शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
बीजेपी ने ‘मिशन 2024’ के लिए अभी से अपनी कमर कस ली है. पीएम मोदी 2024 के लोकसभा चुनावों से पार्टी का आडवाणीकरण करने पर विचार कर रहे हैं…..इस रणनीति पर काम शुरू हो चुका है. पार्टी के तमाम बुजुर्ग नेता अब अपनी भूमिका को लेकर चिंता में हैं..?बुजुर्ग नेताओं को दो बड़ी चिंताएं सता रही हैं. एक तो यह कि टिकट पाने के लिए जो शर्त है, उस पर खरे उतरेंगे या नहीं…. दूसरी- अगर टिकट मिला और चुनाव जीत भी गए, तो उन्हें ‘अहमियत’ भी मिलेगी या नहीं…. यदि वो मंत्री ना बने तो उनके राजनीति में होने-न- होने का कोई खास मतलब नहीं रह जाएगा…जानकारी के मुताबिक 2024 में बीजेपी 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को टिकट नहीं देगी. हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी मौजूद होंगे.पीएम नरेन्द्र मोदी का 72वां जन्मदिन हाल ही में मनाया गया… पर 2024 में तो उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ना है…तो उन पर यह लागू नहीं होगा। 70+वाला यदि नियम लागू हुआ तो 81 सांसदों के टिकट कट जाएंगे. बुजुर्ग सांसदों में सबसे ज्यादा यूपी से 12, गुजरात से 10, कर्नाटक से 9, महाराष्ट्र से 5, झारखंड से 2, बिहार से 6, मध्य प्रदेश से 5 और राजस्थान से 5 हैं. हालांकि छ्ग से इस दायरे में कोई नहीं आ रहा है पर यहां के सभी सांसदों को टिकट मिलेगी ऐसा लगता तो नहीं है…..?पिछले लोस चुनाव में सभी सांसदों का टिकट काट दिया गया था…..!इधर पार्टी का मानना है कि इस फैसले से नए कार्यकर्ताओं को राजनीति में आगे आने का मौका मिलेगा।पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल से तमाम ऐसे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया, जो बाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे थे. इन नेताओं में बिहार से पार्टी के सबसे बड़े नेता समझे जाने वाले रविशंकर प्रसाद, उत्तराखंड के दिग्गज नेता रमेश पोखरियाल निशंक, महाराष्ट्र के बड़े नेता प्रकाश जावड़ेकर और पार्टी में मुस्लिम बड़े चेहरे मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं. ये वो नेता हैं जिनके लिए कहा जाता था कि इनके बिना भाजपा की केंद्रीय राजनीति चल ही नहीं सकती।मार्गदर्शक मंडल में जा सकते हैं।मोदी सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे राजनाथ सिंह की बढ़ती उम्र राजनीतिक भविष्य के लिए संकट बन चुकी है. 71 वर्षीय राजनाथ सिंह यूपी में बीजेपी के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. पीएम मोदी उन्हें अपनी कैबिनेट से बाहर करके यूपी की जनता को नाराज नहीं करना चाहते हैं. हालांकि अब यूपी में राजनाथ से बड़े नेता सीएम योगी स्थापित हो चुके हैं. राजनाथ 70 का आंकड़ा पार कर चुके हैं, लिहाजा 2024 में वे मार्गदर्शक मंडल में ही नजर आएंगे.नितिन गडकरी वैसे तो मोदी सरकार में सबसे कर्मठ मंत्री माने जाते हैं. लेकिन 2024 में उनकी उम्र भी 70+ हो जाएगी. इसलिए उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल में डाला जा सकता है।गडकरी को भी इसका आभास होने लगा है. इसलिए हाल ही में उन्होंने खुद सन्यास लेने के संकेत दिए थे।उप्र में भाजपा के वयोवृद्ध नेता डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय सिर्फ ब्राह्मण चेहरा होने के कारण मोदी सरकार में जगह बना पाए थे. उनकी सेहत और उम्र दोनों अब उनका साथ नहीं दे रही है हो सकता है कि 2024 में वे खुद से ही रिटायरमेंट की घोषणा कर दें. हरदीप सिंह पुरी वर्तमान समय में मोदी कैबिनेट का हिस्सा हैं. बीजेपी में कोई सिख नेता नहीं होने के कारण उन्हें तरजीह दी गई है. वे भी 2024 में सन्यास ले सकते हैं, यदि ऐसा नहीं होगा तो उनकी सेहत को देखते हुए टिकट मिल पाना बड़ा असंभव नजर आ रहा है.मोदी सरकार में वित्त मंत्रालय संभाल रहीं निर्मला सीतारमण भीआर्थिक मोर्चों पर अक्सर फेल साबित होते नजर आती हैं. मौजूदा समय में भी अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पा रही हैं. इसलिए 2024 में वे भी मार्गदर्शक मंडल में दिखाई दे सकती है….?
भाजपा क्यों चाहती है कि भूपेश
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें …?
छ्ग के सीएम भूपेश बघेल छ्ग सहित देश में छाये हुए हैं, छ्ग के कुछ बड़े नेता क़ह रहे हैं कि भूपेश को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहिए…विरोधाभाष देखिये… एक तरफ भाजपा सीएम को असफल बताने में पीछे नहीं है.. और अगली सरकार बनाने का दावा भी कर रही है वहीं भूपेश को छ्ग से बाहर कर कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की भी सलाह दे रही है…? अब यह कटाक्ष है या भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भूपेश से डर गया है….? खैर कांग्रेस में कौन अध्यक्ष बने यह सलाह भाजपा दे रही है यह बात और है कि भाजपा अध्यक्ष कौन बने… इसकी सलाह देने की हिम्मत तो किसी भी भाजपा नेता में नहीं है?वैसे जिस तरह भाजपा की रणनीति चल रही है उससे लगता है कि छ्ग में अगला विस चुनाव मोदी विरुद्ध भूपेश के नाम पर ही होगा।
बीव्हीआरएस और
राकेश रिटायर…
छ्ग काडर के वरिष्ठ आईएएस (87बैच) बीव्हीआर सुब्रमण्यम और (85 बैच)के आईएफएस राकेश चतुर्वेदी आज सेवा निवृत हो गए , इधर बीव्हीआरएस को तो 2साल की सेवावृद्धि पहले ही मिल चुकी है।पहले उन्हें छग के एसीएस से अंतराज्यीय प्रतिनियुक्ति में सीधे जम्मू -कश्मीर का मुख्य सचिव बनाया गया था। जम्मू कश्मीर के विभाजन, धारा 370की समाप्ति की ड्रापटिंग में इनका बड़ा योगदान रहा है।वे अभी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर सचिव थे।वहीं राकेश चतुर्वेदी को छ्ग सरकार कहीं एडजेस्ट करेगी यह तय है।87 बैच के छ्ग कॉडर के आईएएस,केंद्र में सचिव बीबी आर सुब्रमण्यम आज 30को सेवानिवृत हो गये हैं,हालांकि उन्हें 2साल की सेवावृद्धि केंद्र सरकार पहले ही दे चुकी है।वे आईटीओपी के चेयरमेन की जिम्मेदारी सम्हालेंगे।वहीं अविभाजित मप्र में छ्ग के पहले आईएफएस (1985 बैच ) तथा छ्ग वन विभाग के मुखिय राकेश चतुर्वेदी भी आज सेवानिवृत हो गये , वैसे राज्य सरकार उन्हें कहीं समायोजित करेगी यह लगभग तय है।मंत्रालय के सचिव ए के टोप्पो भी आज रिटायर हो रहे हैं।इधर राकेश चतुर्वेदी के बाद वन विभाग का मुखिया कौन होगा इसके लिये दबाव बनाया जा रहा था ।छत्तीसगढ़ में कुछ रिटायर्ड आईएएस अफसर आज भी अपना जलवा बनाये रखने को बेकरार थे वो ब्यूरोक्रेसी में रिक्त हो रहे बड़े पदों पर अपने शागिर्दों की ताजपोशी कराने की जुगत में लगे रहते हैं…एक पूर्व मुख्य सचिव अपने एक खास आईएफएस की नियुक्ति वन विभाग के सर्वोच्च पद पर करवाने की लॉबिंग में लगे थे …..पीसीसीएफ का पद वन विभाग का सर्वोच्च पद होने साथ मलाईदार भी है, सूबे में 44 फीसदी जंगल है, कैम्पा का अरबों रुपये का फंड भी है… वैसे राकेश के उत्तराधिकारी के रूप में 87बैच के आईएफएस संजय शुक्ला की नियुक्ति कर दी गईं है।
एक आईपीएस की
शाह से नजदीकियां….?
अविभाजित मप्र तथा छ्ग राज्य बनने के बाद लगातार चर्चित एक आईपीएस (अब रिटायर)अफसर की छ्ग भाजपा नेताओं से काफ़ी निकटता रही…. फिर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद लगातार उपेक्षा का शिकार रहे इस आईपीएस की कभी तूती बोलती थी।कहा जाता है कि छग के कुछ राजनेताओं तथा कुछ दागी अफसरों के कई राज उसके पास है…..? वह अफसर सेवानिवृति के पहले से ही केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के काफ़ी करीबी होने की खबर है? सूत्र कहते हैं कि छ्ग के आगामी विस चुनाव में वह भाजपा के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका अदा कर सकता है…? वैसे चर्चा तो यह भी है कि उसे कोई पद भी मिलने जा रहा है पर उसके पिछले बेकग्राउंड को देखकर ऐसा लगता तो नहीं है…..
और अब बस…
0क़ृषि विभाग के संचालकों के बार बार बदलने के पीछे आखिर क्या कारण है..?
0 कुछ पुलिस कप्तानों के बदलने की चर्चा फिर तेज है…?