पर प्रतिबंध लगाया ताकि जनसंख्या बढ़ सके. इस जनजाति की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने फिर कई योजनाएं चलाई। डॉ सत्यजीत साहू की टीम ने इस दूरस्थ गांव में आकर कमारजनजाति के लोगों के साथ साथ सभी उपस्थित ग्रामवासियों को अपने सेवा कार्य से लाभान्वित किया है। यह अभियान समय समय पर चलता रहेगा। लोकल स्वाथ्य सेवा के साथ इस जागरूकता की जरुरत हमारे समाज की है।
डॉ सत्यजीत साहू की टीम में सुनील शर्मा ( हेल्थ कोऑर्डिनेटर ) संतोष ठाकुर (लॉजिस्टिक सपोर्ट ) सिस्टर भूमि सुता साहू ,सिस्टर ममता निषाद ने नर्सिंग सेवा के रूप में अपना सहयोग दिया।